अगर आप एक ऐसा व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं जो अनोखा भी हो और मुनाफा भी दे, तो मोती की खेती यानी पर्ल फार्मिंग आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। आज हम बात करेंगे जितेंद्र चौधरी जी की जो मुरादनगर (उत्तर प्रदेश) में मोती की खेती कर रहे हैं और इससे अच्छी आमदनी कमा रहे हैं। इनके पास इनकी पूरी टीम है तो आज जानते है इनसे की मोती की खेती कैसे करनी है और इसमें कितना खर्चा और मुनाफा मिलता है।

मोती कैसे बनता है?
मोती एक प्रकार का जैविक रत्न है जो एक विशेष समुद्री जीव 'सिप' के अंदर बनता है। जब किसी बाहरी कण जैसे रेत का टुकड़ा सिप के अंदर चला जाता है तो सिप उसे ढकने के लिए मोती जैसा पदार्थ बनाता है। यही प्रक्रिया हमें मोती देती है।
सिप का चयन और उसकी जांच
मोती की खेती की शुरुआत सिप को लाकर की जाती है। सबसे पहले हर सिप का वजन और डिज़ाइन जांचा जाता है। अच्छे मोती के लिए सिप का वजन 40 ग्राम से अधिक होना चाहिए। जितेंद्र जी बताते हैं कि सिप में मोती बनने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद उन्हें खास टैंकों में रखा जाता है। एक ट्रे में 3 बकेट में सिप रखे जाते हैं।एक टैंक की क्षमता 1000 सिप तक होती है।एक सिप से 6 से 10 मोती तक निकल सकते हैं।

टैंक और पानी की देखभाल
मोती की खेती में साफ और पोषक तत्वों से भरपूर पानी बहुत ज़रूरी होता है। टैंक को खास डिजाइन में बनाया जाता है टैंक 5 फीट ऊंचा और नीचे से कोनिकल शेप में होता है जिससे पानी का अच्छे से सर्कुलेशन होता है। पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए समय-समय पर उसे बदला जाता है। पानी में ऑक्सीजन की मात्रा 10 से 12 रेंज में रखी जाती है ताकि सिप स्वस्थ रहें। टैंक में बैक्टीरिया भी डाले जाते हैं जो अमोनिया को नाइट्रेट में बदलते हैं। इससे पानी साफ और ताजा बना रहता है।

सिप की फीडिंग
सिप को जीवित और स्वस्थ रखने के लिए उन्हें ग्रीन अल्गी खिलाई जाती है। इसमें मुख्य रूप से Chlorella, Chlorococcum, Spirogyra जैसी सिंगल-सेल अल्गी होती हैं। ये अल्गी बाल्टियों के हिसाब से टैंक में डाली जाती हैं।
मोती की ग्रेडिंग और बिक्री
मोती बनने में 24 महीने से लेकर 60 महीने तक का समय लगता है। जब मोती तैयार हो जाते हैं तब उनकी जांच और ग्रेडिंग की जाती है। जितेंद्र जी के पास कई प्रकार के मोती हैं:
- राउंड मोती
- काशी मोती
- बोरिक मोती
सस्ते से लेकर महंगे तक सभी तरह के मोती उनके पास उपलब्ध हैं।
मोती का सबसे ज़्यादा उपयोग ज्वेलरी इंडस्ट्री में होता है लेकिन इसके अलावा आयुर्वेदिक दवाओं में भी इसका प्रयोग बढ़ता जा रहा है।

लागत और कमाई
अगर आप मोती की खेती शुरू करना चाहते हैं तो शुरुआती लागत 40 से 50 लाख रुपये तक हो सकती है
सिप की कीमत – ₹7 से ₹8 प्रति सिप
न्यूक्लियस (बीज) – ₹5 लाख तक
टैंक, पाइपलाइन, ऑक्सीजन सिस्टम आदि की लागत भी शामिल है।
एक बार निवेश करने के बाद हर साल इससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।

निष्कर्ष
मोती की खेती भारत में धीरे-धीरे लोकप्रिय होती जा रही है। अगर आपके पास साफ पानी, जगह और मेहनत करने का जज़्बा है, तो किसान भाई इस व्यवसाय से लाखों कमा सकते हैं। जितेंद्र चौधरी जी जैसे किसानों से प्रेरणा लेकर आप भी इस अनोखे क्षेत्र में कदम रख सकते हैं।
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