अजोला


अजोला पशुओं के हरे चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है। इससे दुधारू पशुओं के दूध उत्पादन की क्षमता तो बढ़ती है साथ ही पशुओं की प्रजनन क्षमता को भी बढ़ाता है। दूधारू पशुओं पर किए गए प्रयोगो से साबित होता है कि जब पशुओं को उनके दैनिक आहार के साथ 1.5 से 2 किग्रा. अजोला प्रतिदिन दिया जाता है तो दुग्ध उत्पादन में 15-20 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी है. इसके साथ इसे खाने वाली गाय-भैसों की दूध की गुणवत्ता भी पहले से बेहतर हो जाती है।
आइए जानते हैं कैसे उगाए अजोला-
चलिए हम बताते हैं कि इसका उत्पादन कैसे किया जाता है।
• सबसे पहले आपको ईंटों से एक गड्ढा बनान है, जिसे आप इस्तेमाल करी गई ईंट के साथ बना सकते हैं। इसकी ऊंचाई 30 सेमी के आसपास रखनी है।
• गड्ढे के भीतरी कोने में मिट्टी डाल दें। और अब गड्ढे के अन्दर पौलीथिन बिछा दें।
• यहाँ पौली बिछाने से पहले मिट्टी का उपयोग इसलिए करना है क्योंकि जब हम इसमें पॉलीथिन डालते हैं, तो यह नहीं फटेगी। जब आप पॉली रखें तो पॉली की सिकुड़न को हटा दें।
• दूसरी चीज यह है कि पॉली के साथ ईंट की दीवार ढकी हुई होनी चाहिए। ताकि पॉलिथीन उड़ न जाए। इस गड्ढे की लंबाई और चौड़ाई 3 * 2 मीटर वर्ग रखनी है।
• अब इसमें अच्छी उपजाऊ मिट्टी डाल दें। इसमें 3 इंच या 7 सेमी मिट्टी की परत पर रखें। मिट्टी से छोटे पत्थरों को निकल दें।
• अब इस गड्ढे में समतल और ताजा पानी भरें। पानी 5 सेमी के आसपास भरना है।
• पानी से तैरने वाली चीजों को हटा दें। इसे छन्नी की मदद से निकालें।
• पानी साफ करने के बाद, अजोला पानी में अच्छे से बिखेर दें। याद रखें कि यह पानी में अच्छे से बिखर जाए और एक जगह इकट्ठा ना हो।
• 10 से 15 दिनों के बाद यह अच्छी स्थिति में दोगुना हो जाएगा। अजोला की वृद्धि बहुत अच्छी होगी।
अजोला के फायदे-
• इसका उत्पादन बहुत ही किफायती है और यह पशुओं के लिए एक पोषक और पूरक आहार है।
• न्यून उत्पादन क्षमता वाले पशुओं में दुग्ध उत्पादन में सुधार देखा गया है।
• दानों की आवश्यकता का एक हिस्सा अजोला द्वारा पशु आहार में पूर्ति करने से दूध उत्पादन की लागत कम कर सकते हैं।
• जैसा कि अजोला में शुष्क पदार्थ सामग्री केवल 5-6 प्रतिशत है। यह मुश्किल है कि अजोला को पूर्ण फीड संसाधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।
• बहुत अधिक या कम तापमान, कम पानी अथवा सीमित जल उपलब्धता और पानी की खराब गुणवत्ता जैसी पर्यावरण बाधाएँ अजोला उत्पादन को अपनाने में रुकावट पैदा कर सकती हैं।
ऐसे होगी अजोला के इस्तेमाल से प्रति वर्ष 50 हजार की बचत।
यदि आप इसका उत्पादन करते हैं तो एक भैंस 10% अधिक दूध देगी यदि भैंस 10 लीटर देती है, तो इसका मतलब है कि 1 किलो दूध प्रति दिन बड़ेगा मतलब लगभग 12 हजार रुपये तक का फायदा होगा। दूसरा, यदि आप एक भैंस के लिए हरा चारा उगाते हैं, तो उस जगह पर कुछ और उगाने से आपको लगभग 20 हजार की बचत होगी। इन सभी को लगा कर 32 हजार की बचत होगी। तीसरी बात यह है कि भैंस के लिए अन्य चारा में कमी होगी, इसका मतलब है कि इससे एक भैंस पर प्रति वर्ष लगभग 50 हजार की बचत होगी।
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