राजस्थान की रेत में बसा एक अनोखा गाँव ‘शिल्पग्राम’, जहां आधुनिकता नहीं, बल्कि पुरातन ज्ञान और परंपरा की तकनीकें जीवन को सरल और टिकाऊ बनाती हैं। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा निर्मित यह ग्राम केवल एक गांव नहीं, बल्कि "आर्ट एंड क्राफ्ट विलेज" है, जिसका नाम ही इसकी पहचान है 'शिल्प' यानी कला और 'ग्राम' यानी गांव। यह जैसलमेर के रमा गांव के मध्य स्थित है और ग्रामीण भारत की पुरातन वास्तुकला, तकनीक और सांस्कृतिक विरासत का जीवंत उदाहरण है।


प्राकृतिक फ्रिज – मिट्टी और गोबर से बनी ठंडी अलमारी

यहाँ पर बना कोल्ड स्टोरेज किसी आधुनिक रेफ्रिजरेटर से कम नहीं। इसमें न बर्फ की ज़रूरत है, न ही बिजली की। इसकी दीवारें गोबर, मिट्टी और घास से बनी होती हैं, जो गर्मी में ठंडक और सर्दी में गर्माहट प्रदान करती हैं। इसमें क्रॉस वेंटिलेशन के लिए नीचे छोटे-छोटे छेद बनाए गए हैं, जिससे हवा लगातार अंदर घूमती रहती है। इसी वेंटिलेशन के कारण इसमें दूध, सब्ज़ियाँ और अन्य घरेलू वस्तुएं लंबे समय तक सुरक्षित रहती हैं।

स्मार्ट डिज़ाइन से बनी दीवारें और छत

इस कोल्ड स्टोरेज या घर को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि छत पर आने वाली तेज धूप भी घर के अंदर असर नहीं डालती। इसकी छत इस प्रकार ढाली गई है कि सूर्य की किरणें प्रतिबिंबित (reflect) होकर वापस लौट जाती हैं और तापमान नियंत्रित रहता है। दीवारों पर पारंपरिक लीपन कला और शीशे लगाए गए हैं, जो प्रकाश को भी सुंदरता में बदल देते हैं।

क्रॉस वेंटिलेशन का चमत्कार

यहाँ बनाए गए घरों की सबसे अनोखी विशेषता है क्रॉस वेंटिलेशन। चाहे वो स्क्वायर आकार का घर हो या गोल आकार का – चारों दिशाओं से आती हुई हवा घर को स्वाभाविक रूप से ठंडा रखती है। यही तकनीक इस गाँव को पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा स्वतंत्र बनाती है।


राजस्थान के राजाओं का ऐतिहासिक रथ

गांव के प्रवेश द्वार पर राजस्थान के राजाओं का भव्य रथ भी प्रदर्शित है। यह रथ दो हाथियों द्वारा खींचा जाता था। इसमें इस्तेमाल की गई लकड़ी सगौन की है, जो दीमक रोधी होती है और वर्षों तक टिकाऊ रहती है। इसकी बनावट ऐसी है कि इसमें बैठने वाले को झटका न लगे — राजसी आराम का प्रतीक।

संस्कृति और पर्यावरण का संगम

शिल्पग्राम की हर दीवार, हर झरोखा, हर कोना अपनी एक कहानी कहता है। रमा गांव के जॉइंट फैमिली हाउस में बनाया गया रसोईघर गर्मियों में भी ठंडा रहता है। घर के पास बने कैमल स्पेस और विशेष वेंटिलेशन से घर के तापमान में लगभग 50% की कमी आती है। बर्तन धोने के लिए एक सुनियोजित जगह बनाई गई है जिससे पानी की बर्बादी न हो।

मंदिर जैसा निर्माण – ‘देवरा’

इस ग्राम में जो दीवार बनाई गई है, उसमें छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जो वेंटिलेशन के लिए अच्छा है। यही निर्माण परंपरा राजस्थान के देवरा मंदिरों में देखने को मिलती है – जहां विज्ञान, वास्तु और आध्यात्म का अद्भुत संगम है।

हथकरघा कक्ष – वीविंग का जीवंत इतिहास

यहाँ एक विशेष कमरा हथकरघा (weaving) के लिए भी बनाया गया है, जहाँ कभी महिलाएं पारंपरिक बुनाई करती थीं। यह कमरा शिल्पग्राम की उस कला को जीवित रखने का प्रतीक है, जो आधुनिक युग में लुप्त होती जा रही है।


निष्कर्ष:

शिल्पग्राम केवल एक गांव नहीं, बल्कि भविष्य की टिकाऊ जीवनशैली का उदाहरण है। यह हमें सिखाता है कि कैसे बिना बिजली, प्लास्टिक या आधुनिक मशीनों के हम प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर एक सुसंस्कृत और आत्मनिर्भर जीवन जी सकते हैं। भारत की पारंपरिक तकनीकें आज भी उतनी ही कारगर हैं, जितनी हजारों वर्ष पूर्व थीं बस ज़रूरत है उन्हें पहचानने और अपनाने की।