स्वतंत्रता दिवस का महत्व और आज़ाद भारत का किसान


जब भी 15 अगस्त की सुबह आती है, तो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। तिरंगा आसमान में लहराता है, देशभक्ति गीत गूंजते हैं और हर कोना "जय हिंद" के नारों से गूंज उठता है। यह सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि हमारी आज़ादी का उत्सव है – वो आज़ादी जिसे पाने के लिए लाखों लोगों ने बलिदान दिया था। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस आज़ादी का असली मतलब क्या है? और इस आज़ाद भारत में सबसे बड़ा योगदान किसका है? जवाब है भारत का किसान। जो न केवल देश का पेट भरता है, बल्कि हर साल हमारी धरती पर मेहनत का तिरंगा फहराता है।
स्वतंत्रता दिवस का महत्व
स्वतंत्रता दिवस, 15 अगस्त 1947 – वो दिन जब भारत ने ब्रिटिश हुकूमत की बेड़ियों को तोड़ते हुए खुद को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया। यह दिन हमें याद दिलाता है कि कैसे गांधी जी, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई, और लाखों अनाम क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी ताकि हम आज़ाद हवा में सांस ले सकें। स्वतंत्रता दिवस केवल एक राष्ट्रीय पर्व नहीं, यह हमारी आत्मा का उत्सव है। यह दिन हमें हमारी पहचान, हमारे अधिकार और हमारी जिम्मेदारियों की याद दिलाता है। लेकिन आज़ादी सिर्फ झंडा फहराने तक सीमित नहीं होनी चाहिए। असली आज़ादी तब होती है जब देश के हर नागरिक को शिक्षा, रोजगार, सम्मान और विकास के समान अवसर मिलें – और इसमें सबसे अहम भूमिका निभाते हैं हमारे किसान।
आज़ाद भारत का किसान – असली राष्ट्र निर्माता
आज भारत दुनिया के सबसे बड़े कृषि उत्पादक देशों में से एक है। गेहूं, चावल, गन्ना, फल, सब्जियाँ – जो कुछ भी हमारी थाली में आता है, वो किसान की मेहनत का परिणाम है। लेकिन आज़ादी के 75+ वर्षों बाद भी, हमारे किसानों को असली आज़ादी मिली क्या?

किसानों की बदलती भूमिका
अंग्रेजों के दौर में किसान सिर झुकाकर काम करते थे, उनकी उपज का फायदा साहूकार और अंग्रेज उठाते थे। लेकिन आज़ाद भारत में किसानों को यह अधिकार मिला कि वे अपने खेत और उपज के मालिक हैं। आज किसान केवल अनाज नहीं उगाता, बल्कि तकनीक, जैविक खेती, ड्रिप इरिगेशन, मल्टी क्रॉपिंग, और ई-नाम जैसी योजनाओं से देश की कृषि को भविष्य की ओर ले जा रहा है।
किसानों की चुनौतियां – क्या ये असली आज़ादी है?
1. मंडी व्यवस्था में बिचौलियों का कब्ज़ा: कई राज्यों में आज भी किसान को उसका उचित मूल्य नहीं मिलता। व्यापारी और बिचौलिए अधिक मुनाफा कमाते हैं, जबकि किसान को लागत भी नहीं निकलती।
2. कर्ज़ का बोझ और आत्महत्या: हर साल हजारों किसान कर्ज के बोझ से टूट जाते हैं। यह बेहद शर्मनाक है कि जिस हाथ से देश का अन्न पैदा होता है, वह हाथ मदद के लिए खाली रह जाते हैं।
3. मौसम और जलवायु संकट: बदलते मौसम, अनियमित बारिश और सूखा किसानों की मेहनत पर पानी फेर देते हैं। इसके बावजूद भी वो हार नहीं मानते और अगली फसल की तैयारी में जुट जाते हैं।

अब तक क्या बदला?
आज़ादी के बाद से सरकारों ने कई योजनाएं चलाई हैं ताकि किसानों को मजबूत किया जा सके: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-KISAN) – हर किसान परिवार को ₹6,000 वार्षिक सहायता, ई-नाम प्लेटफॉर्म – फसलों की ऑनलाइन बिक्री, मृदा स्वास्थ्य कार्ड – मिट्टी की जांच और उर्वरक की सही सलाह, PM Fasal Bima Yojana – फसल बीमा योजना, सोलर पंप और बिजली सब्सिडी – सिंचाई को सस्ता और आसान बनाना लेकिन इन योजनाओं का असली लाभ तब मिलेगा जब किसान शिक्षित, डिजिटल रूप से सक्षम और आत्मनिर्भर बनेगा।
आत्मनिर्भर किसान – आत्मनिर्भर भारत
आज जब हम वोकल फॉर लोकल की बात करते हैं, तो सबसे पहले ध्यान जाता है देसी बीज, देसी गाय, जैविक खेती और स्थानीय उत्पादन पर। भारत का किसान अगर आत्मनिर्भर बने, तो भारत किसी पर निर्भर नहीं रहेगा।
कुछ प्रेरणादायक बदलाव: जैविक खेती ने बाजार में नई मांग बनाई है। मल्टी लेयर फार्मिंग से कम जमीन में ज्यादा उत्पादन कृषि स्टार्टअप्स और फूड प्रोसेसिंग से युवाओं की वापसी खेती की ओर महिला किसान अब सिर्फ खेत में काम नहीं करतीं, बल्कि खुद की ब्रांडिंग और मार्केटिंग भी करती हैं।
स्वतंत्रता दिवस का सच्चा सम्मान – किसान को सम्मान
आज अगर हम आज़ादी का पर्व मना रहे हैं, तो उसका सबसे बड़ा हिस्सा उस किसान के नाम होना चाहिए जो हर रोज़ धरती को जोतता है, बीज डालता है, बारिश और धूप झेलता है, और फिर भी मुस्कुराते हुए अन्न देता है। इस 15 अगस्त पर हम सभी को मिलकर यह संकल्प लेना चाहिए: किसान को उसका हक दिलाएं, स्थानीय उत्पाद खरीदें, जैविक खेती को बढ़ावा दें, युवाओं को खेती से जोड़ें, कृषि को आधुनिक बनाएं
निष्कर्ष
स्वतंत्रता दिवस महज़ एक जश्न नहीं, बल्कि हमारे संघर्ष, बलिदान और विकास की कहानी है। और इस कहानी का सबसे मज़बूत किरदार है – भारत का किसान। एक ऐसा देश, जो अपने किसानों को सशक्त बनाता है, वह कभी भूखा नहीं रहता, और हमेशा विकास की राह पर आगे बढ़ता है। आइए, इस स्वतंत्रता दिवस पर नारे लगाएं "जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और सच में देश को मजबूत बनाएं – किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर।
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