ईसी वजह से भारतीय चंदन को आंतरराष्ट्रीय बाजार मे बडी मांग है। भारत मे चंदन रसदार लकड़ी कि किमत 5000 से 12000 रुपये प्रती किलोग्राम है। बारीक लकडी 800 रुपये किलोग्राम है।


चन्दन का उपयोग

चन्दन का उपयोग प्रफुयम, लकड़ी के फर्नीचर और भी बहुत सारी महंगी-महंगी चीजे बनाने में किया जाता है। चन्दन के पेड़ निकलने वाला तेल भी काफी महंगा होता है।


उपयोगी भाग

लकड़ी, बीज, जड़ और तेलउत्पति

यह मूल रुप से भारत में पाये जाने वाला पौधा है। भारत के शुष्क क्षेत्रों विंध्य पर्वतमाला से लेकर दक्षिण क्षेत्र विशेष रूप से कर्नाटक और तमिलनाडु में में पाया जाता है। महाराष्ट्र मे, गुजरात में, राजस्थान, मध्यप्रदेश कि जमीन चंदन खेती के लीये बहोत अच्छी साबित होगी।

इसके अलावा यह इंडोनेशिया, मलेशिया केहिस्सों, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी पाया जाता है। चंदन परजीवी वृक्ष है। इस पौधे की जड़ें हॉस्टोरिया के सहारे दूसरे पेड़ों की जड़ों से जुड़कर भोजन, पानी और खनिज पाती रहती है। चंदन के परपोषकों में नागफनी, नीम, सिरीस, अमलतास, हरड़ आदि पेड़ों की जड़ें मुख्य हैं। चंदन के आसपास अरहर की खेती हो रही है। चंदन से दूसरी फसलों पर कीटों का असर कम व पैदावार अच्छी होती है।


अमेज़न शोपिंग साईट पर 5 ml तेल की प्राइस 1346 रूपये है, यानी अभी मार्किट में चन्दन का 1 लीटर तेल 26000 से 27000 रूपये के बिच में बिक रहा है, और एक किलो चन्दन की लकड़ी आप 6000 रूपये से लेकर 7000 तक आसानी से बेच सकते हो।

एक पारम्परिक चन्दन के पोधे का वजन 20 से 40 किलो होता है, यानी आप एक चन्दन के पोधे से 1 लाख से ढाई लाख आसानी से कमा सकते हो ,एक चन्दन के पोधे से 1 लीटर से 2 लीटर तेल आसनी निकल जाता है।

इस तरह अगर आप 100 पोधो का भी प्लांटेशन कर लेते है और उसमे से अगर 70 पोधे भी बड़े हो जाते तो आप आसानी से करोड़पति बन सकते हो एक एकड़ जमीन में 435 पोधे लगाये जा सकते है।


मिट्टी की तेयारी

चन्दन की खेती करने के लिए काली,लाल और चिकनी बलुई मिट्टी अच्छी रहती है । पुरानी मिट्टी पर इसकी खेती कर  पेड़  से अधिक तेल निकाला जा सकता है।

समुद्र सतह से 600 से 1200 मीटर की ऊँचाई पर अच्छा पनपता है। किसीभी प्रकार के जलजमाव को यह वृक्ष सहन नहीं करता है। चंदन 5 से 50 सेल्सीयस तापमान मे भी आता है। 7 से लेकर 8.5 पीएच मिट्टी की किस्म में उगाया जा सकता है। 60 से 160 से.मी के बीच वाले वर्षा क्षेत्र चंदन के लिए महत्वपूर्ण होते है। इसे दलदल जमीन पर नहीं उगाया जा सकता है।


पोधा रोपण

एक एकड़ जमीन पर 435 पोधे लगाये जा सकते है ,पोधो से पोधो के बीच में 10 फूट की जगह होनी चाहिए। चंदन के आसपास अरहर और पटसन की खेती हो सकती है। चंदन से दूसरी फसलों पर कीटों का असर कम व पैदावार अच्छी होती है।


भूमि की तैयारी

ऊचीत जल की व्यवस्था हो तो साल मे कभी भी लगा सकते है। पेड लगानेसे पहले गहरी जुताई की आवश्यकता होती है। 2-3 बार जोतकर मिट्टी क्षमता को बढ़ाया जाता है। 2x2x2 फिट का गढ्ढा बनाकर ऊसे सुखने दिया जाता है। मुरखाद कंपोस्ट खाद का ईस्तेमाल किया जा सकता है। 10×10 फिट के दुरीपर पेड लगाये 1 एकड 435 पेड आते है।


खाद एवं सिंचाई प्रबंधन

इसे अधिक उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है। शुरुवाती दिनो मे फसल वृद्धि के दौरान खाद की आवश्यकता होती है। मानसून में वृक्ष तेजी से बढ़ते है पर गर्मियों में सिंचाई की जरुरत होती है। ड्रिप विधि से सिंचाई को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सिंचाई मिट्टी में नमी धारण करने की क्षमता और मौसम पर निर्भर करती है। शुरुवाती दिनोमे मानसून के बाद दिसम्बर से मई तक सिंचाई करे।


खरपतवार

चन्दन की खेती करते समय पहले साल अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। पेड़ के आस-पास की खरपतवार को हटा देना चाहिए ।


चन्दन के पेड़ की कटाई

चन्दन के पेड़ की जड़े बहुत खुशबूदार होती है । इसके पेड़ को काटने की बजाय जड़ सहित उखाड़ दिया जाता है और लकड़ी को छोटे-छोटे पार्ट्स में काट देते है । चन्दन के पेड़ से दो तरह की लकड़ी निकलती है।

एक तो रसदार और दूसरी सुखी लकड़ी। दोनों की मार्केट में अलग कीमत है, जब चन्दन के पेड़ 15 साल के हो जाते हो तो इनसे लकड़ी प्राप्त की जाती है।

अगर आप में से कोई चन्दन की खेती करने के बारे में सोच रहा तो इसके लिए आपको अपने राज्य के फोरेस्ट डिपार्टमेंट से लाइसेंस लेना पड़ेगा।


चंदन खेती का अर्थशात्र

चंदन धीरे धीरे बढनेवाला पेड है, लेकिन समुचित जल प्रबन्धन करने पर जैसे ठिंबक सिंचन ईस्तेमाल कर हर साल पेड के तने का घेरा 12 से.मी. से बढा सकते है। 12 से 15 साल बाद जमींन से 5 फिट ऊपर तने का घेरा 80 से.मी. हो तो ऊस रक्त चंदन के पेड से 20 से 35 किलो मिल सकता है। आज का मार्केट रेट प्रती कीलो रु.6000 से 12000 है। 12-15 साल बाद का 6000 रु. रेट भी मानते है और रसदारलकड़ी 20 किलो भी मिलता हो तो 1 पेड से 1,20,000 रु. मिल सकते है। 1 एकड से 400 x 1,20,000 = रु. 4,80,00,000 (चार करोड अस्सी लाख रुपये) प्रति एकड केवल रसदार लकड़ी से मिल सकता है।