खेती से कमाई की जंग: चीन या भारत

23 Aug 2025 | NA
खेती से कमाई की जंग: चीन या भारत

भारत और चीन – दोनों ही देश खेती के मामले में बहुत मजबूत हैं। खेतों में उगाई गई चीजें जैसे चावल, सब्ज़ियाँ, मसाले, चाय और फल सिर्फ अपने देश में नहीं, बल्कि विदेशों में भी खूब बिकती हैं। आज खेती सिर्फ खाने के लिए नहीं रह गई, बल्कि ये अब दुनिया भर में व्यापार का एक बहुत बड़ा हिस्सा बन चुकी है। भारत और चीन दोनों ही देश अपने-अपने कृषि उत्पाद (agriculture products) को कई देशों में भेजते हैं और अरबों डॉलर कमाते हैं। लेकिन सवाल ये है कि कौन-सा देश किस चीज़ को ज्यादा निर्यात करता है? चावल में भारत आगे है या चीन? मसालों में कौन बाज़ी मारता है? कौन-सी सब्ज़ी या फल कहाँ से ज्यादा जाते हैं?

इस लेख में हम आसान भाषा में जानेंगे कि भारत और चीन में कौन-कौन सी चीजें विदेशों में सबसे ज्यादा भेजी जाती हैं, और किस देश की पकड़ किस चीज़ पर ज्यादा है।

battle for earning from agriculture: China or India


भारत और चीन – खेती के सामान के निर्यात में तुलना

विषय                                                 भारत                                                   चीन

कुल खेती निर्यात (2024)                       ~$53 अरब डॉलर                            ~$95 अरब डॉलर

मुख्य बाजार                                  अमेरिका, UAE, नेपाल                            अमेरिका, जापान, वियतनाम

ताकत                                          चावल, मसाले, झींगा लहसुन,                         अदरक, सेब, प्रोसेस्ड फूड

1. चावल – भारत की सबसे बड़ी ताकत

भारत दुनिया में सबसे ज्यादा चावल बेचता है। खासकर बासमती चावल, जिसकी खुशबू और स्वाद विदेशों में बहुत पसंद किया जाता है। भारत से UAE, ईरान, अमेरिका और यूरोप में बड़ी मात्रा में चावल जाता है। चीन भी चावल उगाता है लेकिन वो खुद ज्यादा खा जाता है, इसलिए कम ही बेच पाता है। इस मामले में भारत चीन से आगे है।

2. मसाले – भारत का असली स्वाद

भारत को "मसालों का देश" कहा जाता है। हल्दी, मिर्च, जीरा, धनिया जैसे मसाले भारत से कई देशों में जाते हैं। खाने का स्वाद बढ़ाने वाले ये मसाले दुनिया भर में भारत की पहचान हैं। चीन भी थोड़े-बहुत मसाले बेचता है, लेकिन भारत जितनी वैरायटी और क्वालिटी नहीं दे पाता। मसालों में भारत की जीत।

3. फल और सब्ज़ियाँ – चीन का दबदबा

चीन से सेब, कीवी, अदरक, लहसुन जैसी चीजें बड़ी मात्रा में विदेश जाती हैं। ये सब्ज़ियाँ और फल चीन की खेती और तकनीक की ताकत को दिखाते हैं। उनकी पैकिंग, स्टोरेज और क्वालिटी कंट्रोल भी शानदार होता है। भारत भी आम, अनार और प्याज जैसी चीजें भेजता है, लेकिन मात्रा और तकनीक में चीन आगे है। फल और सब्ज़ियों में चीन नंबर वन।

4. समुंदरी चीजें – झींगा भारत की शान

भारत से झींगा (shrimp) का निर्यात बहुत ज्यादा होता है। खासकर अमेरिका और जापान जैसे देशों में इसकी बहुत मांग है। वहीं चीन हर तरह की मछली और समुद्री चीजें बेचता है। झींगा में भारत, बाकी सी-फूड में चीन आगे।

