राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले के परलीका गांव के रहने वाले अजय स्वामी कभी चाय की दुकान पर चाय बेचते थे और आज एलोवेरा की खेती कर लाखो कमाते हैं। अजय बताते हैं कि बचपन मे ही पिता का साया सर से उठ गया। आठवी तक की भी पढ़ाई बहुत मुश्किल से ननिहाल में रहकर की। उसके बाद अपना और अपने परिवार के गुज़ारे के लिए के चाय की दुकान पर 10 रुपये की नौकरी की। 1 साल नौकरी करने के बाद इन्होंने अपनी खुद की चाय की दुकान खोल ली और इससे अपने परिवार का पेट पालने लगे।


ऐसे करी एलोवेरा की खेती की शुरुआत 

एक दिन अखबार में एलोवेरा की खेती के बारे में पढ़ा उस समय एलोवेरा के उत्पाद की बाज़ार में मांग थी। तब अजय ने भी एलोवेरा की खेती करने की सोची। 2 बीघा जमीन थी इनके पास पर परेशानी थी कि खेती के लिए एलोवेरा का पौधा कहा से लाए। इंक एक मित्र ने बताया कि चुरू के गांव के एक कब्रिस्तान में एलोवेरा के ढेर सारे पौधे हैं। यह पूरे कब्रिस्तान में फैल गए हैं इसलिए गांव वाले इसे हटाना चाहते हैं। फिर क्या अजय अपने कुछ दोस्तों के साथ ट्रैक्टर और ट्रॉली लेकर पहुँच गए उस जगह । वहाँ से बारमंडिसिस प्रजाति के एलोवेरा के पौधे लेकर आए।

अपने 2 बीघा जमीन पड़ अजय ने बारमंडिसिस प्रजाति के एलोवेरा के पौधे लगाए। अजय ने एक से डेढ़ साल तक अपनी चाय की दुकान और एलोवेरा की खेती एक साथ संभाली । पहली फसल एक साल के भीतर ही तैयार हो गई पर कोई स्थानीय ख़रीदार ना होने के कारण अजय दो साल तक अपनी फसल नही बेच पाए। इन्होंने एलोवेरा के उत्पादों के बारे में पढ़ रखा था तो इन्होंने भी एलोवेरा के उत्पाद बनाने की सोची। इसके लिए वह मिक्सर खरीद लाए और सबसे पहले एलोवेरा का जूस निकाल कर पानी के बोतल में बेचना शुर किया । उनका यह प्रोसेसिंग का काम चल निकला। उनके इस उत्पाद को एक-दो कंपनियां खरीदने लगी। तब उन्होंने अपनी चाय की दुकान बंद कर पूरा ध्यान खेती और प्रोसेसिंग पर लगाने की सोची।

45  से अधिक प्रोडक्ट्स करते हैं तैयार 

अजय स्वामी ने कृषि विज्ञान केंद्र जाकर एलोवेरा से साबुन ,क्रीम और अन्य उत्पाद बनाने की जानकारी प्राप्त की। इन सब के लिए उन्होंने और ज़मीन खरीदकर उसपर प्रोसेसिंग यूनिट लगाई। दो बीघे ज़मीन से शुरुआत करने वाले अजय आज 27 बीघा ज़मीन पर खेती करते हैं और आज उनके प्रोसेसिंग यूनिट से 45 से ज़्यादा उत्पाद बन रहे हैं। 

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