वो अपने खेत की जुताई नहीं करते, कोई रासायनिक उर्वरक या खाद का इस्तेमाल नहीं करते, और एशिया के तकरीबन सभी भागों में धान की खेती करने वाले किसानों की तरह वो अपने धान के खेत में पानी भी नहीं भरते और तब भी उनके खेतों का उत्पादन जापान के इसी तरह के अन्य खेतों के उत्पादन से ज्यादा या तकरीबन बराबर होता था।

मासानोबू ने कहते थे की उनके पड़ोसी के खेत में चावल के पौधे की ऊंचाई अगस्त के महीने में उनकी कमर तक या उससे ऊफर तक आ जाती थी। जबकि उनके खुद के खेत में ये ऊंचाई करीब आधी ही रहती थी। लेकिन फिर भी वो खुश रहते थे क्योंकि उनको मालूम होता था कि उनका कम ऊंचाई वाला पौधा बाकियों के बराबर या ज्यादा पैदावार देगा।

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