कृष्ण भगवान किस गाय का दूध पीते थे

15 Aug 2025 | NA
कृष्ण भगवान किस गाय का दूध पीते थे

वृंदावन की धरती हमेशा से ही पवित्र मानी जाती है। यहाँ की हर हवा में भक्ति का भाव है और हर कोना श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ा हुआ है। इस पावन भूमि में गायों का विशेष महत्व है। लेकिन गायों में भी एक ऐसी गाय होती है जो सबसे खास और दुर्लभ मानी जाती है -  पदमा गाय। इसका नाम सुनते ही भक्तों के मन में भक्ति और आदर का भाव आ जाता है, क्योंकि इसके दूध की महिमा सीधे बाल कृष्ण के बचपन से जुड़ी है।

 Which was Lord Krishna's favourite cow


पदमा गाय कौन होती है?

पदमा गाय बनने की प्रक्रिया बहुत ही अनोखी और कठिन है। सबसे पहले एक लाख देशी गायों का दूध इकट्ठा किया जाता है और वह 10,000 गायों को पिलाया जाता है। फिर उन 10,000 गायों का दूध 100 गायों को पिलाया जाता है। उन 100 गायों का दूध 10 गायों को पिलाया जाता है। आखिर में, इन 10 गायों का दूध एक गाय को पिलाया जाता है। जिस गाय को यह अंतिम अमृत जैसा दूध पिलाया जाता है, और उसके गर्भ से जो बछड़ा या बछड़ी जन्म लेता है, उसे ही पदमा गाय कहा जाता है।

पदमा गाय का महत्व

पदमा गाय को बहुत ही शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। मान्यता है कि अगर इसका बछड़ा जिस जगह मूत्र त्याग करे, उस स्थान की महक भी कोई बांझ स्त्री सूंघ ले, तो उसे संतान सुख की प्राप्ति हो जाती है।

नंद भवन की पदमा गायें

नंद बाबा के महल में ऐसी एक लाख पदमा गायें थीं। ये वही गायें थीं जिनका दूध नंद बाबा, यशोदा मैया और स्वयं बाल कृष्ण पीते थे। इसी कारण — नंद बाबा और यशोदा जी के बाल हमेशा काले और चमकदार रहे। उनके चेहरे पर कभी झुर्रियां नहीं आईं। उनकी आंखों में तेज और शरीर में बल हमेशा बना रहा। कहा जाता है कि जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, उस समय नंद बाबा 60  वर्ष के थे, लेकिन देखने में युवा लगते थे। तभी तो लोग कहते थे "साठा सो पाठा"।

पदमा गाय का दूध — अमृत जैसा

पदमा गाय का दूध पीना शरीर और चेहरे के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। इससे — चेहरे की चमक कभी कम नहीं होती। आंखें कमजोर नहीं पड़तीं। शरीर स्वस्थ और मजबूत रहता है। कोई बड़ी बीमारी पास नहीं आती।

पदमा गाय और पूतना वध के बाद का संस्कार

जब बाल कृष्ण ने राक्षसी पूतना का अंत किया, तो पूरे गांव में खुशी के साथ थोड़ी चिंता भी थी। सबको लगता था कि पूतना का स्पर्श अशुद्ध था, इसलिए लाला का शुद्धिकरण जरूरी है। गोपियों ने तय किया कि यह शुद्धिकरण पदमा गाय के आशीर्वाद से किया जाएगा। रोहिणी जी पदमा गाय के पास गईं और उसे प्यार से सहलाने लगीं। यशोदा मैया, लाला को गोद में लिए वहीं गौशाला में बैठ गईं। पूर्णमासी ने पदमा गाय की पूंछ से धीरे-धीरे लाला की नजर उतारी और भगवान के नाम जपने लगीं।

इसके बाद

पदमा गाय के मूत्र से बाल कृष्ण का स्नान कराया गया। गौ माता के चरणों की रज लेकर उनके छोटे-छोटे अंगों पर लगाई गई। गौ माता से प्रार्थना की गई "हे माता, हमारे लाल को हर बुरी नजर से बचाना।"

पदमा गाय — संस्कृति की धरोहर

पदमा गाय सिर्फ एक गाय नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की एक अनमोल धरोहर है। इसके दूध में न सिर्फ शरीर को ताकत देने की क्षमता है, बल्कि यह मन को भी शांत और पवित्र करता है। श्रीकृष्ण का पालन-पोषण इसी दूध से हुआ था, इसलिए उनके चेहरे की आभा, उनकी आंखों का तेज और उनकी दिव्यता आज भी अद्वितीय मानी जाती है।

Which cow's milk did Lord Krishna drink


संदेश

पदमा गाय की यह कथा हमें याद दिलाती है कि हमारी परंपराओं में सिर्फ आस्था ही नहीं, बल्कि विज्ञान भी छिपा है। गाय का पालन केवल दूध के लिए नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, सौभाग्य और आध्यात्मिक कल्याण के लिए किया जाता था। आज जब लोग पुरानी परंपराओं को भूलते जा रहे हैं, तब यह कथा हमें प्रेरित करती है कि हम अपनी संस्कृति और गौ माता की सेवा को जीवित रखें। पदमा गाय की महिमा हमें यह सिखाती है कि गाय सिर्फ एक पशु नहीं, बल्कि धर्म, स्वास्थ्य और खुशहाली की मूर्ति है। ऐसी अमेजिंग जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ और आपको ये जानकारी कैसी लगी हमे कमेंट कर के जरूर बताइये ।।जय हिन्द जय भारत ।।

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