सींग खाद एक ऐसा शक्तिशाली जैविक उर्वरक, जिसकी 100 ग्राम मात्रा ही कई एकड़ क्षेत्रफल भूमि को उपजाऊ बना देने के लिए पर्याप्त है। इस खाद को मृतक पशुओं के सींगो से तैयार किया जाता है। यह उर्वरक कृषि में एक प्राकृतिक विकल्प के रूप में उपयोगी है और इसे जैविक खेती के लिए खासतौर पर प्रयोग किया जाता है। सींग खाद का मुख्य उद्देश्य मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने, पौधों को पोषक तत्व प्रदान करने और कृषि में रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करना है, इसी कारण इसकी डिमांड शीर्ष पर रहती है। आये जानते हैं इसके बनाने की विधि के साथ-साथ इससे जुड़े सभी रहस्यों को, जो पौधों और मिट्टी के लिए अत्यधिक लाभकारी हैं।
सींग खाद की निर्माण-विधि:
सींग खाद का निर्माण गाय, भैंस और बकरियों के सींगों से किया जाता है, परंतु इन पशुओं में भी मुख्य रूप से मृतक गाय के सींग से तैयार खाद सबसे शक्तिशाली और अच्छा माना जाता है। यह बनाने के लिए सबसे पहले मरी हुई गाय के कंकाल से सींग लिये जाते है, फिर सींग के अंदर के पदार्थ को खुरचकर बाहर निकाल कर उसे साफ पानी से धोकर धूप में सुखाया जाता है।
ऐसा करने से बदबू खत्म हो जाती है। और यदि गाय के सींग पर किसी प्रकार का रंग या कोई अन्य पदार्थ लगा हुआ है तो उसे मिट्टी के तेल आदि से अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए। अब इस प्राप्त खोखले सींग में दूध देने वाली गाय के गोबर को अच्छी तरह से दबा-दबाकर भरा जाता है। ध्यान रहे इसमें कोई खाली जगह ना हो। इस प्रकार सींग में अच्छे से दुधारू गाय का स्वच्छ गोबर भरकर एक खाली जगह में लगभग 50 सेंटीमीटर का गढ्ढा आवश्यक लंबाई चौड़ाई के अनुसार खोन दें और उसमें इस सींग को दबा दें। ध्यान रहे सींग का नुकीले वाला हिस्सा ऊपर की तरफ और चौड़े वाला हिस्सा नीचे की तरफ हो। अब इस गड्ढे को मिट्टी और सड़े हुए गाय के गोबर से (25:1 के अनुपात में) भरकर 15 से 17 दिन के लिए छोड़ दें तथा समय-समय पर नमी और उमस बनाने के लिए गड्ढे के ऊपर पानी का छिड़काव करते रहें।
सींग खाद तैयार करने की अन्य विधि:
सींगो में गोबर भरने के अलावा अन्य विधि में विभिन्न पशुओं के सींगो को विशेष धारदार उपकरणों से छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित करके उन्हें मशीन में पीसकर बारीक पाउडर बनाकर खाद के रूप में परिवर्तित कर लेते हैं। इस दौरान सींग के कठोर हिस्से को अलग कर लिया जाता है। यह पाउडर उर्वरक के रूप में पौधों के लिए तैयार होता है। इस पाउडर में कई पोषक तत्व होते हैं जो मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं और पौधों के विकास में मदद करते हैं।
खाद्य प्रयोग करने का तरीका:
सींग खाद बहुत ही स्ट्रांग माना जाता है। इसकी 100 ग्राम मात्रा ही एक एकड़ क्षेत्रफल भूमि के लिए पर्याप्त होती है। इसका प्रयोग करने हेतु 40 लीटर जल में 100 ग्राम खाद को घोलकर, उसका खेत में स्प्रे करना होता है। इस प्रकार खाद का स्प्रे प्रत्येक फसल पर दो बार किया जाता है, सबसे पहली बार फसल लगाते समय तथा दूसरी बार फसल लगाने के 15 से 20 दिन बाद इस खाद का स्प्रे किया जाता है। इस खाद का अच्छा परिणाम पाने के लिए इसको सूर्यास्त के बाद तथा पूर्णिमा के आसपास वाले दिनों में करना उचित माना जाता है।
पोषक तत्वों का मिश्रण:
