शिटाके मशरूम की खेती: एक फायदेमंद बिजनेस

01 Apr 2025 | NA
शिटाके मशरूम की खेती: एक फायदेमंद बिजनेस

शिटाके मशरूम एक खास तरह का फंगस है, जिसे उगाने के लिए न तो मिट्टी की जरूरत होती है और न ही सूरज की रोशनी की। यह लकड़ी के भूसे पर उगता है और इसका वेस्ट (बचा हुआ पदार्थ) वर्मीकम्पोस्ट बनाने में काम आता है, जिससे मिट्टी उपजाऊ होती है। इस मशरूम की खेती ठंडे मौसम में बेहतर होती है और 6 से 8 महीने तक लगातार फसल मिलती रहती है। अगर इसे सही तरीके से उगाया जाए, तो यह बिजनेस बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। आइए जानते हैं कि शिटाके मशरूम की खेती कैसे की जाती है, इसमें कितना खर्च आता है और इससे कितनी कमाई हो सकती है।

शिटाके मशरूम की खेती: एक फायदेमंद बिजनेस_4030


कैसे की जाती है शिटाके मशरूम की खेती?

जरूरी सामान

1. लकड़ी का भूसा: यह मशरूम का मुख्य खाना होता है।

2. गेहूं की भूसी: इसे लकड़ी के भूसे में मिलाया जाता है।

3. स्पॉन (बीज): फंगस को उगाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।

4. हवा और नमी बनाए रखने का सिस्टम: मशरूम की ग्रोथ के लिए जरूरी होता है।

5. लोहे की अलमारी जैसी रैक: जिनमें बैग रखे जाते हैं।

खेती का तरीका

1. भूसे की तैयारी:

लकड़ी का भूसा मशीन से लाया जाता है और इसे साफ करके पानी में भिगोया जाता है।

इसमें गेहूं की भूसी मिलाई जाती है।

2. स्पॉन मिलाना:

भूसे में फंगस के बीज (स्पॉन) मिलाए जाते हैं।

इसके बाद इसे बैग्स में भरकर रख दिया जाता है।

3. इनक्यूबेशन (Incubation) प्रक्रिया:

बैग्स को एक रूम में लोहे के रैक में 2 फीट के गैप के साथ रखा जाता है।

कमरे में 90% ह्यूमिडिटी और 22-28°C तापमान बनाए रखा जाता है।

45-60 दिन में मशरूम का फंगस पूरे बैग में फैल जाता है और सफेद रंग का हो जाता है।

4. ब्राउनिंग स्टेज (Popcorning Stage):

अब बैग में छोटे-छोटे दाने (पॉपकॉर्न जैसे) दिखने लगते हैं।

यह संकेत है कि मशरूम जल्द निकलने वाला है।

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5. फसल उगाना

जैसे ही पॉपकॉर्निंग स्टेज पूरी होती है, मशरूम उगने लगता है।

एक बार मशरूम निकलने के बाद यह 2-3 बार और निकलता है।

पहली फसल में बड़े मशरूम मिलते हैं, दूसरी और तीसरी फसल में छोटे आकार के होते हैं।

मौसम और सही वातावरण

शिटाके मशरूम की खेती के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से अप्रैल तक होता है, जब रातें ठंडी होती हैं।

इसे 90% नमी और 22-28°C तापमान की जरूरत होती है।

सीधे पानी डालने की जरूरत नहीं होती, बल्कि हवा में नमी बनाए रखने के लिए ह्यूमिडिटी फायर का इस्तेमाल किया जाता है, जो पानी को भाप में बदलकर पूरे कमरे में फैला देता है।

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खर्च और कमाई का अनुमान

एक बैग से को तैयार करने में ₹100 से ₹120 खर्च होते हैं।  1,000 से 1,500 बैग्स बनाने पर कुल लागत ₹2 लाख से ₹3 लाख तक आती है। मार्केट रेट ₹1,500 से ₹2,000 प्रति किलो है, और रिटेल में सर्दियों में ₹300 से ₹400 और गर्मियों में ₹800 तक बिकते हैं। इससे शुद्ध मुनाफा ₹3.5 लाख से ₹4 लाख तक होता है।

मशरूम कैसे बेचे?

1. लोकल मार्केट और सुपरमार्केट: ताजी सब्जी और हेल्दी फूड सेक्शन में बेच सकते हैं।

2. होटल और रेस्टोरेंट: शिटाके मशरूम कई बड़े रेस्टोरेंट में उपयोग किए जाते हैं।

3. दवा कंपनियां: इसके औषधीय गुणों के कारण दवा कंपनियों में इसकी अच्छी मांग है।

4. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म: Amazon, Flipkart और लोकल मार्केटिंग वेबसाइट्स पर इसे बेचा जा सकता है।

शिटाके मशरूम की खेती के फायदे

कम लागत, ज्यादा मुनाफा: थोड़ी सी जगह में ही अच्छी कमाई की जा सकती है।

कम पानी की जरूरत: खेती में सीधे पानी डालने की जरूरत नहीं होती, सिर्फ हवा में नमी बनाए रखनी होती है।

जल्दी फसल: एक बार तैयार होने के बाद 6-8 महीने तक मशरूम की फसल मिलती रहती है।

पर्यावरण के अनुकूल: बचा हुआ वेस्ट (भूसा) वर्मीकम्पोस्ट में बदलकर मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाता है।

साल भर उपलब्धता: सही वातावरण तैयार करके इसे किसी भी समय उगाया जा सकता है।

निष्कर्ष

शिटाके मशरूम की खेती उन लोगों के लिए बढ़िया ऑप्शन है, जो कम लागत में ज्यादा कमाई करना चाहते हैं। अगर सही देखभाल और सही मार्केटिंग की जाए, तो इस खेती से लाखों रुपये कमाए जा सकते हैं। यह बिजनेस ना सिर्फ मुनाफेदार है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अच्छा है, क्योंकि इसका वेस्ट खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

अगर आप नया बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, तो शिटाके मशरूम की खेती आपके लिए एक बेहतरीन मौका हो सकता है।

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