ऑर्किड फूलों की खेती, पैसा ही पैसा


हाल के वर्षों में ऑर्किड की खेती भारत में एक आकर्षक व्यवसाय के रूप में उभरी है। इसके फूल दुनिया में सबसे सुंदर और विविधता से भरे होते हैं। जिन्हें कम भूमि क्षेत्रफल वाले किसान भी उगाकर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। इसकी मांग ना सिर्फ भारत बल्कि विश्व में भी बनी रहती है। भारतीय किसान भी मात्र 1 एकड़ में इसकी खेती कर 20 से 25 लाख रुपए कमा रहे हैं। अन्य किसान भी यह खेती कर कैसे लाभ उठा सकते हैं? इसको करने की क्या विधि है? किस मौसम में उगानी चाहिए तथा इसका बाजार कहां है सहित संपूर्ण जानकारी लेंगे मधु जी से जो इस खेती को वर्षों से सफल रूप से ऑर्किड फार्मिंग कर रहे हैं।

उपयुक्त जलवायु:
ऑर्किड के फूलों की खेती करने हेतु गर्म और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है, जिसका तापमान 18 से 30 डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए। दरअसल यह पारंपरिक फसलों की तुलना में थोड़ी अलग है। यह सामान्य मिट्टी में भी अच्छे से विकसित नहीं हो पाती, इसके लिए नारियल की भूसी, लकड़ी का कोयला या पेड़ों के रेशे की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए गर्मी या मानसून का मौसम अच्छा माना जाता है अतः फरवरी से जुलाई तक का समय उपयुक्त है। ऑर्किड का उपयोग अक्सर इसकी सुगंध और चिकित्सा गुणों के कारण इत्र, सौंदर्य प्रसाधन और दवाओं के उत्पादन में भी प्रयोग किया जाता है। भारत में ऑर्किड की खेती मुख्य रूप से अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, सिक्किम तथा दक्षिण भारत में की जाती है।

ऑर्किड की किस्में:
ऑर्किड की लगभग 30 हजार से अधिक ज्ञात प्रजातियां हैं, जो इसे फूलदार पौधों के सबसे बड़े परिवार में से एक बनती है। भारत में ऑर्किड की प्रमुख किस्मों में कैटिलिया ऑर्किड, डैंड्रोबियम ऑर्किड, वांडा ऑर्किड, फेलेनोप्सिस ऑर्किड और ऑन्सीडियम ऑर्किड है। ये प्रजातियां बड़े और आकर्षक फूलों के लिए जानी जाती है, जिन्हें पुष्प सज्जा में उपयोग करते हैं। डेंडरोबियम ऑर्किड भारत में सबसे अधिक उगाये जाने वाले ऑर्किड है और अपने लंबे समय तक खिलने के लिए जाने जाते हैं।

खेती की विधि:
ऑर्किड खेती के लिए सेड नेट या ग्रीनहाउस की संरचना की आवश्यकता होती है, जो सिंचाई और तापमान नियंत्रण उपकरणों से युक्त हो। इसके लिए सबसे पहले बीज के रूप में ऑर्किड की पत्तियों को भूमि में लगाया जाता है। इसे साधारण मिट्टी में ना उगाकर बर्क, चारकोल या कोकोपीट जैसे मीडियम में लगाया जाता है। इसके लिए 20 से 30 डिग्री तापमान और 60 से 80% नमी की जरूरत होती है। इसको सतत रखरखाव की आवश्यकता होती है, जिसमें पानी डालना, खाद डालना और किट से सुरक्षा करना शामिल है, इसके रखरखाव के लिए कुशल श्रमिकों को कार्य पर रखना चाहिए। इसी प्रकार मधु जी ने एक एकड़ में लगभग 40000 पौधों की बुवाई की है और ये लगभग 6 से 7 महीने में तैयार होती है, इस दौरान इनकी पत्तियों की नियमित रूप से कटिंग होती रहती है।

तापमान और मौसम के आधार पर ऑर्किड को सप्ताह में एक बार जल अवश्य देना चाहिए। इसी के साथ ध्यान रहे खेत में नमी तो जरूर बनी रहे; किंतु जल का भराव ना हो। ऑर्किड की फसल को सीधी आने वाली तेज धूप से बचाना चाहिए, क्योंकि सीधी धूप में इसकी पत्तियां और फूलों पर हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं, जो उसे अच्छे से विकसित नहीं होने देते।
फूलों की कीमत:
बाजार में ऑर्किड की कीमत में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। यह मांग पर निर्भर करता है; परंतु फिर भी इसका एक फ्रेश फूल 40 से 60 रुपए में बिक जाता है। इस प्रकार किसान भाई एक एकड़ में अच्छा उत्पादन कर मोटा मुनाफा कमा सकते हैं। वहीं इसके प्लांट के रोपण की बात करें तो पहली बार इसका एक पौधा बोने के लिए 8 से 10 रुपए में मिल जाता है तथा फसल करते समय पौधे की ऊपर से कटिंग करते रहते हैं और उसे खाली स्पेस में बोते रहते हैं, जिससे अगली फसल में पौधे लगाने की मूल कीमत से बचा जा सकता है।

ऑर्किड का बाजार:
खेती करने से पूर्व किसान भाइयों को इसके बाजार की जानकारी पूर्ण रूप से ले लेनी चाहिए, क्योंकि इसका फूल दो से तीन दिन तक की फ्रेश माना जाता है। इसलिए बाजार अधिक दूर ना हो तथा कटिंग के अगले दिन ही पुष्प मार्केट में पहुंच जाने चाहिए। वर्तमान में भारत में ऑर्किड का बाजार लगभग सभी राज्यों में विकसित हो गया है, जिनमें मुख्य रूप से दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता आदि शामिल है।इसके अतिरिक्त ऑर्किड का अंतरराष्ट्रीय बाजार में उच्च मूल्य है, जो इन्हें एक आकर्षक निर्यात वस्तु बनाता हैं।

ध्यान रखने योग्य बातें:
वास्तव में इसकी खेती करते समय कुशलता और अनुभव की अति आवश्यकता है। इसके लिए किसान भाइयों को शोध प्रशिक्षण सेमिनारों में भाग लेकर भी अनुभव एकत्रित करना चाहिए। इसमें मुख्य रूप से गर्म और आर्द्र जलवायु का निश्चित अनुपात ज्ञात होना आवश्यक है। ऑर्किड को नियमित रूप से पानी देना चाहिए तथा उज्जवल तथा अप्रत्यक्ष प्रकाश में रखना चाहिए।इसके फूलों की कटाई आमतौर पर खिलने के तीन-चार दिन बाद करनी चाहिए, जिससे फूल पूर्ण रूप से विकसित हो सके।ऑर्किड का स्वस्थ विकास बनाए रखने के लिए नियमित रूप से उर्वरक की आवश्यकता होती है, इसलिए निश्चित अनुपात के साथ संतुलित उर्वरक के उपयोग का ज्ञान होना भी जरूरी है।

दोस्तों भारत में ऑर्किड की खेती के लाभदायक व्यावसायिक अवसर है, क्योंकि स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऑर्किड की बहुत मांग है। सही जानकारी उचित देखभाल और बाजार की समझ के साथ किसान भाई इस व्यवसाय में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इसी के साथ यदि आप ऑर्किड की खेती करने पर विचार कर रहे हैं, तो स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से भी सलाह लेना ना भूले। कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट कर अवश्य बताएं तथा ऐसे ही रोचक जानकारी के लिए जुड़े रहे "हेलो किसान" के साथ। धन्यवाद॥ जय हिंद, जय किसान॥
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