गन्ना आज दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण फसलों में से एक है, जिसका उपयोग चीनी, गुड़, इथेनॉल और रस बनाने में किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शुरुआत में गन्ना सिर्फ एक साधारण घास की तरह था? समय के साथ, किसानों और वैज्ञानिकों ने इसे बेहतर बनाया और आज यह मीठा, रस से भरा और मोटा हो चुका है। आइए जानते हैं गन्ने का इतिहास और इसका सफर।
सरकंडा से गन्ने तक का सफर
शुरुआत में गन्ना एक साधारण घास की तरह था, जिसे सरकंडा कहा जाता था। यह लंबा और पतला होता था, लेकिन ज्यादा मीठा नहीं था। धीरे-धीरे किसानों ने इसे उगाना शुरू किया और इसकी मीठी और मोटी किस्में विकसित करने की कोशिश की।

वैज्ञानिकों ने देखा कि कुछ सरकंडों में ज्यादा मिठास होती है। उन्होंने इन सबसे मीठे पौधों को चुना और उनके बीजों और टहनियों से नए पौधे उगाए। यह प्रक्रिया बार-बार दोहराई गई जब तक कि एक ऐसा पौधा नहीं मिला, जो बहुत मीठा, मोटा और ज्यादा रसदार था – और यही आज का गन्ना बना। भारत में Saccharum barberi नाम की एक और गन्ने की किस्म उगाई जाने लगी, लेकिन जब ज्यादा मीठे गन्ने की नई किस्में आईं, तो इसकी खेती कम हो गई।
गन्ने की उत्पत्ति
गन्ने की खेती की शुरुआत लगभग 6,000 साल पहले हुई थी। इसके दो मुख्य स्रोत माने जाते हैं:
1. न्यू गिनी (Saccharum officinarum) – यहाँ के लोगों ने सबसे पहले गन्ने को उगाना शुरू किया। यह गन्ना ज्यादा मीठा और रसदार था। बाद में यह दक्षिण-पूर्व एशिया और भारत तक फैल गया।
2. चीन और ताइवान (Saccharum sinense) – यहाँ करीब 5,500 साल पहले गन्ने की एक दूसरी किस्म उगाई जाती थी, लेकिन जब मीठा गन्ना (Saccharum officinarum) आया, तो इसकी खेती धीरे-धीरे कम हो गई।

गन्ने का प्रसार (फैलाव)
- गन्ने की खेती भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया से शुरू होकर पूरी दुनिया में फैली।
- 3,500 साल पहले – गन्ने को दक्षिण-पूर्व एशिया से पोलिनेशिया और माइक्रोनेशिया ले जाया गया।
- 3,000 साल पहले – व्यापारियों ने इसे चीन और भारत तक पहुँचाया। यहाँ इसकी दूसरी किस्मों से मिलाकर नई प्रजातियाँ बनाई गईं।
- लगभग 8वीं शताब्दी – मुस्लिम और अरब व्यापारियों ने इसे भारत से मिस्र, इराक, उत्तरी अफ्रीका और स्पेन तक पहुँचा दिया।
- 10वीं शताब्दी – इराक (मेसोपोटामिया) के हर गाँव में गन्ना उगाया जाने लगा।
- स्पेन और पुर्तगाल के लोग इसे अमेरिका ले गए – स्पेनिश लोग इसे कैनरी द्वीप से और पुर्तगालियों ने मदीरा द्वीप से अमेरिका में फैलाया।
भारत में गन्ने से चीनी बनने की शुरुआत
सबसे पहले चीनी बनाने की शुरुआत उत्तर भारत में हुई थी। इसका ज़िक्र पुराने संस्कृत और पाली ग्रंथों में मिलता है। भारत में चीनी बनाने की कला इतनी विकसित हो चुकी थी कि यहाँ बनने वाली चीनी और गुड़ की माँग अन्य देशों में भी बढ़ गई।

आज का गन्ना और उसका महत्व
- गन्ना आज दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण नकदी फसलों (Cash Crop) में से एक है। इसे गर्म और नमी वाले इलाकों में उगाया जाता है। गन्ने से चीनी, गुड़, इथेनॉल और रस बनाया जाता है।
- 2020 में पूरी दुनिया में 1.9 अरब टन गन्ने का उत्पादन हुआ था, जिसमें अकेले ब्राज़ील ने 40% उत्पादन किया। भारत भी गन्ने का एक प्रमुख उत्पादक देश है।
निष्कर्ष
गन्ने का सफर जंगलों में उगने वाली एक साधारण घास से लेकर मीठे रस से भरी फसल तक काफी लंबा रहा है। हजारों सालों की मेहनत, वैज्ञानिक परीक्षण और किसानों की सूझबूझ से आज का गन्ना बना है। आज यह न सिर्फ हमारे खाने-पीने में उपयोग होता है, बल्कि इससे बनी चीनी और अन्य उत्पाद पूरी दुनिया में पसंद किए जाते हैं। गन्ना सिर्फ एक फसल नहीं, बल्कि एक मीठी विरासत है!
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