एक देसी गाय से 6 इनकम सोर्स

22 Aug 2025 | NA
एक देसी गाय से 6 इनकम सोर्स

भारत में गाय सिर्फ एक जानवर नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और आजीविका का प्रतीक रही है। खासकर देसी गायें – जैसे कि गिर, साहीवाल, राठी, थारपारकर आदि – न सिर्फ शुद्ध दूध देती हैं, बल्कि उससे जुड़ी कई अन्य चीजों से भी कमाई के रास्ते खुलते हैं। आज का किसान यदि पारंपरिक सोच से आगे बढ़े और देसी गाय की पूरी क्षमता को समझे, तो सिर्फ दूध बेचने तक सीमित न रहकर 5 से 6 अलग-अलग इनकम स्रोत तैयार कर सकता है। आइए जानते हैं कि एक देसी गाय से किसान कैसे 6 प्रकार की कमाई कर सकता है।

Desi Cow Milk Business

1. दूध बिक्री – शुद्ध, औषधीय और मांग में

देसी गाय का दूध प्रोटीन से भरपूर होता है, जो विदेशी गायों के A1 दूध से कई गुना ज्यादा फायदेमंद माना गया है। बाजार में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है – खासकर शहरों में जैविक दूध के नाम पर ₹80 से ₹150 प्रति लीटर तक बिक रहा है। यदि एक देसी गाय रोज़ाना 5 - 8 लीटर दूध देती है और किसान इसे सीधे ग्राहकों या संस्थानों को बेचता है, तो वह एक महीने में ₹12,000 से ₹30,000 तक कमा सकता है।

बोनस: गाय के दूध से बनने वाले प्रोडक्ट – दही, घी, पनीर, बटर आदि से भी अलग कमाई की जा सकती है।

2. गौमूत्र (गोमूत्र) बिक्री – जैविक खेती की रीढ़

देसी गाय का मूत्र (गौमूत्र) एक औषधीय तरल है, जिसका उपयोग जैविक खेती, कीटनाशक, आयुर्वेदिक दवा और गौ आधारित उत्पादों में होता है।

गौमूत्र से बनने वाले उत्पाद: 1. जीवामृत  2.  कीट नियंत्रक स्प्रे  3.  गौ अर्क  4.  हर्बल दवा

एक गाय रोज़ाना 5 से 10 लीटर गौमूत्र देती है। इसे किसान स्थानीय जैविक उत्पाद दुकानों या ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर ₹15 – ₹30 प्रति लीटर तक बेच सकते हैं।

3. गोबर से जैविक खाद और वर्मी कम्पोस्ट बनाकर आय

गाय का गोबर किसी भी जैविक खेत के लिए अमूल्य है। यह न केवल मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है, बल्कि इससे किसान दो तरह की खादें बना सकता है:

1.  गोबर की सड़ी हुई खाद (कम्पोस्ट)  2.  वर्मी कम्पोस्ट (केंचुआ खाद)

एक देसी गाय दिन में लगभग 10 -15 किलोग्राम गोबर देती है। इसका उपयोग करके किसान महीने में 300 - 400 किलो खाद बना सकता है, जो बाजार में ₹6 से ₹10 प्रति किलो तक बिकती है। कुल अनुमानित आय: ₹2,000 – ₹4,000 प्रति माह

6 income sources from a Desi cow

4. गौ आधारित उत्पाद (गौकृपा उद्योग)

आज भारत में "गौ उत्पाद उद्योग" तेजी से बढ़ रहा है। इन उत्पादों को बनाने के लिए देसी गाय का गोबर, गौमूत्र, दूध, दही और घी का उपयोग किया जाता है। कुछ प्रमुख उत्पाद हैं:

1. धूपबत्ती  2. उपले (कंडे)  3. साबुन  4. (गोमूत्र + हर्बल तेल)  5. पेंट (गोबर से बना प्राकृतिक पेंट)  6. ईको-फ्रेंडली मूर्तियां

ये उत्पाद स्थानीय मेलों, जैविक दुकानों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेचे जा सकते हैं। कई महिलाएं और युवा इससे ₹5,000 से ₹15,000 प्रति माह तक कमाई कर रहे हैं।

5. गौशाला दर्शन और पंचगव्य उपचार केंद्र

यदि आपके पास 5 या उससे अधिक देसी गायें हैं, तो आप एक छोटा-सा गौशाला दर्शन केंद्र या पंचगव्य चिकित्सा केंद्र शुरू कर सकते हैं।

पंचगव्य का अर्थ है – गाय के पांच उत्पाद (दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर) का मिश्रण, जिससे आयुर्वेदिक उपचार, त्वचा रोग, पेट की बीमारियों आदि में फायदा होता है।

गांव और शहरों से लोग आजकल "नेचर हीलिंग" और "गौ आधारित चिकित्सा" की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इससे अतिरिक्त आय हो सकती है, जैसे: 1-  पंचगव्य चिकित्सा शुल्क 2-  प्राकृतिक उपचार कार्यशालाएं 3-  गौ पर्यटन शुल्क

 Desi Cow Milk Organic Milk Sale

6. गौवंश बिक्री और नस्ल सुधार केंद्र

देसी गाय की बछियां (female calves) और बछड़े (male calves) अच्छी नस्ल के हों तो इनकी कीमत बाज़ार में बहुत ज्यादा होती है।

उदाहरण: गिर नस्ल की बछिया ₹30,000 – ₹60,000 में बिकती है। साहीवाल का बैल प्रजनन के लिए ₹50,000 – ₹1,00,000 तक बिकता है।

अगर किसान ब्रीडिंग पर ध्यान दे और कृत्रिम गर्भाधान या नैचुरल मैथुन व्यवस्था अपनाए, तो हर साल दो से तीन बछड़े बेचकर ₹50,000 से ज्यादा की आय कर सकता है।

गाय से सिर्फ दूध नहीं – पूरी अर्थव्यवस्था है

अगर हम देसी गाय को सिर्फ दूध देने वाला पशु मानते हैं, तो हम उसकी 80% क्षमता को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। असल में, एक देसी गाय एक छोटा उद्योग है, जिसे यदि सही तरीके से संचालित किया जाए तो महीने में ₹20,000 से ₹50,000 तक की आय संभव है और वो भी बिना किसी भारी मशीनरी या खर्च के।

सुझाव:

1. मार्केटिंग सीखें – अपने प्रोडक्ट्स को लोकल मंडी, हाट-बाजार, व्हाट्सएप ग्रुप और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे Amazon, Flipkart, और Instagram पर बेचें।

2. समूह में काम करें – यदि एक अकेले किसान को मुश्किल हो, तो 3 - 4 लोग मिलकर एक गौ आधारित सहकारी मॉडल बना सकते हैं।

3. सरकारी योजनाओं का लाभ लें – जैसे कि कामधेनु योजना, गौ सेवा आयोग की योजनाएं, पीएम किसान सम्मान निधि, आदि।

अंत में: देसी गाय हमारी संस्कृति की धरोहर है और किसान की आर्थिक रीढ़ भी बन सकती है, यदि हम इसे सिर्फ भावनात्मक नहीं, व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी देखें। समय आ गया है कि हम गाय से कमाई के इन 6 रास्तों को अपनाकर आत्मनिर्भर खेती और गांवों की समृद्धि की ओर कदम बढ़ाएं। ऐसी अमेजिंग जनकतरी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ और आपको ये जानकारी कैसी लगी हमे कमेंट कर के जरूर बताइये ।। जय हिन्द जय भारत ।।

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