पौष्टिक चारे के लिए उपयुक्त नेपियर घास की खेती


नेपियर घास (Napier Grass), जिसे हरा चारे के रूप पशुपालन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण घासीय फसल माना जाता है। यह तेजी से बढ़ने वाली घास है, जो प्रोटीन, फाइबर और ऊर्जा से भरपूर होती है। इसकी खेती में कम लागत लगती है और यह लंबे समय तक चारा उत्पादन देती है। आये जानते हैं इस घास की खेती करने के लाभ-
नेपियर घास की खेती कैसे करें:
नेपियर घास उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में सबसे अच्छी होती है। वैसे तो इसे किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन उपजाऊ दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त है, जिसका pH स्तर 5.5 से 7.5 हो। इसी के साथ खेत में जल निकासी अच्छी हो तो घास की वृद्धि और तेजी से होती है।

उन्नत किस्में:
नेपियर घास की कई उन्नत किस्में हैं, जो उच्च उत्पादन और पोषक गुणवत्ता प्रदान करती हैं, जिनमें CO-3, CO-4, NB-21, धमन-62, तेजी से बढ़ने वाली, बेहतर पत्तेदार और नरम घास के साथ अधिक चारा उत्पादन करने वाली उच्च पोषित घास होती है। ये दूध देने वाले पशुओं के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है, जिस कारण इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। अन्य किस्मों में IGFRI-6 और IGFRI-10 भारतीय उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए विकसित की गई है। और पन्ना वैरायटी बेहतर जलभराव व सहनशीलता वाले क्षेत्रों में उपयोगी है।
बुवाई और रोपण की विधि:
नेपियर घास को बीज से नहीं, बल्कि स्टेम कटिंग (कलम) से उगाया जाता है। इसके लिए 40-50 सेमी लंबी कलम का उपयोग करें, जिसमें 2-3 गांठें हों। इसकी बुवाई का समय फरवरी से जून तक होता है तथा रोपण की दूरी, पंक्ति से पंक्ति 60-90 सेमी एवं पौधे से पौधे की दूरी 30-40 सेमी होनी चाहिए। कलम को 5-7 सेमी गहराई में लगाएं। गर्मियों में सिंचाई 7-10 दिन के अंतराल पर तथा सर्दियों में 15-20 दिन के अंतराल पर करनी उचित मानी जाती है। रोपण करने से पहले खेत को तैयार करने के लिए पर्याप्त मात्रा में गोबर आदि का खाद मिलान लाभदायक सिद्ध होता है, जिसमें प्रति हेक्टेयर 10-15 टन गोबर खाद तथा 100 किग्रा नाइट्रोजन, 50 किग्रा फास्फोरस और 40 किग्रा पोटाश पर्याप्त है। नाइट्रोजन खाद को तीन बार में डालना चाहिए। पहली बार बुवाई के समय, दूसरी बार पहली कटाई के बाद तथा तीसरी बार दूसरी कटाई के बाद डालना अच्छा माना जाता है।

रोग और कीट प्रबंधन:
नेपियर घास में रोग और कीट का प्रभाव बहुत कम होता है। कभी-कभी इनमें पति को झड़ने और तना सड़ने की समस्या देखने को मिल जाती है, जिसको कीटनाशक आदि का छिड़काव कर सही किया जा सकता है।इस घास की फसल बहुत जल्दी तैयार हो जाती है जिसकी पहली कटाई बुवाई के 75-80 दिनों बाद प्राप्त कर ली जाती है। इसके बाद हर 30-45 दिनों पर कटाई करें तो अच्छी मात्रा में चारा प्राप्त होता रहता है। आगामी फसल प्राप्त करने के लिए फसल को जमीन से 5-10 सेमी ऊपर से काटें ताकि नई वृद्धि हो सके।
नेपियर घास का उत्पादन:
इस घास की एक एकड़ में प्रति कटाई से 15-20 टन चारा आसानी से प्राप्त हो जाता है तथा इसकी एक वर्ष में 6-7 कटाई की जा सकती है। इस प्रकार एक एकड़ में 100-140 टन चारा प्रति वर्ष प्राप्त हो जाता है।
बाजार में नेपियर घास का मूल्य:
नेपियर घास बाजार में ₹1.5-3 प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिकती है। खासकर डेयरी उद्योग और पशुपालन क्षेत्र में हरे चारे की मांग लगातार बढ़ रही है। इसमें अच्छी गुणवत्ता वाली नेपियर घास का मूल्य अधिक भी मिलता है।

नेपाल घास का भविष्य:
इस घास की बढ़ती मांग इसे कृषि और पशुपालन के लिए एक लाभकारी व्यवसाय बनाती है। यह गाय, भैंस, बकरी और भेड़ के लिए पोषण से भरपूर चारा है, जिससे दूध उत्पादन में 15-20% तक वृद्धि हो सकती है। इसकी खेती में कम लागत आती है और लंबे समय तक उत्पादन मिलता है। इसको लगाने का सबसे बड़ा फायदा की इसकी एक बार लगाई गई फसल 4-5 वर्षों तक चारा देती है। कृषि भूमि कम होने और पशुधन की बढ़ती संख्या के साथ हरे चारे की मांग भी बढ़ रही है। डेयरी उद्योग और गोशालाओं में इसकी अत्यधिक जरूरत है, इसलिए सरकार भी चारा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी और तकनीकी सहायता प्रदान करती है।
इस प्रकार नेपियर घास की खेती पशुपालन के लिए एक आदर्श विकल्प है। यह उच्च गुणवत्ता वाला चारा और किसानों को आर्थिक लाभ पहुंचाती है। कम समय, कम लागत और लंबे समय तक उत्पादन इसे किसानों के लिए आकर्षक बनाता हैं। डेयरी उद्योग में हरित चारे की बढ़ती मांग इसे एक लाभकारी व्यवसाय में बदल रही है। अतः एक एकड़ नेपियर घास से सालाना ₹1.5-3 लाख का लाभ कमाया जा सकता है। दोस्तों कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट कर आवश्यक बताये तथा ऐसी जानकारी के लिए ही जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ धन्यवाद॥ जय हिंद, जय किसान॥
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