इस किसान ने बाटा दस हज़ार किसानों को मुफ्त में बीज


नेकराम के इस अनोखे सीड बैंक के ज़रिए दर्जनों पुराने अनाज को भविष्य के लिए सहेजने का काम किया जा रहा है। वह न सिर्फ़ इन अनाज को आगे की पीढ़ियों के लिए बचा रहे हैं, बल्कि इन्हें देशभर के किसानों तक पहुंचाकर बढ़ावा देने का काम भी कर रहे हैं।
कैसे हुई शुरुआत:
नेकराम अब तक 10 हज़ार किसानों को बीज बांट चुके हैं। उन्होंने द बेटर इंडिया को बताया, “बीजों को बचाने का काम मैंने 1992 में शुरू किया था। 1990 के दशक में हरित क्रांति का ज़ोर था, इस दौरान मैंने देखा कि जो बीज हम लगा रहे थे, उनसे हर साल उपज घट रही थी और कृषि लागत बढ़ रही थी।

जबकि जो पुराने बीज थे उनमें पैदावार भी सही थी और लागत भी न के बराबर थी। बस फिर क्या, मैनें हाइब्रिड बीजों की जगह लोकल बीजों का ज़्यादा इस्तेमाल किया और मुझे इससे काफ़ी अच्छी उपज मिली। इसके बाद मेरी, देसी बीजों के लिए दिलचस्पी बढ़ती गई और आज मैं अपने खेतों में सिर्फ़ लोकल बीजों का ही इस्तेमाल करता हूं।”
कैसे बचाते हैं अनाज:
नेकराम शर्मा, बेहद पोषण वाले चिणा, कोदा, काउणी, बाजरा, ज्वार, मसर, रामदाना, चार तरह की चावल की किस्में, पांच तरह की गेहूं की किस्में, चार तरह की मक्की, तीन तरह का जौ, चौलाई, राजमा, सोयाबीन और माश की दाल के अलावा और भी कई तरह के पुराने अनाज को बचाकर अपने देसी बीज बैंक में संजो रहे हैं।
वह इन बीजों को मुफ़्त में किसानों को बांटते हैं और हर एक से कहते हैं कि वो और दस किसानों को इनके बारे में बताएं और ये बीज उन्हें दें। वह खुद अब तक 10 हज़ार से ज़्यादा किसानों को ये बीज बांट चुके हैं।
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