कुछ कर गुज़रने की चाह हो तो नामुमकिन कुछ भी नहीं" इस बात को उत्साही किसान राकेश चौधरी ने साबित किया है। राजस्थान में औषधीय खेती, प्रसंस्करण, किसानों को प्रोत्साहन, किसानों की आर्थिक स्थिति को संबल देने में आज राकेश अहम भूमिका निभा रहे हैं। आज की तारीख़ में वे 6500 किसानों के साथ मिलकर 60 से अधिक फार्मेसियों को आयुर्वेदिक महत्व की जड़ी-बूटियाँ और औषधियाँ उपलब्ध करवा रहे हैं। साथ ही, अपनी फर्म ‛विनायक हर्बल’ के ज़रिये किसानों को उच्च कोटि के बीज भी उपलब्ध करवा रहे हैं। राकेश चौधरी किसानों की उपज को बाज़ार से अधिक दामों में ख़रीदकर उन्हें भटकने से बचा रहे हैं। राजस्थान के 3500 किसानों को औषधीय खेती से जोड़ने के अलावा क़रीब 50,000 किसानों को औषधीय खेती से जुड़ी तकनीक उन्होंने उपलब्ध करवाई है। उनकी अब तक की उपलब्धियों का सम्मान करते हुए आयुष मंत्रालय ने उन्हें नेशनल मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड में सदस्य बनाया है।

 

सरकार के साथ साझा कर रहे हैं अपने अनुभवों को , जिससे मिल सके किसानों को सरकार की योजनाओं का लाभ:- 

 मिली जानकारी के अनुसार,उनका जन्म राजपुरा गांव, तहसील कुचामन सिटी, नागौर में  हुआ। बी.एससी. करने के बाद एक कम्पनी में नौकरी मिल गई, पर वो तो कुछ अलग ही करना चाहते थे। संन 2004 में अखबार में ‛राजस्थान मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड’ द्वारा जारी विज्ञप्ति देखी। उन्होंने किसानों से औषधीय खेती के लिए प्रस्ताव मांगे थे। फिर वो बोर्ड कार्यालय गये और पूरी जानकारी प्राप्त की। औषधीय व सगंध पौधों की खेती कब की जाती है, फसलों को कब बोया जाता है, किस समय हार्वेस्ट किया जाता है, यह सब पता किया । यहीं से मन बनाया कि जीवन में कुछ नया करना है।”

2005-06 में सबसे पहले राकेश ने जड़ी-बूटियों की खेती शुरू की। पिताजी, ताऊजी सहित कुछ रिश्तेदारों को औषधीय फ़सलों की खेती के लिए जैसे-तैसे तैयार किया। परियोजना प्रस्ताव बनाकर बोर्ड कार्यालय में जमा करवाया। 

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