मिल्की मशरूम की खेती कर किसान कम समय में बंपर मुनाफा कमा सकता है। इसको उगाने के लिए किसी खास जलवायु की जरूरत नहीं पड़ती है। इसका भंडारण भी अधिक समय के लिए किया जा सकता है। किसान इस प्रजाति की खेती कर कम जगह, कम वक्त और कम पैसे में बंपर मुनाफा कमा सकता है।

अगर आपको कहा जाए कि खेती के लिए ज्यादा भूमि की जरूरत नहीं है। आप बंद कमरे में भी खेती कर लाखों का मुनाफा हासिल कर सकते हैं तो आप हैरान हो जाएंगे। लेकिन ऐसा करना संभव है। भारत में कई राज्यों में मशरूम की खेती कर किसान बढ़िया लाभ कमा रहे हैं।

बता दें कि मशरूम की खेती बंद और अंधेरे कमरे में की जाती है. यहां बटन मशरूम, ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम, दूधिया मशरूम, पैडीस्ट्रा मशरूम और शिटाके मशरूम की किस्में उगाई जा रही हैं। ऐसे में किसानों के लिए ये बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है कि वह कौन से मशरूम की खेती करें।


खेती किसानी में आधुनिक तकनीकों के आ जाने से लागत कम और मुनाफा बढ़ता जा रहा है। अब किसान भी बड़े-बड़े खेत-खलिहानों से निकलकर बेहद कम जगह में खेती करके अच्छी आमदनी कमा रहे हैं। इसी तरह की खेती में शामिल है मिल्की मशरूम, जो किसानों की आमदनी का नया जरिया बन चुका है।

बाजार में इसकी डिमांड साल भर बनी रहती है, लेकिन मार्च और अप्रैल के बाद इसकी खेती करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। दरअसल मिल्की मशरूम की खेती के लिये 28 से 38 डिग्री तक तापमान होना चाहिये, लेकिन खेती के कुछ खास फॉर्मुला अपनाकर अब गर्म मौसम में भी मिल्की मशरूम की अच्छी पैदावार ले सकते हैं।

खेती के लिए उपयुक्त जलवायु:

गर्म मौसम में मिल्की मशरूम यानी दूधिया मशरूम की खेती के लिये एक अंधेरा कमरा, मशरूम स्पॉन या मशरूम का बीज, धान की पुआल, भूसी या गन्ना की खोई, हाइड्रोमीटर, स्प्रेयर मशीन, वेट मशीन, चारा कटर मशीन, प्लास्टिक के ड्रम और बाविस्टीन और फॉर्मलीन दवा, पीपी बैग या प्लास्टिक बैग्स और रबड़ बैंड आदि सामान का इंतजान कर लें। किसान चाहें तो अपनी सहूसलियत के हिसाब से कमरे में अच्छा मशरूम उत्पादक ढांचा भी बना सकते हैं।


इस तरह उगायें मशरूम:

सबसे पहले 10 किलोग्राम धान की पुआल, भूसी या गन्ने की खोई को लेकर 90 लीटर पानी में भिगो देना चाहिये। इसके लिये सीमेंट की टंकी और प्लास्टिक ड्रम का इस्तेमाल कर सकते हैं।

  • अब एक साफ बाल्टी में 10 लीटर पानी लेकर 10 ग्राम वेबिस्टीन और 5 मिली फार्मलीन दवाओं को डालकर घोल बनायें। 

  • फिर दवाओं के इस घोल को ड्रम में डाल दें, जिससे भुसी, धान की पुआल, गन्ने की खोई को ठीक प्रकार से उपचारित किया जा सके।

  • इन सभी चीजों को मिलाकर ड्रम को 12 से 16 घंटे के लिये ढंककर रख दें और ऊपर से वजनदार सामान रख दें।

  • निश्चित समय के बाद उपचारित भूसा बाहर निकालें और ठीक तरह से सुखाकर मशरूम की खेती में इस्तेमाल करें।

  • ध्यान रखें कि दुधिया मशरूम की खेती के लिये 80 से 90 प्रतिशत तक नमी की जरूरत होती है, लेकिन बेहतर उत्पादन के लिये भूसी को ठीक प्रकार से सुखाकर ही इस्तेमाल करना चाहिये।

मशरूम की बुवाई:

मशरूम की बुवाई के लिये कल्चर, स्पॉन या बीज की जरूरत होती है। एक अनुमान के मुताबिक, 1 किलोग्राम उपचारित भूसी में मशरूम का 40 से 50 ग्राम बीज डालते हैं।

  • पीपी बैग या पॉलीबैग में मशरूम कल्चर तैयार करके पॉलीबैग को बैग को ठीक प्रकार से बांधकर अंधेरे कमरे में रख देना चाहिये।

  • मशरूम के अंकुरण के लिये अंधेरे कमरे में 2 से 3 सप्ताह तक 28-38 डिग्री तक तापमान बनायें। ध्यान रखें कि नमी का स्तर 80-90 प्रतिशत तक होना चाहिये।

  • कुछ दिन बाद ही मशरूम का बैग कवक जाल से भर जाता है, जिसके बाद केसिंग का काम किया जाता है। 

  • मशरूम यूनिट में केसिंग करने के लिये वर्मीकंपोस्ट या पुरानी गोबर की खाद इस्तेमाल की जाती है। इसी के साथ-साथ नमी कायम रखने के लिये पानी का हल्का स्प्रे भी किया जाता है।


मशरूम लागत और कमाई:

पीपी बैग्स में मशरूम की लंबाई 5 से 7 सेंटीमीटर पहुंचने पर इसकी तुड़ाई की जाती है और इसे टोकरियों में पैकिंग के लिये रख लिया जाता है। 

  • इस तरह सिर्फ एक किलोग्राम भूसी में 50 ग्राम तक बीज डालकर 1 किलोग्राम तक ताजा मशरूम का उत्पादन ले सकते हैं।

  • बता दें कि 1 किलोग्राम मशरूम को उगाने में सिर्फ 20 से 25 रुपये तक का खर्च आता है, जिसकी बिक्री के बाद 200 से 400 रुपये  तक की आमदनी हो जाती है।

  • इस तरह दूसरी बागवानी फसलों के मुकाबले  मिल्की मशरूम की खेती बेहद किफायती और मुनाफेदार सौदा साबित हो सकती है।