मिनटों में हजारों ईंटों का उत्पादन, कमाल की मशीन


इस विकासशील दौर में जहां बड़ी-बड़ी इमारतें, बिल्डिंगस दिनों-दिन तेजी से बनते जा रहे हैं तथा उनमें इस्तेमाल होने वाले मूलभूत उत्पाद ईंट की जरूरत शीर्ष पर रहती है और इसकी पूर्ति करने वाले श्रमिकों की कमी हमेशा देखने को मिलती है। इसी समस्या को देखते हुए आविष्कार किया है एक ऐसी अद्भुत मशीन का जो मिनटों में हजारों ईंटे बना देती है। ईंट किसी भी बिल्डिंग की मूल इकाई होती है, जिसका प्रयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है तथा अब से पहले इसे श्रमिकों की मदद से, हाथों द्वारा बनाया जाता था। जो बहुत ही कठिन कार्य तथा धीमी गति से होता था।
ईंट बनाने की विधि:
ईंटें बनाने के लिए सबसे पहले विशेष प्रकार की चिकनी-कच्ची मिट्टी का पेस्ट बनाकर, मोल्ड द्वारा ईंट का आकार दिया जाता है, जिसे कच्ची ईंट कहते हैं। तथा फिर उसे ईंट भट्टे के अंदर, ईंधन जलाकर पका लेते हैं। कच्ची ईंट लगभग 15 घंटे भट्टे में तपने के बाद पक्की हो जाती है। यह साधारण सी विधि सदियों से चलती आ रही है; परंतु इसमें सबसे कठिन कार्य कच्ची ईंटों का मॉल्ड बनाना ही होता था, जिसे इस मशीन के द्वारा बेहद आसान कर दिया है। आये जानते हैं यह मशीन किस तरह कच्ची ईंटों को बनती है।
मशीन किस प्रकार बनती है कच्ची ईंटें:
यह बड़ी-सी दिखने वाली उच्च तकनीक और इंजीनियरिंग से युक्त मशीन बेहद शानदार तरीके से समान आकार की ठोस तथा एकदम मजबूत ईंटों का निर्माण करती है। यह सबसे पहले मिट्टी को छानकर, बारीक पीसकर गारा तैयार करती है। फिर इस तैयार गारा को मशीन में ऊपर की तरफ भर देते हैं। मशीन में एक बार में 4,500 ईटों की आपूर्ति हेतु गारा भरी जा सकती है। इसी के साथ इसमें ऊपर की तरफ थोड़ा रेत भी भरा जाता है, जिससे गारा ईंटों के मोल्ड में नीचे ना चिपके और ईंट आसानी से छूट कर जमीन पर बिछ जाए। मशीन में एक बड़ा-सा गोल पहिया है, जिसमें चारों तरफ ईट के आकार के खांचे बने हुए हैं। वह पहिया घूमता रहता है, ऊपर की तरफ आने पर खांचों में स्वत: ही पहले रेत तथा पर्याप्त मिट्टी भर जाती है तथा इतने वह पहिया घूम कर नीचे जमीन के संपर्क तक आता है, इतने मोल्ड में ईंट बनकर तैयार हो जाती है और मशीन ईंट को नीचे जमीन पर छोड़कर आगे बढ़ जाता है। इसी प्रकार यह प्रक्रिया एक समान गति से चलती है और ईंटों का निर्माण होता रहता है। ईंट के मोल्ड बनाते समय, कटिंग हुई मिट्टी एक तरफ बड़े से बॉक्स में इकट्ठी होती रहती है, जिसे पुनः इस्तेमाल हेतु ऊपर मिट्टी वाले बॉक्स में डाल देते हैं। मशीन में सभी कार्य हेतु अलग-अलग विभिन्न क्षमताओं वाले मोटर लगे हैं तथा पीछे की तरफ एक बड़ा-सा जनरेटर भी अटैच है।
इसी तरह 1 घंटे में 10000 ईंटें बनकर तैयार हो जाती है। इन कच्ची बनी हुई ईंटों में यदि 2 दिन की धूप भी लग जाए तो वह इतनी सख्त और मजबूत हो जाती है, कि उस पर बरसात का भी कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता। ये एक सीजन में 40 लाख ईंटों का निर्माण कर लेते हैं। इन कच्ची ईटों को गर्मियों के दिनों में चार से पांच दिन तक सूखने के बाद पकाने हेतु भट्टे में भर दिया जाता हैं। भट्टे में नीचे की तरफ ईटों के चट्टे लगा देते हैं तथा ऊपर से बहुत सारे तवे हटाकर उसमें ईंधन डाला जाता है। जो 10 से 12 घंटे कि आंच लगने के बाद पक कर लाल होना शुरू हो जाती है। यही प्रक्रिया प्रतिदिन 4 महीनों तक चलती हैं। इस तरीके से ईंटों में बहुत ही फिनिशिंग आती है और मशीन द्वारा कच्ची ईंट बनाते समय उन पर एक प्रकार की प्रेस होने की वजह से पककर खनक भी अच्छी आती है।

मशीन की खपत:
इस ब्रिक्स मैन्युफैक्चर मशीन का प्रोडक्शन 10 से 12 हजार प्रति घंटा है तथा 1 घंटे में करीब 16 से 18 लीटर डीजल की खपत लगती है। इसमें उपस्थित इलेक्ट्रिक पैनल तथा बहुत सारे सेंसर होते हैं, यदि इसमें कहीं कोई कचरा आदि फंस जाता है तो सेंसर इंडिकेट कर बता देता है की किस स्थान पर दिक्कत है। पीछे की तरफ 200 लीटर का एक पानी का टैंक भी है, जो मशीन के मोल्ड को पानी के प्रेशर से धोता रहता है।
मशीन में एक टाइमर भी लगा हुआ है, जो ईंट बनने की गति को नियंत्रित करता है। इसके अलावा SnPc ने एक नया मॉडल और लॉन्च किया है, जो 1 घंटे में करीब 25,000 ईंटों का उत्पादन करता है। यदि कोई कृषक व्यवसायी भाई इनसे संपर्क करना चाहे तो इनका मोबाइल नंबर 9813504530 या 96540 78255 पर कॉल कर सकता है। तो दोस्तों कैसी लगी ये जानकारी कमेंट करके अवश्य बताएं तथा इसी प्रकार अन्य जानकारियों के लिए जुड़े रहे "द अमेजिंग भारत" के साथ। धन्यवाद॥
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