देसी ताकत का खजाना: सत्तू


गर्मी का मौसम हो या सर्दी की सुबह, थकान से चूर शरीर हो या भूख से बेहाल पेट एक देसी उपाय है जो हर हाल में फिट बैठता है, और वो है सत्तू। भारत की पारंपरिक रसोई में सत्तू कोई नया नाम नहीं है। यह सदियों से हमारे खान-पान का हिस्सा रहा है, खासकर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में। अब एक बार फिर से लोग इसकी ओर लौट रहे हैं, क्योंकि सत्तू सेहत, स्वाद और सादगी – तीनों का मेल है।

सत्तू क्या है?
सत्तू दरअसल भुने हुए चने या अन्य अनाज जैसे जौ, मक्का, या गेहूं को पीसकर बनाया जाता है। सबसे ज्यादा लोकप्रिय चना सत्तू है, जो प्रोटीन से भरपूर होता है। इसे सूखा पाउडर बनाकर रखा जाता है और ज़रूरत के हिसाब से पानी, गुड़, नींबू, नमक या दूध के साथ खाया या पिया जा सकता है।
सत्तू के फायदे
1. ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत
सत्तू को "देसी प्रोटीन शेक" कहा जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फाइबर होता है, जो शरीर को तुरंत ऊर्जा देता है।
2. पाचन में मददगार
इसमें फाइबर होने के कारण यह पेट साफ रखने में मदद करता है। कब्ज, गैस और अपच जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।
3. वजन घटाने में सहायक
सत्तू खाने से पेट देर तक भरा रहता है जिससे बार-बार भूख नहीं लगती। इससे वजन नियंत्रण में रहता है।
4. हीट स्ट्रोक से बचाव
गर्मी के मौसम में सत्तू का शरबत पीना लू से बचाने में मदद करता है। यह शरीर को ठंडक देता है।
5. डायबिटीज और दिल के लिए फायदेमंद
इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है। साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है।
सत्तू को कैसे खाएं?
सत्तू बहुपयोगी है। इसे कई तरह से खाया जा सकता है:
सत्तू का शरबत:
एक गिलास ठंडे पानी में 2 चम्मच सत्तू, थोड़ा नमक या गुड़, नींबू का रस मिलाकर एक स्वादिष्ट और ठंडा पेय तैयार किया जा सकता है।
सत्तू पराठा:
आटे की लोई में सत्तू, प्याज, हरी मिर्च, धनिया और मसाले भरकर पराठा बनाएं। दही या अचार के साथ खाएं।
सत्तू लड्डू:
सत्तू में घी और गुड़ मिलाकर लड्डू बनाए जाते हैं, जो खासकर सर्दियों में शरीर को गर्मी देते हैं।
सत्तू दूध के साथ:
बच्चों या बुजुर्गों के लिए सत्तू को दूध में मिलाकर पीना फायदेमंद होता है।
किसे और कब खाना चाहिए?
गर्मी में: रोज सुबह या दोपहर को सत्तू का शरबत पीना शरीर को ठंडा रखता है और थकान नहीं होने देता।
वर्कआउट करने वालों के लिए: जिम जाने वाले युवाओं के लिए सत्तू एक अच्छा, सस्ता और नेचुरल प्रोटीन विकल्प है।
बुजुर्गों और बच्चों के लिए: पचने में आसान होने के कारण यह सभी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है।

सत्तू क्यों है खास?
यह बाजार में मिलने वाले महंगे प्रोटीन पाउडर और सप्लीमेंट का देसी विकल्प है।
इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है।
यह सस्ता, पौष्टिक और लंबे समय तक चलने वाला खाद्य पदार्थ है।
सत्तू स्थानीय किसानों से खरीदा जा सकता है जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मदद मिलती है।
आज के दौर में सत्तू की अहमियत
आजकल लोग फिर से देसी चीज़ों की ओर लौट रहे हैं। बाजार में मिल रही मिलावटी चीज़ों और फास्ट फूड के बीच सत्तू एक सुरक्षित, हेल्दी और पारंपरिक विकल्प है। स्कूल, ऑफिस, खेत या घर – सत्तू हर जगह फिट है। इसका सेवन करने से ना केवल शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के तहत देशी उत्पादों को बढ़ावा भी मिलता है।
निष्कर्ष
सत्तू कोई आम खाद्य पदार्थ नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान, परंपरा और स्वास्थ्य का प्रतीक है। इसका स्वाद और पोषण दोनों आज भी उतने ही असरदार हैं, जितने कभी हमारे दादा-दादी के जमाने में हुआ करते थे। तो अगली बार जब भूख लगे या शरीर थका हुआ महसूस हो, तो चिप्स या कोल्ड ड्रिंक की जगह एक गिलास ठंडा सत्तू शरबत ज़रूर आजमाएं।
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