पिछले वर्ष 10 अप्रैल को तमिलनाडु के किसान प्रधानमंत्री कार्यालय के सामने नग्न प्रदर्शन करने को मजबूर हो गये थे। कारण शांतिपूर्ण आंदोलन करने वाले किसानो से पहले तो प्रधानमंत्री मोदी ने मिलने की बात कहीं परन्तु अंतिम समय पर मना कर दिया।


जब देश का प्रधानमंत्री नही मिला तो किसानो ने जनता(लोकतंत्र) का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए चिलचिलाती गर्मियों मे नग्न होकर प्रधानमंत्री कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया और देश की जनता का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया। उन आकर्षित किए लोगो मे मै भी एक साधारण व्यक्ति था। तब से लेकर आज तक हर किसान के आंदोलन और समस्या को मैने बडे करीब से देखा और अंत मे मैं इस निर्णय पर पहुंचा कि हमने सिर्फ प्रधानमंत्री बदला है और कुछ नही , किसान तब भी दुखी था और आज भी....


किसान नही तो खेती नही इसलिए हमे किसान को बचाना है, अगर किसान नही होगा तो फिर हम कैसे एक बडी आबादी का पेट भरेगे। कृषि भारत की एक बडी आबादी का पेट भरने के लिए अति आवश्यक है और ये भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र भी है।

1990-91 मे कृषि मे GDP का 30% योगदान था और निर्यात मे 11% योगदान था। जो आज घटकर 12 से 13% रह गया है, ये अति विचारणीय भी है। भारत की लगभग आधी आबादी कृषि से जुडी है, 1995 से अब तक लगभग 3 लाख से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके है और देश मे प्रतिदिन 2500 किसान खेती छोडकर मजदूरी करने शहरो मे पलायन कर रहे है और महानगरो मे आबादी बढती जा रही।

भारत मे किसानो की औसत आय (2115) प्रतिमाह है और औसतन खर्चा 3000 से भी ज्यादा है। इसलिए मुझे आश्चर्य नही कि देश का पेट भरने वाला किसान भूख एंव कूपोषण का शिकार हो रहा है।ऐसा नही है कि हमारी कृषि खराब है या ये सक्षम नही है, भारत मे लगभग 180 मिलियन हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है ये विश्व मे दूसरी विशालतम कृषि योग्य भूमि है, इसी से हम विश्व की 17% मानव आबादी और 15% पशुधन की आवश्यकता की पूर्ति करते है। भारत मे कृषि योग्य 15 जलवायु है जो विश्व मे किसी देश के पास नही है, हमारे पास 60 मृदा किस्मो मे से 46 भारत मे है। हमने अपनी बडी आबादी का पेट तो भरा ही उसके बाद हम दालो, चाय, काजू, जूट, चावल, गेंहू, गन्ना, मूमफली,सब्जी, फलो और कपास का दूसरा सबसे बडा उत्पादक देश भारत है, पशुधन , मसालो मे भी भारत का योगदान अग्रणी है।

अब प्रश्न आता है कि हमारी सरकारे जब खेती और किसानो को ही खत्म कर देगी तो विश्व की 17% मानव आबादी का पेट कैसे भरेगा कैसे 15% पशुधन की आवश्यकता की पूर्ति होगी। इसको खत्म करने से दो विश्व मे बडा खाद्यान संकट आ जायेगा। इसलिए हमे किसान और खेती को बचाना अति आवश्यक है।मै उन सभी किसानो को आभार व्यक्त करता हूं जो 2500 रूपये की मासिक आय मे कृषि और किसान को बचाऐ हुऐ है।

जय जवान जय किसान


 Sonu Sharma