भोपाल: मध्यप्रदेश सरकार किसानों के नाम पर बड़े-बड़े ऐलान कर रही है । मुख्यमंत्री को विपक्षी दल घोषणावीर की संज्ञा दे चुके हैं । आरोप लगा रहे हैं कि पिछले कुछ सालों में उनकी एक दो नहीं 22000 घोषणाएं अधूरी हैं । लेकिन जो पूरी हो रही हैं, उसमें भी भ्रष्टाचार का बोलबाला है ।


ताज़ा मामला उद्यानिकी विभाग का है जहां अधिकारी कथित तौर पर निजी कंपनियों से सांठगांठ कर शासन से किसानों को मिलने वाली सब्सिडी को हजम कर गए । राशि का भुगतान हो गया, किसान को पता नहीं लगा । तो कहीं एक नाम पर तीन-तीन बार भुगतान हो गया


सरकारी फाइलो में उद्यानिकी विभाग की ड्रिप इरीगेशन योजना में किसान के नाम पर एक नहीं तीन बार अनुदान लिया गया । रकम लगभग 10 लाख। ऐसी योजना के बारे मैं किसानो को पता भी नहीं । कागज़ पर किसानो के नाम पर पैसे निकाल लिए । कुछ किसानो ने इसकी शिकायत कलेक्टर साहब से की है। दोषी को सज़ा देने का आश्वासन दिया गया हैं ।


सुमित्रा बूंद-बूंद पानी से घर-खेत का काम चलाती हैं। उन्हें भी पता नहीं कि कब कैसे उनके नाम पर दो दफे ड्रिप इरीगेशन का अनुदान निकल गया। सुमित्रा ने बताया कि अजय राणा ने एक बार रजिस्ट्रेशन कराया। एक बार सामान मिला। लेकिन लिस्ट में दो-दो जगह नाम आ गया। मम्मी-पापा के नाम से पंजीयन करवाया था। दस छड़ व दस बंडल मिले थे। लेकिन जांच करने वाले आए तो उन्होंने बताया कि आपके 2-2 जगह ड्रिप निकल चुकी है।


गोपाल और शिवलाल जैसे किसानों को आवेदन के बाद सामान लेने बुलाया गया। आरोप है कि जब वे गए तो पहले कुछ बहाना बनाकर सामान नहीं मिला। बाद में पता लगा कि उनके नाम से स्वीकृत हुआ सामान कोई और ले गया। शिकायत की लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। गोपाल शर्मा ने कहा कंटालिया नर्सरी पर गए, तीन बार आवेदन दिया। फिर ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर बुलाया गया। जब गए तो कहा कि किसी की मौत हो गई आज नहीं देंगे। बाद में फुसलाते रहे, कहा सूचना दे देंगे।आज तक सूचना नहीं दी। जब जानकारी ली तो पता लगा पैसा भी निकल गया, ड्रिप भी नहीं मिली ।वहीं शिवलाल का कहना था कि हमने शिकायत की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।


अकेले सुसनेर में उद्यानिकी विभाग ने कहा कि उसने 2230 किसानों को योजना का फायदा दिया।लेकिन प्रशासन ने जब सुसनेर जनपद पंचायत के तहत 55 पंचायतों में भौतिक सत्यापन करवाया तो पता लगा 800 हितग्राहियों को सामान मिला। 1430 किसानों ने बताया कि उन्हें कुछ नहीं मिला, 200 तो ऐसे थे जो उन गांवों में रहते ही नहीं।


इस पूरे मामले में प्रशासन ने शिकायत मिलने के बाद एक निजी वेयरहाऊस से ड्रिप इरिगेशन से जुड़ा सामान ज़ब्त किया। कुछ लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई. । कलेक्टर अजय गुप्ता ने कहा 4 कंपनियों ने क्लेम किया उनके खिलाफ एफआईआर हुई है। चार अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई हुई है। कृषकों का अंश कंपनी ने भरा लेकिन जो सिस्टम लगाना था वो नहीं लगाया।वहीं एसपी मनोज कुमार सिंह ने बताया 420, 467, 468 में मामला दर्ज किया है, अभी तक दो प्रकरण दर्ज किए हैं।


मंत्रीजी कार्रवाई पर खुश हैं। किसान परेशान। मंत्रीजी की सलाह है वे फिर से आवेदन करें। विपक्ष कह रहा है प्रदेश में घोटाले पर घोटाले हो रहे हैं । उद्यानिकी विभाग के मंत्री सूर्यप्रकाश मीणा ने कहा हम लगातार सख्त कार्रवाई कर रहे हैं, न केवल अधिकारियों को सस्पेंड किया बल्कि कंपनियों को ब्लैक लिस्ट किया ।


वहीं नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा योजना बहुत अच्छी है लेकिन क्रियान्वन सही ना हो, लाभ किसी और को मिले तो घटिया प्रशासन है। राज्य में स्कैम पर स्कैम हो रहे हैं दुर्भाग्य है।


मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात कहते हैं। लेकिन ये हकीकत भूल कर कि उनके राज्य में अब तक ये जुमला 15,283 किसानों के काम नहीं आया और वो आत्महत्या कर चुके हैं । 2018 में मध्यप्रदेश सरकार ने खेती के लिए 37,498 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, लेकिन एक के बाद जिस तरह के खेती के घोटाले सामने आ रहे हैं उनसे ऐसा नहीं लगता ये सही जगह पहुँच पायेगा।