5. अनाज और दाल – भारत उगाता है, चीन बेचता है

भारत दाल और अनाज उगाने में अच्छा है, लेकिन खुद की बड़ी आबादी के कारण ज्यादा हिस्सा देश में ही खप जाता है। वहीं चीन मक्का और सोया जैसी चीजें बड़ी मात्रा में एक्सपोर्ट करता है। इस मुकाबले में चीन आगे।

Farming profitability India vs China


6. रेडी-टू-ईट और पैक्ड फूड – चीन की मजबूती

चीन नूडल्स, स्नैक्स, सॉस और तरह-तरह के रेडी-टू-ईट फूड विदेशों में खूब बेचता है। उनकी पैकिंग और स्टोरेज सिस्टम बहुत अच्छा है। भारत भी अचार, मसाला मिक्स और हलवा जैसे रेडी फूड बेचता है, लेकिन अभी शुरुआती दौर में है। इस सेक्टर में चीन बहुत आगे है।

7. हर्बल और आयुर्वेदिक चीजें – भारत की छुपी ताकत

भारत की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ जैसे गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी विदेशों में अब पसंद की जा रही हैं। वहीं चीन अपनी पारंपरिक चीनी दवाइयों को बड़ी मात्रा में भेजता है। दोनों की पकड़ अपने-अपने तरीकों में मजबूत है।

नतीजा – कौन किस चीज में आगे?

प्रोडक्ट                                                      आगे कौन?

चावल                                                           भारत

मसाले                                                           भारत

फल-सब्ज़ियाँ                                                    चीन

झींगा                                                                    भारत

मछली                                                            चीन

प्रोसेस्ड फूड                                                    चीन

जड़ी-बूटियाँ                                                   दोनों

चावल एक ऐसी फसल है जिसमें बहुत ज्यादा पानी लगता है। आंकड़ों के मुताबिक, एक किलो चावल उगाने में लगभग 3,000 से 5,000 लीटर तक पानी खर्च होता है। अब जरा सोचिए, जब लाखों टन चावल उगाया जाता है, तो उसमें कितने करोड़ लीटर पानी चला जाता है? और यही पानी अगर पीने, सिंचाई या जरूरतमंद इलाकों तक पहुंचाने में काम आए, तो कितने लोगों की जिंदगी बदल सकती है। पानी की कीमत बढ़ रही है, लेकिन खेती की समझ नहीं बदली आज का किसान सिर्फ अन्नदाता नहीं, बल्कि जल रक्षक भी है। अगर हम पानी को बचाना चाहते हैं, तो हमें फसलों की चयन प्रक्रिया को दोबारा सोचना होगा। हमें चावल जैसी पानी-खाऊ फसलों से थोड़ा पीछे हटकर ऐसी खेती की ओर बढ़ना होगा जो पर्यावरण के साथ तालमेल में हो।

rice farming in india


अंतिम बात

भारत और चीन दोनों ही खेती में बहुत ताकतवर हैं, लेकिन उनकी रणनीति अलग-अलग है। भारत पारंपरिक, शुद्ध और स्वाद वाले उत्पादों पर ध्यान देता है – जैसे मसाले, चावल और झींगा। वहीं चीन आधुनिक मशीनों और तकनीक की मदद से ज्यादा पैदावार करता है और पैकिंग व प्रोसेसिंग पर जोर देता है। अगर भारत अपनी प्रोसेसिंग यूनिट्स, कोल्ड स्टोरेज और ट्रांसपोर्ट सिस्टम को और बेहतर कर ले, तो वह दुनिया के सबसे बड़े कृषि निर्यातकों में शामिल हो सकता है। ऐसी अमेजिंग जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ और आपको ये जानकारी कैसे लगी कमेनेट करके जरूर बताइये ।।जय हिंदी जय भारत ।।


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