आखिर क्यों बढ़ रही काले टमाटर की मांग?

17 Jan 2025 | NA
आखिर क्यों बढ़ रही काले टमाटर की मांग?

लाल टमाटर तो आप सभी खूब खाते हैं; परंतु काले टमाटर के अद्भुत लाभदायक गुणों को जानकर आप चकित रह जाएंगे। क्योंकि इसमें अधिक मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन और पोषक तत्व उपस्थित होते हैं, जिस कारण इसे "सुपरफूड"भी कहा जाता है। डॉक्टर्स के अनुसार काले टमाटर डायबिटीज और आंखों की रोशनी के लिए अत्यंत लाभकारी बताए हैं, जिस कारण उनकी डिमांड बढ़ती जा रही है। आज जानेंगे हम काले टमाटर की खेती, इनको खाने के लाभ और इसकी खेती के भविष्य से संबंधित सभी जानकारियों के बारे में। 

काले टमाटर क्या हैं?

दरअसल काले टमाटर हाइब्रिड टमाटर की एक किस्म है, जिसे प्राकृतिक विधियों द्वारा विकसित किया गया है। इसका गहरा रंग एंथोसाइनिन नामक एंटीऑक्सिडेंट के कारण होता है, जो इसे कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। यह टमाटर न केवल स्वाद में अच्छा होता है, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी सहायक है।

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काले टमाटर की खेती कैसे करें?

काले टमाटर की खेती के लिए गुणवत्ता युक्त बीजों का चयन करना आवश्यक है। इसके लिए ऐसे बीज चुनें जो प्रमाणित हों और जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक हो। "इंडिगो रोज़"और "ब्लैक क्रिम"जैसी किस्में भारत में लोकप्रिय हैं। इस टमाटर की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी (sandy loam soil) सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का पीएच स्तर 6.0-6.8 के बीच होना चाहिए। खेत की जुताई करके मिट्टी में गोबर की खाद या जैविक खाद मिलाना अनिवार्य है। काले टमाटर के लिए 18-30 डिग्री सेल्सियस तापमान आदर्श होता है। जिसे हल्की गर्म जलवायु की आवश्यकता है, लेकिन अत्यधिक गर्मी या ठंड फसल को नुकसान भी पहुंचा सकती है। अत: खेती के लिए गर्मियों और सर्दियों के बीच का समय (फरवरी-मार्च या अगस्त-सितंबर) उपयुक्त होता है। बीज को पहले नर्सरी ट्रे में 1-2 सेंटीमीटर गहराई पर बोएं। बीज अंकुरित होने में 7-10 दिन लगते हैं। पौधों को 3-4 पत्तियां आने के बाद मुख्य खेत में स्थानांतरित करेंगे तो निश्चित रूप से सफल खेती देखने को मिलेगी। 

इसके पौधों को नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती है। जिसके लिए ड्रिप इरिगेशन (टपक सिंचाई) प्रणाली का उपयोग करें। तथा खरपतवार हटाने और मिट्टी को ढीला करने के लिए समय-समय पर गुड़ाई करना भी आवश्यक है। काले टमाटर में कीटों और रोगों का खतरा अधिक होता है। अतः जैविक पद्धतियों जैसे नीम का तेल और ट्राइकोडर्मा का उपयोग करें। बैक्टीरियल स्पॉट और फफूंद रोग से बचाव के लिए पौधों पर कॉपर आधारित स्प्रे करना उचित है। बुवाई के 70-90 दिन बाद फसल तैयार हो जाती है। जब टमाटर का रंग गहरा बैंगनी या काला हो जाए, तो उसे तोड़ें।


भारत में काले टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त क्षेत्र:

काले टमाटर की खेती मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में की जा सकती है, जहां जलवायु हल्की गर्म और नमी युक्त हो। उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दक्षिण भारत में तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश और पश्चिम भारत में महाराष्ट्र और गुजरात, वहीं पूर्वोत्तर भारत में असम, मेघालय, और त्रिपुरा आदि राज्य इसकी खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी रखते हैं।

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काले टमाटर के फायदे:

स्वास्थ्य के लिए लाभकारी काले टमाटर में एंथोसाइनिन की उच्च मात्रा होती है, जो हृदय रोगों से बचाने और कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाने में मदद करता है। इसमें उपस्थित विटामिन ए, सी, और के, आयरन और कैल्शियम भरपूर मात्रा में होते हैं।

आंखों की रोशनी के लिए फायदेमंद:

काले टमाटर में विटामिन ए और ल्यूटिन होते हैं, जो आंखों की रोशनी को बेहतर बनाने और मोतियाबिंद जैसी बीमारियों से बचाने में सहायक हैं।

डायबिटीज के लिए लाभकारी:

काले टमाटर में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) होता है, जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक है। इसमें मौजूद फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाते हैं।

कैंसर से बचाव:

इसमें लाइकोपीन और एंथोसाइनिन जैसे यौगिक होते हैं, जो शरीर में कैंसर सेल्स के विकास को रोकने में मदद करते हैं। मौजूद विटामिन सी और अन्य पोषक तत्व प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं।

वजन घटाने में मददगार:

कम कैलोरी और अधिक फाइबर होने के कारण यह वजन प्रबंधन में भी सहायक है।

काले टमाटर की खेती के आर्थिक लाभ:

काले टमाटर की मांग भारत और अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी से बढ़ रही है। इसकी खेती से किसानों को पारंपरिक टमाटर की तुलना में अधिक आय प्राप्त हो सकती है। मूल्य: काले टमाटर की कीमत सामान्य टमाटर से 2-3 गुना अधिक होती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी भारी मांग है।

काले टमाटर की खेती के प्रमुख चुनौतियां:

इसके लिए आमतौर पर किसने को जलवायु परिवर्तन और कीट प्रकोप का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही खेती के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों को प्राप्त करने में भी अधिक परिश्रम करना पड़ सकता है। लोगों को काले टमाटर के गुणों के बारे में कम जानकारी होने के कारण इसका उचित बाजार और विपणन की व्यवस्था का अभाव अभी देखने को मिल सकता है।

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वास्तव में काले टमाटर की खेती एक लाभकारी और स्वास्थ्यवर्धक कृषि व्यवसाय साबित हो सकती है, क्योंकि डॉक्टर और विभिन्न डाइटिशियन लोगों को इसके सेवन की सलाह देते हैं, जिस कारण इसकी डिमांड बढ़ती जा रही है। यह न केवल किसानों के लिए आर्थिक दृष्टि से फायदेमंद है, बल्कि समाज को स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है। हालांकि, इसकी खेती में उचित प्रबंधन और आधुनिक तकनीकों का उपयोग आवश्यक है। अतः किसान वैज्ञानिक विधियों और जैविक तकनीकों की सही जानकारी और प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ही इस खेती को कर सकते हैं। यदि इसे बड़े पैमाने पर अपनाया जाए, तो यह भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को नया आयाम दे सकता है। काले टमाटर की खेती में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। दोस्तों कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट पर अवश्य बताएं तथा ऐसी जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ। धन्यवाद॥ जय हिंद, जय भारत॥

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