गन्ने की आँख निकालने और पौध रोपण की तकनीक


गन्ने की खेती में नवीनतम तकनीकों का उपयोग करके पैदावार बढ़ाई जा सकती है और लागत भी कम की जा सकती है। इस लेख में हम गन्ने की आँख निकालने की मशीन, उसकी विशेषताएँ, फायदे-नुकसान, और पौध तैयार करने की दो प्रमुख विधियों—जुटे बोरी विधि और काली पानी विधि—पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

गन्ने की आँख निकालने की मशीन-
यह मशीन गन्ने की आँखों को अर्ध-गोलाकार (सेमी-सर्कुलर) ब्लेड से काटकर निकालती है। इसे हाथ से चलाया जाता है और इससे गन्ने की आँखें आधा चाँद आकार में निकलती हैं।
मशीन के फायदे-
- गन्ने की बचत होती है, जिससे लागत कम आती है।
- गन्ने की आँखें बिना नुकसान के निकलती हैं, जिससे अच्छी गुणवत्ता के बीज तैयार किए जा सकते हैं।
- 300 गन्ने की कटाई मात्र 2.5 घंटे में की जा सकती है।
- गन्ने का वजन कम होने से खेत में बोने के लिए अधिक मात्रा में पौध उपलब्ध होते हैं।
मशीन के नुकसान-
- मशीन को सही ढंग से चलाने के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है
- हाथ से संचालित मशीन होने के कारण शक्ति की आवश्यकता होती है।

यदि मशीन को ठीक से इस्तेमाल न किया जाए तो आँखों को नुकसान पहुँच सकता है। इसलिए हम आटोमेटिक मशीन का भी इस्तमाल कर सकता है
गन्ने की आँख से पौध तैयार करना
गन्ने की आँखें निकालने के बाद, उन्हें बीज के रूप में उपयोग करने से पहले उनकी गुणवत्ता और स्वास्थ्य की जाँच की जाती है।
- गन्ने की आँखों की जाँच
- रोगग्रस्त आँखों को हटा दें, ताकि फसल में बीमारी न फैले।
- रेड रूट या अन्य बीमारियों की पहचान करें और संक्रमित आँखों को निकाल दें।
- स्वस्थ बीज से पैदावार अधिक और अच्छी गुणवत्ता की होती है।

गन्ने की आँखों का उपचार-
1. बाविस्टिन और इग्निटर का उपयोग करें
- 1 लीटर पानी में 2 ग्राम बाविस्टिन मिलाएँ।
- 10 लीटर पानी के लिए 20 ग्राम बाविस्टिन का उपयोग करें।
- इसमें 2 बूंद इग्निटर मिलाएँ, जो पानी को सामान्य करने में मदद करता है।
- इस घोल में गन्ने की आँखों को 15 मिनट के लिए भिगोकर छोड़ दें।
2. छानकर सुखाना
- 15 मिनट बाद आँखों को निकालें और छानकर सुखाएँ।
- ध्यान दें कि धूप में न सुखाएँ, क्योंकि इससे बीज खराब हो सकते हैं।
गन्ने की पौध तैयार करने की विधियाँ-
1. जुटे बोरी विधि
- गन्ने की आँखों को बोरी में बंद करके 5-6 दिन तक रखा जाता है।
- इसके बाद आँखों को ट्रे में गोबर और पानी डालकर रखा जाता है।
2. काली पानी विधि
- काली पानी में बीज़ पैक करने के बाद इसको 5-6 दिन के लिया रखा जाता है और बाद में गन्ने की आँखों को निकालकर जाँच की जाती है।
- यदि पौधा निकल आए तो उसे नर्सरी में रोपा जा सकता है।
- बोरी विधि के मुकाबले यह विधि कम प्रभावी होती है, क्योंकि जड़ निकलने की संभावना कम रहती है।
- ट्रे को काली पानी विधि के अनुसार 5-6 दिन के लिए बंद रखा जाता है।
- इस विधि में अच्छी जड़ें विकसित होती हैं, जिससे पौध तैयार करने की सफलता दर अधिक होती है।

गन्ने की आँखों को निकालने के बाद, उन्हें 14 दिनों के लिए शेडनेट में रखा जाता है हार्डनिंग के लिये, जिससे उन्हें अधिक धूप नहीं मिलती। इस प्रक्रिया से आँखों में नमी बनी रहती है और वे सूखने से बचती हैं, और वो पौध खेत में लगने के लिए तैयार हो जाती है
जुटे बोरी विधि के फायदे-
- अधिक पौध तैयार होते हैं।
- बेहतर अंकुरण दर होती है।
- बीज की गुणवत्ता उच्च रहती है।
काली पानी विधि के फायदे-
- बीज को सड़ने से बचाता है।
- गन्ने की आँखों को कीटों और फफूंद से बचाने में सहायक होता है। और साथ में जड़ अच्छा से तैयार होती है
- गन्ने की पौध तैयार करने की प्रक्रिया-
- 14 से 21 दिनों में गन्ने के पौधे पूरी तरह तैयार हो जाते हैं और इन्हें खेत में रोपण के लिए उपयोग किया जा सकता है।
- नर्सरी में पौध तैयार होते हैं,गर्मी में जल्दी तैयार हो जाता है और सर्दिओ में वही दोगुना समय लगता है, जिन्हें खेत में लगाया जा सकता है।
सीधा गन्ना बोने के नुकसान
अगर गन्ने को सीधे खेत में बोया जाए, तो निम्नलिखित समस्याएँ आती हैं:
- लेबर की कमी के कारण खेती में देरी हो सकती है।
- गन्ने की अधिक मात्रा खर्च होती है, जिससे लागत बढ़ जाती है।
- फसल तैयार होने में अधिक समय लगता है।
- अधिक पैसों की आवश्यकता होती है।
गन्ने की खेती के लिए खेत तैयार करना-
- खेत को अच्छी तरह से जोतकर समतल करें।
- 2-4 फीट के अंतर पर फरो (furrow) बनाएँ।
- 2 फीट की दूरी इसलिए रखी जाती है ताकि पौध को अच्छा पोषण मिले।

गन्ने की रोपाई की प्रक्रिया-
- पौधों को ट्रे से निकालकर खेत में रोपें।
- खेत में पानी पहले से डाल दें, ताकि पौध को नमी मिल सके।
- फरो में पानी का सही बहाव होना चाहिए, ताकि पौधे आसानी से विकसित हो सकें।
- मुंजी (धान) की तरह गन्ने की रोपाई करें, ताकि जड़ें मजबूत बनें।
- रोपण के बाद खाद डालें, जिससे पौध को आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें।
निष्कर्ष
गन्ने की आँख निकालने की मशीन और नई तकनीकों का उपयोग करके खेती की लागत को कम किया जा सकता है और उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। जुटे बोरी विधि गन्ने की पौध तैयार करने की सबसे प्रभावी विधि है, जबकि काली पानी विधि संक्रमण से बचाने में मदद करती है। इन तकनीकों को अपनाकर किसान अपनी फसल की उत्पादकता और लाभ को दोगुना कर सकते हैं।
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