टमाटर की कीमतों में आई भारी गिरावट से किसानों को भारी नुकसान लग रहा है। देश के कई राज्यों की उत्पादक मंडियों में इसके भाव घटकर 1 से 2 रुपये प्रति किलो रह गए है, जिस कारण किसानों को मुनाफा तो दूर, भाड़ा भी नहीं मिल पा रहा है। इससे नाराज किसान कई राज्यों में अपनी फसल को सड़कों पर फेक रहे हैं, तो कई राज्यों में मवेशियों को खिला रहे हैं।


मध्य प्रदेश की विदिशा मंडी में टमाटर के भाव घटकर एक से दो रुपये प्रति किलो आ गए है जिससे किसानों को मंडी में टमाटर लाने का खर्च भी नहीं निकल रहा है। मंडी में एक कैरेट टमाटर के भाव घटकर 20 से 25 रह गए हैं जबकि मंडी तक पहुचाने में एक कैरट पर भाड़ा करीब 35 से 40 रुपये आ रहा है। बेरखेड़ी बिरछा के किसान छतर सिंह के अनुसार उन्होंने दो बीघा जमीन में टमाटर की फसल लगाई हुई है, लेकिन भाव घटने के कारण उन्हें अपनी फसल को गाय को खिलाने को मजबूर होना पड़ रहा है।


सड़क पर फेकने को मजबूर

राष्ष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया कि टमाटर किसानों को परिवहन लागत भी अपने जेब से देनी पड़ रही है, इसीलिए उन्हें अपनी फसल सड़क पर फेकने या फिर पशुओं को खिलाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा में टमाटर के भाव दो रुपए प्रति किलो भी नहीं मिलने से गुस्साए किसानों ने टमाटर वहां सब्जी मंडी में सड़क पर फेंक दिया।


प्रति एकड़ खर्च 50 हजार तक

छत्तीसगढ़ की जगलपुर मंडी में टमाटर की कीमतें घटकर 80 पैसे से 2 रुपये प्रति किलो रह जाने से किसानों ने हजारों क्विंटल टमाटर सड़क पर फेंक दिया। किसान तेजस के अनुसार तीन महीने की कड़ी मेहनत के बाद फसल तैयार हुई तो उन्हें लगा कि उचित मूल्य मिलेगा, लेकिन मौजूदा भाव में उन्हें मंडी लाने का खर्च भी नहीं निकल पा रहा है। उन्होंने बताया कि एक एकड़ में टमाटर की फसल के उत्पादन का खर्च ही लगभग 45 से 50 हजार रुपये आया है।


एगमार्क नेट के अनुसार महाराष्ट्र की जलगांव मंडी में टमाटर का भाव घटकर गुरुवार को नीचे में 200 रुपये, नागपुर मंडी में 245 रुपये और पंजाब की जालंधर मंडी में नीचे में 100 रुपये प्रति क्विंटल रह गया।


उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान

कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-19 में टमाटर का उत्पादन बढ़कर 493.44 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 486.05 लाख टन का हुआ था।