चमत्कारी गुणों से भरपूर:-
देश के जंगलों में बहुत सारी ऐसी जड़ी – बूटी की पौधे होते हैं जिसके बार में आम लोगों को कम जानकारी होती है उनमें से एक है काली हल्दी। काली हल्दी (Black Turmeric) का पोधा औषधीय गुणों से भरपूर होती है। काली हल्दी का उपयोग केंसर जैसी दवाइयां बनाने के साथ अन्य दवाइयों में भी इसका प्रयोग होता है इसलिए देश विदेश में यह बहुत अधिक दामों पर बिकती है। काली हल्दी सोंदर्य प्रसाधन के उत्पाद बनाने के काम भी आती है। किसान समाधान आपके लिए काली हल्दी से जुडी सभी जानकारी लेकर आया है।
कैसा होना चाहिए मौसम कैसी हो जलवायु:-
काली हल्दी की खेती के लिए समशीतोष्ण और शीतोष्ण जलवायु को उपयुक्त माना जाता है। इसके पौधों को विकास करने के लिए सामान्य मौसम की जरूरत होती है। अधिक गर्म मौसम में इसके पौधे की पत्तियां झुलस जाती हैं, और पौधों का विकास रुक जाता है। जबकि सर्दी के मौसम में इसके पौधे आसानी से अपना विकास कर लेते हैं। इसके अलावा कुछ हद तक ये सर्दियों में पड़ने वाले पाले को भी सहन कर सकते हैं। इसके पौधों को विकास करने के लिए अधिक बारिश की आवश्यकता नही होती।
कितना होना चाहिए तापमान:-
काली हल्दी के पौधों के विकास में तापमान की एक ख़ास भूमिका होती है। इसके कंदों को शुरुआत में अंकुरित होने के लिए 20 से 25 डिग्री के आसपास तापमान की जरूरत होती है। उसके बाद विकास के दौरान इसके पौधे सर्दियों में न्यूनतम 10 और गर्मियों में अधिकतम 38 डिग्री के आसपास तापमान पर आसानी से अपना विकास कर सकते हैं। लेकिन 25 डिग्री के आसपास का तापमान इसके पौधों के विकास के लिए काफी बेहतर होता है।
कैसे करें खेतो की तैयारी :-
काली हल्दी की खेती के लिए भूमि की अच्छे से तैयारी की जाती है। इसके लिए शुरुआत में खेत की तैयारी के वक्त खेत में मौजूद पुरानी फसलों के अवशेषों को नष्ट कर खेत की मिट्टी पलटने वाले हलों से गहरी जुताई कर दें। उसके बाद खेत को सूर्य की धूप लगने के लिए कुछ दिनों तक खुला छोड़ दें। ताकि मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीट खुद नष्ट हो जाएँ।
उसके बाद खेत में उचित मात्रा में जैविक खाद या पुरानी गोबर की खाद को डालकर उसे अच्छे से मिट्टी में मिला दें। खाद को मिट्टी में मिलाने के लिए खेत की दो से तीन बार तिरछी जुताई कर दें. जुताई के बाद खेत में पानी चलाकर उसका पलेव कर दें। पलेव करने के बाद जब खेत की मिट्टी ऊपर से सूखी हुई दिखाई देने लगे तब खेत की फिर से जुताई कर उसमें रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें। मिट्टी को भुरभुरा बनाने के बाद खेत को समतल बना दें।
कंदों की खुदाई और सफाई:-
काली हल्दी के पौधे रोपाई के लगभग 250 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं।इस दौरान इसके पौधों की खुदाई कर लेनी चाहिए। इसके कंदों की खुदाई का कार्य सर्दी के मौसम के खत्म होने के दौरान फसल की रोपाई के आधार पर जनवरी से मार्च, अप्रैल तक किया जाता है। पौधों की खुदाई के दौरान इसकी गाठों को अधिक नुकसान नही पहुँचाना चाहिए।
कितना मिलता है लाभ और पैदावार:-
काली हल्दी के प्रत्येक पौधों की अच्छे से देखभाल करने पर प्रत्येक पौधों से दो से ढाई किलो ताजा गाठें प्राप्त होती हैं। जबकि एक हेक्टेयर में 1100 के आसपास पौधे लगाए जाते हैं।जिनसे लगभग 48 टन के आसपास पैदावार प्राप्त होती हैं। जिनका बाजार भाव भी काफी अच्छा प्राप्त होता है।जिसे किसान भाई बाजार में उचित दामों में बेचकर अच्छा लाभ कमा सकते हैं।
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