समर दास जी की ऐतिहासिक कारें – क्लासिक गाड़ियों का खजाना


कोलकाता के समर दास जी के पास कुछ ऐसी क्लासिक कारें हैं, जो ऑटोमोबाइल इतिहास की अनमोल हैं। उनकी दो खास गाड़ियाँ – 1957 मॉडल डॉज किंग और 1937 मॉडल क्लासिक कार – अब भी अपनी पुरानी शान में हैं। इनकी देखभाल बिल्कुल वैसे ही किया गया है, जैसे ये अपने समय में थीं। आइए, इन दोनों गाड़ियों की खासियतों को करीब से जानते हैं।
1957 मॉडल डॉज किंग
1957 का यह मॉडल देखने में बिल्कुल उसी तरह का है जैसा उस समय था। इस कार की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके बोनेट को पकड़ने के लिए स्टैंड नहीं दिया गया, बल्कि इसमें स्प्रिंग सिस्टम है, जो बोनेट को अपने आप होल्ड कर लेता है।
- साइड ग्लास: पहले की कारों में एयर कंडीशनर (AC) नहीं होता था, इसलिए इसमें खास डिजाइन का साइड ग्लास दिया गया है, जिससे ताज़ी हवा अंदर आ सके।
- गेट का डिजाइन: आगे के दरवाजे आम कारों की तरह ही खुलते हैं, लेकिन पीछे के गेट उल्टी दिशा में खुलते हैं, जो इसे खास बनाता है।
- माइलेज और इंजन: इसका माइलेज 3-4 किमी प्रति लीटर रहता है और इसमें 3100 CC का ओरिजिनल इंजन लगा हुआ है, जो उसी समय का बना हुआ है।

अन्य विशेषताएँ-
- यह एक बैठने के लिए बनाई गई कार है
- हॉर्न और रेडियो अभी भी काम करते हैं, और ये उसी जमाने के हैं।
- पीछे दिग्गी में बहुत ज्यादा स्पेस है सामान रखने के लिए ।
- कार पर डॉज किंग का लेबल भी लगा हुआ है, जो इसे ऐतिहासिक बनाता है।
1937 मॉडल प्ले माउथ कार
यह कार जब समर दस जी के पास आई थी, तब इसका रंग लाल और काला था। इसे दो साल तक रेस्टोर किया गया, ताकि यह अपनी असली हालत में आ सके।

डिजाइन और फीचर्स-
- आजकल की कारों में वाइपर नीचे लगे होते हैं, लेकिन इस कार में वाइपर ऊपर लगे हैं।
- इसमें एयर वेंट सिस्टम दिया गया है – अगर कार में हवा चाहिए, तो बोनेट पर बने स्पेस को खोला जा सकता है, जिससे ताज़ी हवा अंदर आ जाती है।
इंजन और परफॉर्मेंस-
- यह कार भी 3100 CC के इंजन के साथ आती है, और इसमें भी कोई बदलाव नहीं किया गया है।
- इसकी फ्यूल टंकी 75 लीटर की है, जिससे यह लंबी दूरी तय कर सकती है।
अन्य विशेषताएँ:
- इसमें 3 गियर हैं, जो पुराने जमाने की तकनीक के अनुसार बनाए गए हैं।
- स्पीडोमीटर और टेम्परेचर मीटर इसमें मौजूद हैं, जो उस समय की उन्नत तकनीक को दर्शाते हैं।
- कार स्टार्ट करने के लिए चाबी घुमाने के बाद नीचे लगे बटन को दबाना पड़ता है।
- टायर: इस कार के टायर अमेरिका से आए हैं, लेकिन दूसरी कार के टायर भारत में बना है।
निष्कर्ष
समर दास जी की ये गाड़ियाँ केवल वाहन नहीं हैं, बल्कि इतिहास की अनमोल धरोहर हैं। इनकी खास बनावट, अनूठी विशेषताएँ और पुराने ज़माने का स्टाइल देखकर आज भी लोग इनकी तरफ आकर्षित होते हैं। यह सिर्फ एक कार संग्रह नहीं, बल्कि पुरानी ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग का जीवंत उदाहरण है।
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