जिस फसल की बात हम कर रहे हैं उसका नाम वनीला है जिसका उपयोग आइसक्रीम में फ्लेवर के रूप में किया जाता है। वनील की कीमत लगातार बढ़ रही है। ब्रिटेन के मार्केट में इसकी कीमत 600 डॉलर प्रति किलो हैं तो भारतीय मुद्रा में एक किलो वनीला खरीदने के लिए आपको 50 हजार रुपए खर्च करने होंगे।
वनीला की खेती बेलदार पौधों के लिए की जाती है | जिसमे निकलने वाले फलो का आकार कैप्सूल की तरह होता है, तथा सूखे हुए फूलो से अधिक खुशबु आती है | इसके एक फल से कई गोलाकार बीज प्राप्त हो जाते है।
वनीला को ऑर्किड परिवार का सदस्य माना जाता है। यह एक बेल पौधा है, जिसका तना लंबा और बेलनकार होता है। इसके फल के साथ फूल भी बहुत सुगंधित होते हैं, जो कैप्सूल की तरह दिखते हैं। खास बात है कि इसके एक फल से ढेरों बीज प्राप्त होते हैं।
वनीला की खेती से जुड़ी खास जानकारी:
वनीला की खेती के लिए जैविक पदार्थो से युक्त भुरभुरी मिट्टी की आवश्यकता होती है | इसके अलावा भूमि का P.H. मान 6.5 से 7.5 के मध्य होना चाहिए | इसके अतिरिक्त भूमि की जांच कर यह जरूर जान ले कि मिट्टी में किस चीज की कमी है, उन चीजों को पूरा कर अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते है |
वनीला की खेती में बुवाई दो प्रकार से होती है। पहला कटिंग और दूसरा बीज। बता दें कि इसके बीजों का उपयोग कम किया जाता है, क्योंकि इसके दाने छोटे होते हैं, जिसको उगने में काफी समय लग जाता है। ऐसे में बेल लगाना अच्छी रहता है। ध्यान दें कि बेल की पहले स्वस्थ कटिंग कर लें। इसके बाद जब वातावरण में नमी हो, तो इसकी कटिंग को लगा दें।
वनीला लगाने के बाद के कार्य:
वनीला के खेत में गोबर से तैयार खाद, केंचुए की खाद, नीम केक आदि डालते रहना है।
फव्वारा विधि या टपक विधि से 2 दिन के अंतराल पर पानी देना है।
इसके अलावा लगभग 1 किलो एनपीके को 100 लीटर पानी में घोलकर छिड़कना है।
वनीला की बेलों को तारों के ऊपर फैलाना है। ध्यान रहे कि इसकी ऊंचाई 150 सेमी से अधिक न हो।
वनीला के लाभ:
वनीला की बींस में एक वनैलिन नामक सक्रिय रासायनिक तत्व मौजूद होता है, जो मानव शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में सहायता प्रदान करता है।
इसमें ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स गुण भरपूर मात्रा में पाए जाते है, जो सेल्स को बेहतर बनाकर कैंसर से लड़ने में सहायता प्रदान करता है।
इसमें उपस्थित ऐंटी- इन्फ्लेमेटरी गुण शरीर के सभी अंगो के लिए लाभकारी होता है।
इसमें ऐंटी-बैक्टीरियल गुण भी पाए जाते है। जिसकी वजह से इसका नियमित सेवन पेट को साफ रखने, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और जुखाम, बुखार जैसी छोटी बीमारियों को दूर रखने में अधिक लाभकारी है।
वनीला का बीज:
वनीला आर्किड परिवार का सदस्य कहलाता है। इसमें निकलने वाले पौधों का तना सीधा लंबा और बेलनाकार होता है। इसके पौधों से फल और फूल दोनों ही प्राप्त हो जाते है, जिसमे फल कैप्सूल जैसा होता है, और सूखे हुए फूल अधिक सुगन्धित होते है। वनीला की एक खास बात यह है, कि इसके एक फल से अधिक मात्रा में बीज मिल जाते है।
Comments in this topic: