कबाड़ से किया कमाल


आज हम आपको एक ऐसी महिला की कहानी बता रहे हैं जिन्होंने अपने घर के कबाड़ को खूबसूरत क्रिएटिव आइटम्स में बदल दिया। ये कहानी है मेरठ की सुरभि यादव की जो कबाड़ से कमाल की चीजें बनाती हैं। सुरभि का इंस्टाग्राम पेज भी है चलो क्रिएटिविटी करें जहां वो अपने शानदार आइडियाज शेयर करती हैं।

कबाड़ की बोतल से बनी डक और पांडा
सुरभि ने अब तक लगभग 3000 प्लास्टिक बोतलों का रीयूज कर लिया है। एक ईज़ी की बोतल से उन्होंने प्यारी सी डक यानी बत्तख बनाई है। पुराने टायर से उन्होंने एक सुंदर सा पांडा बना दिया। इनकी सासू मां की पुरानी स्टील की केतली को वॉल पुट्टी से सजाकर पेन होल्डर बना दिया।
बोतलों से झूला और हनी बी
15 मज़ा की बोतलों से सुरभि ने एक शानदार हैंगिंग झूला तैयार किया है। एक पुराना टेबल फैन और पूजा का लोटा भी डेकोरेशन का हिस्सा बने हैं। लोटा उनकी सासू मां का था जिसे उन्होंने बेहद सुंदर तरीके से सजाया।
सुरभि ने च्वायवनप्राश और होर्लिक्स के डिब्बों से एक प्यारी सी हनी बी बनाई है। उनके घर की किचन से निकले वेस्ट डिब्बों को सजाकर उनमें पौधे लगाए हैं। कोल्ड ड्रिंक की बोतलें काटकर वॉल हैंगिंग प्लांट होल्डर्स बनाए हैं।

वेस्ट मटेरियल से बना आर्ट
एक पुराने फ्राई पैन में कंस्ट्रक्शन साइट से मिली बजरी और वाल पुट्टी का उपयोग कर उन्होंने खूबसूरत आर्ट पीस तैयार किया है। एक फ्लश सिस्टन खराब हो गया था उसे उन्होंने बास्केट में बदल दिया और उसमें पौधे लगाए। स्कूटी के पुराने टायर, पुरानी लालटेन, स्टोर में पड़े पत्थर – सब कुछ उनके आर्टवर्क का हिस्सा बन चुके हैं। उन्होंने हर चीज को नया जीवन दिया।
जापानी तकनीक – कोकोडमा का प्रयोग
सुरभि ने अपने गार्डन में कोकोडमा नाम की जापानी तकनीक अपनाई है। इसमें मिट्टी, सॉयल मिक्स, कॉटन कपड़ा और धागा इस्तेमाल होता है। यह बिना गमले का पौधा होता है, जो गेंद के रूप में तैयार होता है और दीवार या झूले पर लटकाया जाता है।
शिप और बोतल हाउस
उन्होंने एक शिप भी तैयार की है जो पुराने 5 रुपये के सिक्कों, कपड़े सिलने की रील, कंचों, चेन, और कार्डबोर्ड से बनी है। उस पर गोल्डन कलर किया गया है जिससे वो और भी आकर्षक लगती है। मैम ने कांच की वेस्ट बोतलों से बोतल हाउस भी बनाया है, जिसमें नेस्ट, बर्ड्स और क्ले से बने हाउस लगे हैं। ये देखने में बेहद सुंदर और यूनिक लगता है।

प्लांट्स और गार्डन
उनके गार्डन में जितने भी पौधे हैं वे सभी कटिंग से तैयार किए गए हैं। वो नर्सरी से बहुत कम पौधे लाती हैं। अमूल की दही के कंटेनर को डेकोरेट करके उसमें भी मनी प्लांट लगाए हैं। उनका हर एक प्लांट बोतल या वेस्ट बास्केट में लगा है।
निष्कर्ष
सुरभि यादव हमें सिखाती हैं कि अगर चाह हो तो कबाड़ भी कला बन सकता है। प्लास्टिक बोतलें, पुराने बर्तन, टायर, फैन, डब्बे – ये सब आम लोगों के लिए बेकार चीजें हो सकती हैं, लेकिन सुरभि के लिए ये क्रिएटिविटी का खजाना हैं। अगर आप भी उनके जैसे कुछ बनाना चाहते हैं तो उनके इंस्टाग्राम पेज चलो क्रिएटिविटी करें से आइडिया ले सकते हैं। उनकी कला से हमें न सिर्फ प्रेरणा मिलती है बल्कि पर्यावरण बचाने का संदेश भी मिलता है।
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