बताशे बनाने की मशीन


इस मशीन ने घंटों में होने वाले कार्य को कर दिया आसान, मिनट में होता है हजारों यूनिट का प्रोडक्शन। मंदिरों के प्रसाद से लेकर घरों में भी इस्तेमाल होने वाले शुद्ध मिष्ठान, जिसे बताशे के नाम से जाना जाता है, का उत्पादन मशीन द्वारा आसानी से होने लगा है। बना देते हैं रंग-बिरंगे, छोटे-बड़े कई तरह के बतासे। आये जानते हैं संजीव जी से, वह किस तरह इस शानदार कार्य को अपने घर में ही घर के सदस्यों की मदद से करते हैं-

बताशे बनाने के लिए सबसे पहले कच्चे माल के रूप में चासनी तैयार की जाती है। जिसके लिए एक भट्टी पर बड़े से कढ़ाहे को रखा जाता है, जिसमें चीनी और हाइड्रो को डालकर पकाते हैं और चासनी एक पेस्ट के रूप में बनकर तैयार हो जाती है। चासनी का पेस्ट तैयार हो जाने के बाद इसको मशीन की फनल में डाल देते हैं। जिसमें करीब 13-14 बतासे बनाने के होल होते हैं, जो बहुत जल्दी-जल्दी बतासे के आकार में चासनी को बेल्ट पर ड्रॉप करते रहते हैं तथा बेल्ट चलती रहती है और चासनी सुखकर शाइनिंग के साथ बतासे के रूप में ढल जाती है। सभी बतासे बहुत ही फिनिशिंग के साथ समान आकार मैं बनते हैं।

यह मशीन एक मोटर की सहायता से चलती है जिसमें एक सिलिकॉन की बेल्ट होती है, जो चपटे आकार में घूमती रहती है। मशीन में ड्रॉपिंग का बटन दबाने से बताशे नीचे बेल्ट पर गिरने लगते हैं। बताशे के साइज के लिए ड्रॉप आउट हॉल को आवश्यकता अनुसार एडजस्ट कर सकते हैं। चासनी भरने वाले झब्बा हाइड्रोलिक पॉवर से संचालित होता है, जो चासनी के अनुसार ऊपर-नीचे होता रहता है। इसको सिलेंडर चूल्हे की सहायता से हल्का गर्म किया जाता है, ताकि चासनी जमे ना।

इस मशीन द्वारा 4 मिनट में 15 से 20 किलोग्राम तक बतासे उत्पादित किए जाते हैं। बतासों को सुंदर दिखाने के लिए अलग-अलग रंग की चासनी बनाकर, रंग-बिरंगे बतासे निकालते हैं। बतासों को करीब 1 घंटा सूख जाने के बाद पॉलिथीन में पैक कर बाजार में बेचने हेतु सप्लाई कर दिए जाते हैं। इनका पता हावड़ा रेलवे स्टेशन के पास (पश्चिम बंगाल) है। दोस्तों ऐसे छोटे-छोटे लघु उद्योग शुरू करके जीविकार्जन कर बेरोजगारी जैसी समस्या को खत्म किया जा सकता है। ऐसे लघु उद्योग थोड़ी-सी जगह में परिवार के सदस्यों की मदद से भी शुरू कर सकते हैं। ऐसी ही और अन्य जानकारियों के लिए जुड़े रहे, द अमेजिंग भारत के साथ। धन्यवाद॥
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