बिहार के एक छोटे से किसान की कहानी जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। एक सोच ने उसकी लाइफ बदल दी। अपनी गिरवी जमीन को ही कांट्रैक्‍ट पर लिया और उसमें पपीते की फसल लगा दी। महज 7 महीने में ही न सिर्फ अपनी जमीन मुक्‍त करा ली बल्कि 5 लाख का मुनाफा भी कमया।

भागलपुर जिले के रंगराचैक ब्‍लॉक के गांव चापर निवासी परशुराम दास की आर्थिक स्‍थिति ठीक न होने के कारण उन्‍होंने 10वीं में ही पढ़ाई छोड़ दी थी। जल्‍द शादी हो गई और इसके बाद बच्‍चे। सबका गुजारा करने को केवल 5 बीघा जमीन थी। लेकिन कुछ समय बाद जब गुजारा नहीं चला तो परशुराम को यह जमीन भी गिरवी रखनी पड़ गई।

उसके बाद परशुराम को जब कोई रास्‍ता न सूझा तो पड़ोस के मित्र ने उन्‍हें पपीते की खेती के बारे में बताया। 2011 में परशुराम ने अपनी गिरवी जमीन को ही किराए पर लिया और पपीते की फसल लगा दी।उन्‍होंने कुछ उन्नत किस्म के पपीते जैसे पूसा नन्हा, चड्ढा सिलेक्शन, रेड लेडी व अन्य की खेती शुरू कर दी। पहली बार फसल खराब हो गई मगर उसके बाद बंपर फसल हुई।

पपीते की फसल की उत्‍तम पैदावार के बाद उसकी बिक्री हुई तो परशुराम ने सब खर्च निकालकर जब मुनाफा जोड़ा तो 5 लाख रुपए हुआ। परशुराम ने तत्‍काल अपनी जमीन मुक्‍त कराई। अब परशुराम 5 साल से यही पपीते की खेती कर रहे हैं।

पपीते की फसल को साल में 3 बार फरवरी-मार्च, मानसून सीजन और नवंबर-दिसंबर में लगाया जा सकता है। रोपे जाने के बाद पपीता का पेड़ लगभग 3 से 4 साल तक लगभग 75 से 100 टन प्रति हेक्‍टेयर की पैदावार होती है।भारत के लगभग सभी राज्‍यों में पपीते की फसल होती है और लगभग सभी मंडियों में इसकी मांग है।भारत से हर साल लाखों टन पपीता एक्‍सपोर्ट भी किया जाता है।