खेती-किसानी अब सिर्फ हल और बैल तक सीमित नहीं रही। नई तकनीक और डिजिटल साधनों ने खेती को एक नया रूप दे दिया है। इसका जीवंत उदाहरण हैं बिहार के समस्तीपुर जिले के सुधांशु कुमार, जो पिछले 38 वर्षों से खेती कर रहे हैं और अब करीब सवा 100 एकड़ ज़मीन पर हाईटेक खेती कर रहे हैं।


बटन दबाइए – खेत में खाद-पानी अपने आप पहुंचेगा

सुधांशु जी के खेत में कुल 16 से 18 हज़ार पौधे हैं, जिनकी सिंचाई और पोषण की व्यवस्था एक ऑटोमेटेड माइक्रो इरिगेशन सिस्टम से की जाती है। इसके लिए खेत में एक कंट्रोल रूम बना है, जहाँ से लैपटॉप और मोबाइल एप्लिकेशन के ज़रिए सब कुछ संचालित होता है। उदाहरण के लिए, अगर सुबह 9 बजे से पानी देना हो और हर पौधे को 4 ग्राम खाद देनी हो, तो उसे एक दिन पहले ही कंट्रोलर में प्रोग्राम कर दिया जाता है। तय समय पर सिस्टम अपने आप काम करता है पानी चलता है, खाद मिलती है और सब कुछ सटीक ढंग से होता है।

उन्नत तकनीक का कमाल

खेत में कई सोलोनॉइड वॉल्व लगे हुए हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल के माध्यम से स्वचालित रूप से खुलते और बंद होते हैं। पूरे खेत में जगह-जगह रेडियो ट्रांसमिशन डिवाइसेस लगे हैं, जो बिना तार के संकेत भेजते हैं कि किस वॉल्व को कब खोलना है। खाद के लिए टैंक सिस्टम बना है, जिसमें खाद का घोल तैयार होता है। फिर वह उसी पाइपलाइन के माध्यम से चुने हुए पौधों तक पहुँचता है। इससे मेहनत तो बचती ही है, सटीकता और बचत भी होती है।

मौसम भी अब मशीन से समझिए

खेती में मौसम का बहुत बड़ा योगदान होता है। इसके लिए सुधांशु जी ने खेत में सेल्फ-अपलोडिंग वेदर स्टेशन लगवाया है। यह हर घंटे हवा की गति, नमी, तापमान, वर्षा की स्थिति आदि को मापकर डेटा को सर्वर पर अपलोड कर देता है, जिसे किसान मोबाइल ऐप पर लाइव देख सकते हैं। इससे तय किया जा सकता है कि कब सिंचाई करनी है और कब नहीं।

हाई डेंसिटी बागवानी – कम जगह, ज्यादा मुनाफा

सुधांशु कुमार का पूरा ध्यान अब फलों की खेती पर है। उन्होंने हाई डेंसिटी तकनीक से जामुन का बाग़ लगाया है। इसमें पेड़ों को छोटा रखा जाता है ताकि फल तोड़ना आसान हो और उत्पादन अधिक हो। उनके फार्म में मौसमी, अमरूद, शरीफा, ड्रैगन फ्रूट जैसे फलदार पौधे हैं और वो भी सीडलेस वैरायटी में। इसका सीधा असर प्रॉफिट पर पड़ता है। उनका मानना है कि अगर किसान आम, केला, लीची, ड्रैगन फ्रूट जैसी फलों की खेती करें, तो गेहूं और मक्का से कई गुना ज़्यादा मुनाफा मिल सकता है।


खेती का भविष्य – फोन से फार्मिंग

सुधांशु जी का फार्मिंग मॉडल बताता है कि अगर किसान आधुनिक तकनीक अपनाएं, तो कम समय में, कम मेहनत से ज़्यादा उत्पादन और मुनाफा संभव है। आज वह खुद पूरे खेत को अपने फोन से कंट्रोल करते हैं चाहे सिंचाई हो, खाद का वितरण, मौसम की जानकारी या फिर फसलों की निगरानी।


निष्कर्ष

सुधांशु कुमार जैसे किसान आज के दौर में आधुनिक खेती की असली पहचान हैं। उन्होंने दिखा दिया कि डिजिटल इंडिया का सपना खेतों में भी साकार हो सकता है। यह मॉडल पूरे देश के किसानों के लिए प्रेरणा है कि खेती सिर्फ परंपरा नहीं, एक स्मार्ट बिज़नेस मॉडल भी बन सकती है।