करोड़ों का भैंसा


जब हम भारत के पशुपालन क्षेत्र की बात करते हैं, तो गाय-भैंसें आम जीवन का हिस्सा लगती हैं। पर क्या आपने कभी करोड़ों रुपये के भैंसे के बारे में सुना है? यह कोई मज़ाक नहीं, बल्कि पशुपालन की दुनिया में एक अनोखा और प्रेरणादायक उदाहरण है। भैंसे की कीमत लाखों में क्या, करोड़ों में भी पहुंच सकती है इस बात को सच कर दिखाया है हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के कुछ समर्पित पशुपालकों ने। आज हम बात कर रहे हैं एक खास भैंसे की, जिसका नाम है “धग” (या कुछ स्रोतों में इसे “भगिरा” भी कहा गया है), और जो करोड़ों के चर्चा में है।

कौन है यह ‘करोड़ों का भैंसा’?
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में एक कृषि मेले में हाल ही में एक खास भैंसा प्रदर्शित किया गया, जिसका नाम “भगिरा” है। इसकी कीमत लगभग 25 लाख रुपये आंकी गई है, लेकिन इसकी वंशावली और शरीर सौष्ठव इसे करोड़ों के लायक बना देती है। यह भैंसा कोई सामान्य नस्ल का नहीं, बल्कि भारत के सबसे महंगे और चर्चित भैंसे “युवराज” की संतान है, जिसकी कीमत करीब 9 करोड़ रुपये आंकी गई थी।
“धग” या “भगिरा” का वजन करीब 10 क्विंटल (1000 किलोग्राम) है। यह अपने भारी भरकम शरीर, चमकदार काले रंग, मांसल ढांचे और आक्रामक चाल-ढाल के लिए मशहूर है।
क्या है इसकी खासियत?
इस भैंसे को आम जानवरों की तरह नहीं पाला जाता। यह एक ‘ब्रीडिंग बुल’ (Breeding Bull) है, जिसे केवल नस्ल सुधार और प्रजनन के लिए रखा गया है। इसके वीर्य (semen) की कीमत हजारों रुपये प्रति डोज होती है। किसान और डेयरी फार्मर इस वीर्य को खरीदकर अपनी भैंसों की नस्ल सुधारते हैं।
इसके आहार की बात करें तो:
प्रतिदिन लगभग 15 किलो अनाज,
ताज़ा हरी घास,
हरा चारा,
गाजर और मौसमी सब्जियाँ,
और विशेष पोषण मिश्रण (mineral mix) दिया जाता है।
भैंसे को दिन में दो बार नहलाया जाता है और इसे खुली जगह पर व्यायाम कराया जाता है ताकि इसकी मांसपेशियाँ मजबूत बनी रहें।
मालिक कौन है और क्यों है यह इतना महंगा?
“भगिरा” के मालिक हैं प्रिंस शुक्ला, जो इसे अपने बेटे की तरह मानते हैं। वे इसे लेकर देश के कई कृषि और पशु मेलों में भाग ले चुके हैं। हर जगह यह भैंसा लोगों की भीड़ खींचता है और पशुपालकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता है।
इसकी कीमत महज इसके वजन या सुंदरता से तय नहीं होती, बल्कि इसकी उत्कृष्ट नस्ल, वीर्य की गुणवत्ता, संतान की क्षमता और देश-विदेश में इसकी मांग के कारण यह इतना महंगा होता है।
क्या सच में भैंसा करोड़ों का बिकता है?
जी हां, भारत में कई ऐसे भैंसे हैं जिनकी कीमत करोड़ों में आंकी गई है। हरियाणा का प्रसिद्ध “युवराज” भैंसा 9 करोड़ रुपये तक के मूल्य प्रस्ताव के लिए चर्चा में रहा। इसी तरह पंजाब और राजस्थान के कई किसानों ने अपने उच्च नस्लीय भैंसों और बैलों को 50 लाख से 1 करोड़ तक बेचा है।
यह सिर्फ दिखावा नहीं है, बल्कि पशुपालन व्यवसाय का एक गंभीर और लाभकारी पहलू है। अच्छे ब्रीडिंग बुल की मांग डेयरी फार्मिंग, नस्ल सुधार और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए बहुत ज्यादा होती है।

पशुपालन में यह क्रांति कैसे आई?
पिछले कुछ वर्षों में भारत सरकार और राज्य सरकारों ने नस्ल सुधार कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया है। कृत्रिम गर्भाधान, हाइब्रिड नस्लों का विकास, और पशुपालकों को प्रशिक्षण देने से यह क्षेत्र तेज़ी से बढ़ा है। अब किसान केवल दूध बेचने तक सीमित नहीं, बल्कि वीर्य बिक्री, नस्ल विकास, प्रतियोगिता और पशु प्रदर्शनियों से भी लाखों रुपये कमा रहे हैं।
निष्कर्ष
“करोड़ों का भैंसा” सिर्फ एक पशु नहीं, बल्कि किसान की मेहनत, वैज्ञानिक सोच और आधुनिक पशुपालन तकनीक का परिणाम है। यह कहानी दिखाती है कि अगर किसी कार्य को जुनून और विज्ञान के साथ किया जाए, तो वह खेती या पशुपालन जैसे पारंपरिक क्षेत्र में भी क्रांति ला सकता है।
अगर किसान भाई भी पशुपालन से जुड़ना चाहते हैं, तो यह कहानी आपको प्रेरणा दे सकती है कि पशु भी “संपत्ति” बन सकते हैं बशर्ते आप उन्हें प्यार, समय और सही तकनीक दें।
कहानी का संदेश: पशुपालन अब केवल परंपरा नहीं, बल्कि एक स्मार्ट और करोड़ों का कारोबार बन चुका है।
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