फैक्ट्री में बल्ब बनता देख रहे जाएंगे आप भी दंग


अंधकार हरने वाला बल्ब देखने में जितना सरल लगता है बनाने में उतना ही तकनीक भरा है। परंतु बड़ी-बड़ी मशीनों द्वारा यह पूर्णतया ऑटोमेटेकली तैयार होता है। जिसको मशीनों के द्वारा सरलता से बनाकर मार्केट में बेच कर मुनाफा कमाया जाता है और यह ऐसा बिजनेस है जो कभी बंद नहीं होगा, बल्ब की काफी सारी वैरायटी एक ही फैक्ट्री में तैयार हो जाती है। तो आईए जानते हैं बल्ब के कांच के गोल आकार को तैयार होने, उसमें फिलामेंट लगाने, गैस भरने, पंचिंग करने से लेकर पैकिंग तक के कार्य को मशीनों द्वारा किस प्रकार किया जाता है-

दोस्तों एक बल्ब बनाने के लिए काफ़ी सारी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। बल्ब के अंदर सपोर्ट वायर, स्पाइडर, टंगस्टन धातु का फिलामेंट और ग्लास स्टेम जैसे पार्ट होते हैं जो बल्ब के अंदर बारी-बारी से लगाए जाते हैं। दोस्तों सबसे पहले बल्ब के रॉ मटेरियल के रूप में पतले लंबे कांच के पाइप आते हैं। जिनको एक राउंडेड मशीन में सेट कर दिया जाता है और एक निश्चित साइज में काटते हैं तथा मशीन उस कांच के पाइप को गर्म करके उसको किनारो से मोड़कर फ्लेयर बनाती हैं। मशीन द्वारा ऑटोमेटेकली फ्लेयर बनकर तैयार हो जाते हैं अब दूसरी मशीन में एक तरफ से फ्लेयर लगते हैं तथा दूसरी तरफ से उसमें दो तार फिलामेंट पास करने के लिए लगाते हैं इसके बाद दूसरी मशीन पर गर्म होकर तार फ्लेयर में पंच हो जाते हैं और वहां से स्टेम मशीन में बल्ब का धूरा तैयार होता है। ये सभी मशीने चेन सिस्टम में वर्क करती है, एक के बाद दूसरे मशीन पर स्वत: चला जाता है।

इसके बाद यह माउंटिंग मशीन पर ले जाते है वहां पर ड्रम मशीन पर टंगस्टन रखते हैं जिन्हें पिकअप खुद उठाकर बल्ब के उन दोनों तारों पर पंचिंग कर देता है क्योंकि टंगस्टन फिलामेंट लंबा है इसके लिए दो वायर सपोर्ट में लगाए जाते हैं। फिर सिलिंग मशीन पर ले जाते है जहां ग्लास सील कर दिया जाता है जो कांच को गर्म करके ही होता है। यहीं पर बल्ब को बेसिक आकर मिलता है। इन बल्बों में हुई टूट-फूट सभी रीसायकल हो जाती है अर्थात् कुछ भी वेस्ट नहीं जाता। अब इनको एग्जॉस्ट मशीन पर ले जाया जाता है जहां इनको वैक्यूम अर्थात् सारी गैस निकाल कर नाइट्रोजन या आर्गन अक्रिय गैस फिल कर दी जाती है। गैस फीलिंग के बाद सिल्वर के होल्डर पर एक सॉल्यूशन लगाकर तथा वायर सोल्डिंग करने के बाद होल्डर को पंचिंग मशीन से बल्ब पर पंच कर दिया जाता है।

अब बल्ब पूर्ण रूप से तैयार है। एक बार इन्हें चेक करके मशीन द्वारा ही कागज के गोल पाउच में पैकिंग कर मार्केट में भेजने के लिए तैयार कर दिया जाता है। ऐसे ही अन्य जानकारी जानने के लिए जुड़े रहे द अमेजिंग भारत के साथ। धन्यवाद॥
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