सींग पाउडर को अन्य जैविक उर्वरकों, जैसे गोबर की खाद या ह्यूमस के साथ मिश्रित किया जाता है। यह मिश्रण मिट्टी में विभिन्न पोषक तत्वों की संतुलित आपूर्ति रखता है। सींग खाद में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाशियम, कैल्शियम और अन्य खनिज होते हैं, जो मिट्टी को समृद्ध बनाते हैं। सींग खाद तैयार हो जाने के बाद, इसे पैक करके बाजार में बेचा जाता है। इसे हवा से सुरक्षित रखने के लिए एयर-टाइट कंटेनरों में रखा जाता है।
सींग खाद के उपयोग:
सींग खाद का उपयोग कृषि में विशेष रूप से मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और पौधों के विकास को उत्तेजित करने के लिए किया जाता है। इसके उपयोग से मिट्टी की संरचना में सुधार आकर मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ाती है, जिससे पौधों को पानी की पर्याप्त आपूर्ति मिलती रहती है। सींग खाद में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाशियम और कैल्शियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं, जो पौधों के अच्छे विकास के लिए आवश्यक हैं। ये खाद धीरे-धीरे मिट्टी में इन तत्वों को छोड़ता है, जिससे पौधे लंबे समय तक इनका लाभ उठा सकते हैं। इस खाद की जैविक खेती में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। यह रासायनिक उर्वरकों का प्राकृतिक और पर्यावरण-friendly विकल्प है। इसी के साथ यह खाद मिट्टी में जैविक गतिविधियों को बढ़ाता है, जो कीटों और रोगों से लड़ने में मदद करती हैं।
सींग खाद का बाजार मूल्य:
सींग खाद का बाजार मूल्य विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि सींग का स्रोत, खाद की गुणवत्ता, पैकिंग की विधि, और आपूर्ति-डिमांड का संतुलन। भारतीय बाजार में सींग खाद का मूल्य सामान्यत: ₹200 से ₹700 प्रति किलोग्राम के बीच होता है। यह मूल्य सींग के प्रकार (गाय, भैंस, या बकरा) और खाद के मिश्रण पर निर्भर करता है। अगर खाद में अन्य जैविक पोषक तत्व भी मिलाए गए हों, तो इसका मूल्य थोड़ा अधिक हो सकता है।
सींग खाद के भविष्य की संभावनाएँ उज्जवल हैं, क्योंकि किसान अब जैविक खेती को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं। बढ़ती जनसंख्या और खाद्य सुरक्षा के मुद्दों को देखते हुए, सींग खाद जैसी जैविक और पर्यावरण-friendly तकनीकों का इस्तेमाल बढ़ेगा। इसके अलावा, सरकार द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन योजनाएं लागू की जा रही हैं, जो सींग खाद जैसी प्राकृतिक उर्वरकों की मांग को और बढ़ा सकती हैं। शहरी क्षेत्र में भी छोटे पैमाने पर सींग खाद का उत्पादन बढ़ सकता है, क्योंकि लोग अपनी बगियाओं और छोटे खेतों के लिए जैविक उर्वरक की तलाश में हैं। परंतु फिर भी इसके उपयोग से पूर्व खाद प्रयोगशाला में इसकी प्रकृति और अन्य गुना की जानकारी लेना अति आवश्यक है।
सींग खाद एक प्रभावी और प्राकृतिक जैविक उर्वरक है, जो कृषि की उर्वरता बढ़ाने, पौधों के स्वास्थ्य में सुधार करने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मदद करता है। यह गाय, भैंस और बकरियों के सींग से तैयार किया जाता है और इसमें पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है। इसकी बढ़ती मांग जैविक खेती के क्षेत्र में इस उत्पाद को और भी लोकप्रिय बना रही है। सींग खाद का भविष्य कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, क्योंकि यह पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देता है। तो दोस्तों कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट कर अवश्य बताएं तथा ऐसे ही जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ धन्यवाद॥ जय हिंद, जय किसान॥
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