घर में मिनी गोबर गैस प्लांट

19 May 2024 | NA
घर में मिनी गोबर गैस प्लांट

 गांव के युवक  कमाल कर रहे हैं, बना रहे हैं घर में गोबर गैस, अपने दिमाग के माध्यम से बन रहे हैं आत्मनिर्भर। उन्हें नहीं फर्क पड़ता गैस सिलेंडर 1000 का हो या 1200 का। उन्होंने अपने घर में ही लगा रखा है मिनी गोबर गैस प्लांट जिससे उनका रोज का गैस चूल्हे का कार्य आसानी से निपट जाता है। तो आइए जानते हैं वे किस तरह से घरेलू कार्यों में प्रयोग कर रहे हैं वह गोबर गैस-


घर में मिनी गोबर गैस प्लांट_7683


सबसे पहले एक बड़े से टब में लगभग 40 किलो गोबर को इकट्ठा कर उसमें पानी डालकर उसे अच्छे से मिला लेते हैं। गोबर को पानी में घुल जाने के बाद वह एक करीब 11 फीट लंबे और 8 फीट चौड़े पीवीसी के मजबूत बैग में प्रवाहित होता है। बाद में बैग के ऊपर चढ़, उसे पर कूद-कूद कर एक बार हिला देते हैं। हिलाने पर उसमें बड़ी मात्रा में गैस उत्पादित हो जाती है। इस बैग में एक वॉल लगा है जिससे गोबर का बचा हुआ अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकलता रहता है। तथा बैग में ऊपर की तरफ एक वॉल के माध्यम से पाइप जुड़ा है जिसमें बनी गैस प्रवाहित होती है। इस पाइप में ऑन ऑफ करने के लिए एक हैंडल भी लगा है। अब इस पाइप को गैस चूल्हे से जोड़ देते हैं। बाद में चूल्हा माचिस से जलाते हैं तो वास्तव में कमाल हो जाता है। चूल्हा तेज लौ के साथ जल उठता है जो लगातार 3 घंटे तक चल सकता है।


घर में मिनी गोबर गैस प्लांट_7683


यदि किसी अवस्था में गैस कम आ रही है तो इसके लिए एक प्रकार के पंप का प्रयोग करते हैं जिसे एक तरफ गैस वाले पाइप तथा दूसरी तरफ से चूल्हे में अटैच कर देते हैं तो गैस की मात्रा बढ़ जाती है। वैसे तो गैस 12 महीने बनती रहती है लेकिन सर्दियों में थोड़ी प्रभावित होती है क्योंकि गोबर गैस में उमस का बहुत बड़ा रोल है। तथा सर्दियों में एक दो महीना उमस कम होने के कारण गैस कम बनती है। तो दोस्तों यह था गोबर गैस बनाने का आधुनिक तरीका जिसमें एक बैग में गोबर इकट्ठा करके गैस बनाई जाती है। 


घर में मिनी गोबर गैस प्लांट_7683


वहीं एक दूसरा भाई सौरभ बना रहा परंपरागत तरीके से गैस। जिसमें एक छोटे गड्ढे में गोबर को इकट्ठा करके उसे पानी में घोल कर जमीन के नीचे बने एक टैंक मैं प्रवाहित करते है। इसमें भी अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकल जाता है। जमीन के नीचे गड्ढे को एकदम सील पैक करके उसमें से एक पाइप निकाला जाता है। जिसे चूल्हे से जोड़ देते हैं तो इस प्रकार ये चूल्हा भी जल उठता है। घर में तीन या उससे अधिक पशु है, वे रोज गाय भैंस के गोबर का प्रयोग करके गैस बना सकते हैं तथा जो अपशिष्ट पदार्थ निकलता है उसका खेतों में खाद के रूप में प्रयोग कर सकते है।

तो दोस्तों देखा आपने किस प्रकार गांव के ये युवक जो किसी डिग्रीधारी इंजीनियर से कम नहीं, गोबर गैस का सदुपयोग कर रहे हैं। हमें इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। ऐसी ही अन्य जानकारी के लिए जुड़े रहे थे द अमेजिंग भारत के साथ। धन्यवाद॥




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