अगर आपसे कोई कहे कि एक चार मंज़िला घर ऐसा भी है जो न सीमेंट से बना है, न ही लोहे की रॉड्स से, बल्कि मिट्टी, पत्थर और जंगल की देन से तैयार हुआ है तो क्या आप विश्वास करेंगे? लेकिन यह सच है। फरीदाबाद के पास जंगलों के बीच बसा यह घर न केवल टिकाऊ और प्राकृतिक है, बल्कि वास्तुकला का एक जीवंत चमत्कार भी है। इसकी छत पर घास उगती है, दीवारों में मिट्टी की मूर्तियाँ हैं, और इसका हर कोना प्रकृति से एक गहरा संवाद करता है।


कमल के आकार में बना यह अद्भुत घर

यह घर कमल के फूल से प्रेरित डिज़ाइन में बना है। ऊपर से देखने पर यह एक खिले हुए कमल जैसा प्रतीत होता है। इसकी सबसे खास बात है कि एंट्री टॉप फ्लोर से होती है। जैसे ही आप भीतर प्रवेश करते हैं, आपको एक ठंडी और सुकून देने वाली हवा का एहसास होता है मानो आप किसी गुफा या धरती के भीतर पहुंच गए हों।

स्थानीय मिट्टी, पत्थर और हाथ की मेहनत

इस घर का निर्माण इसी इलाके की मिट्टी और पत्थरों से हुआ है। आर्किटेक्ट वसंत कमठ की देखरेख में 35 कारीगरों ने दो वर्षों तक लगातार काम कर यह अनोखा आशियाना खड़ा किया। दीवारों में 9 और 12 इंच की मोटी मिट्टी की ईंटें लगाई गई हैं जिन्हें दूध में सुखाया गया। ऊपर गोबर और मिट्टी का प्लास्टर किया गया है जिससे दीवारें सांस ले सकें और प्राकृतिक रूप से ठंडी रहें।

प्राकृतिक वेंटिलेशन और ऊर्जा बचत

इस घर में वेंटिलेशन के लिए विशेष दीवारें और जालियां बनाई गई हैं जिनसे ताज़ा हवा भीतर आती है। चार हिडन एग्जॉस्ट फैन लगे हैं—दो ऊपर के लिए और दो नीचे के लिए। इन फैन के पीछे पानी की फुहारें (water sprinklers) होती हैं जिससे हवा ठंडी होकर कमरे में प्रवेश करती है।

फर्नीचर भी मिट्टी और जुट से

घर में इस्तेमाल हुआ अधिकांश फर्नीचर मिट्टी, पत्थर और जुट से बना है। चेयरें हाथ से बुनकर तैयार की गई हैं। बेड, सोफा, टेबल सब कुछ इसी माटी के सांचे से बना है। यहां तक कि रसोईघर की चिमनी भी पत्थर और मार्बल से बनाई गई है। डाइनिंग टेबल का बेस जंगल से लाई गई लकड़ी से बना है।

पर्यावरण के अनुकूल छत और छुपी हुई बिजली व्यवस्था

घर की छत की परतें कमाल की हैं सबसे नीचे युकलिप्टस की बलियाँ, फिर बांस, फिर वाटरप्रूफिंग लेयर, फिर मिट्टी और फिर घास। इसकी वजह से छत पर उगती हरियाली एक जंगल जैसा अनुभव देती है। छिपे हुए बल्बों को इस प्रकार लगाया गया है कि वे किसी भी दीवार या छत को खराब न करें, बल्कि पत्तियों और दीवारों के पीछे से प्रकाश दें।

खास सर्दी-गर्मी की व्यवस्था और आग का स्थान

सर्दियों में घर को गर्म रखने के लिए अंदर एक विशेष स्थान बनाया गया है जहां पारंपरिक ढंग से आग जलाई जा सकती है। वहीं बारिश के मौसम में छत पर कृत्रिम बारिश की जाती है जिससे मिट्टी ठंडी रहती है और घर का तापमान संतुलित बना रहता है।

परंपरा, तकनीक और कला का मिलन

इस घर में दक्षिण भारतीय देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हैं जो दीवारों के भीतर ही बनाई गई हैं। हर कमरे में एक छोटा सा मंदिर, ध्यान केंद्र और बालकनी मौजूद है जिससे बाहर के जंगल का सुंदर नज़ारा लिया जा सके। रसोई में छोटे-छोटे मार्बल फिट कर सुंदर किचन काउंटर बनाया गया है, साथ ही आउटडोर किचन भी है जिसमें मिट्टी का पारंपरिक चूल्हा है।

पानी की एक-एक बूंद की कद्र

यह घर में  रेनवॉटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था भी की गयी है  है। बारिश का पानी इकठ्ठा कर उपयोग में लाया जाता है। साथ ही कपड़े सुखाने के लिए विशेष वेंटिलेशन वाले कमरे बनाए गए हैं ताकि प्राकृतिक हवा से ही काम हो सके।

निष्कर्ष:

यह घर न केवल प्रकृति के साथ संतुलन बनाता है, बल्कि यह एक प्रेरणा है कि कैसे हम मिट्टी, पत्थर, लकड़ी और पारंपरिक ज्ञान से टिकाऊ, सुंदर और ऊर्जा बचाने वाला घर बना सकते हैं। प्रेरणा जी द्वारा इस घर और उसके परिवेश की देखभाल, और आर्किटेक्ट वसंत कमठ का विज़न इस बात का प्रमाण है कि वास्तुकला सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं, बल्कि संवेदना और सोच का भी प्रतीक हो सकती है।

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