अनेकों पोषक तत्वों से युक्त काले नमक के बारे में तो आप जानते होंगे, लेकिन यह बनता किस तरह से है शायद ही आपको पता हो। काला नमक खाने में जितना लाभकारी है, वहीं इसका उत्पादन भी उतने ही रोचक ढंग से होता है, और यह एक ऐसा उत्पाद जो न सिर्फ देश-विदेश बल्कि दुनिया के हर घर में प्रयोग होता है। इस साधारण-सी प्रक्रिया से तैयार उत्पाद से भी कमा रहे लाखों - आये जानते हैं किस प्रकार बनता है काला नमक



काला नमक बनाने के लिए सबसे पहले मिट्टी के मटके बनाए जाते हैं। मटके बनाने के लिए चिकनी दोमट मिट्टी मंगायी जाती है तथा उसे कूट कर एक पानी की होदी में डाल दिया जाता है। मिट्टी के फूलने पर उसमें रेत मिला देते हैं। उसके बाद इस रेत और मिट्टी के घोल को छानकर इकट्ठा कर लेते हैं। यह मिट्टी के मिश्रण को बने में 4 से 5 दिन लगते हैं। अब इस तैयार हुए मिट्टी के पेस्ट को चाक पर ले जाकर बड़े तथा गोल आकार के घड़े बना देते हैं। कच्चे घडे को सूखने के बाद, उन्हें पकाने के लिए भट्टी में ले जाया जाता है। घड़े को पकाने पर उसको एक बार फिर मिट्टी के घोल से लीपा जाता है, ताकि उसमें कोई लीकेज ना रह जाए। इन घड़ों को बड़ी ही सावधानी पूर्वक बनाया जाता है क्योंकि इनको आगे बहुत अधिक तापमान में रहना है। 



अब इन घडों को एक लंबी-चौड़ी भट्टी में उपलों तथा कोयलों के ईंधन के बीच में सेट कर देते हैं। इसके बाद इन घडों में सांभर झील से मंगाया गया साधारण सफेद नमक भर देते हैं तथा ईंधन जला देते हैं। नमक गर्म होने पर पिघल जाता है तब उसमें और नमक डालते हैं, इसी प्रकार मटके में तीन से चार बार नमक भरा जाता है। तब नमक पिघल कर जम जाता है और क़रीब 24 घंटे बाद काला नमक बनकर तैयार हो जाता है उसके बाद मटके के ठीकरे को फोड़ देते हैं तथा अंदर जमे काले नमक को प्राप्त कर लेते हैं। एक बार में करीब 40 मटको में काला नमक तैयार किया जाता है। जिसमें एक मटके में करीब 20 से 25 किलो काला नमक तैयार होता है। जिन्हें ग्राहक साबूत नमक के ढेले को खरीद कर ले जाते हैं या नमक को पीसकर पैकेट में पैकिंग कर बाजार में बेचने हेतु सप्लाई कर देते हैं। काला नमक का पाउडर बाजार में गुणवत्ता के हिसाब से 50 से ₹100 प्रति किलोग्राम की दर से बिकता है।