खजूर की पत्तियों से पंखा और झाड़ू बनाने की कला


सदियों से चली आ रही है ऐसी तकनीक जो गर्मियों में बहुत उपयोगी है। यह ना किसी बिजली की मोहताज है, ना किसी बैटरी की सिर्फ चलता है हाथ से और देता है मस्त ठंडी हवा। खर्चा इतना की एक बर्गर से भी कम कीमत में प्राप्त हो जाए। जी हां दोस्तों! हम बात कर रहे हैं हाथ के पंखे की। यह बनता है खजूर की पत्तियों से जिसमें है एक अनोखी कलाकारी। इसी के साथ खजूर की पत्तियों से बनने वाली झाड़ू भी सफाई करने के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाए हुए हैं। आये जानते हैं हम इस लेख में इन दोनों चीजों का निर्माण कैसे होता है।
हाथ का पंखा बनाने की विधि:
सबसे पहले खजूर के पेड़ से उसकी लंबी-लंबी डालिया तोड़ कर लाते हैं और फिर उसे सुखाते हैं, जो सूखने पर हरी से सफेद हो जाती है। इस पर एक बार फिर पानी का छिड़काव किया जाता है, जिससे यह मुलायम हो जाती है। इसका हैंडल भी खजूर की डाली का ही होता है।
उसमें से पहले कुछ पत्तियों की छटनी कर ली जाती है तथा फिर उसके बीच में से आडी पत्तियां निकालकर बुनते है। बीच में से बुना जाता है और किनारो पर से बची पत्ती को अंदर की तरफ मोड़ देते हैं। सुंदर डिजाइन बनाने के लिए कुछ पत्तियों को रंग से रंग कर बीच डाला जाता है, जिससे पंखा सुंदर लगता है। किनारो पर से अच्छे से मोड देने के कारण यह थोड़ा मोटा भी हो जाता है और बुनने में सफाई भी आती है। हाथ से हिलाने पर एकदम ठंडी हवा देता है।
खजूर की झाड़ू:
खजूर की पत्तियों से झाडू बनाना भी बहुत ही आसान और इंट्रेस्टिंग है। सबसे पहले डाली में से छोटे-छोटे पत्तियों को अलग-अलग चीर लिया जाता है। फिर उन्हें एक-एक करके चुनते हैं और जो लकड़ी होती है उन्हें किनारो पर हैंडल के साथ एक तरह से अटैच कर देते हैं, जिससे उनका हैंडल सख्त और मोटा बन जाता है। फिर कुछ खजूर की पत्तियों के पीस उसमें जोड़ते हैं और तार से हैंडल को मजबूती से बांध देते हैं। कम से कम ऊपर की तरफ तीन जगह से झाड़ू को कसकर बांधते हैं। एक पत्ती को गोल आकार में अलग तरह की गांठ मार कर चूड़ी-सी बना लेते हैं। खजूर की पत्तियां अभी चौड़ी और मोटी है, झाड़ू लगाने में सफाई नहीं आयगी।
इसलिए इन पत्तियों को एक धारदार लोहे के कंधे से महीन करते हैं। जैसे-जैसे कंघा इन पत्तियों पर रगड़ते हैं, पत्तियां बीच में से चीरकर रेशेदार और बारीक होने लगती है। हालांकि इन पत्तियों को कंघा कर महीन करना बड़ा ही कलाकारी भरा कार्य है; परंतु इन लोगों की तो हाथ में तो कला ही कला है, इसलिए यह बड़ी ही सफाई से इसको एकदम महीन कर देते हैं। अब इसको फाइनल रूप देने के लिए इसके हैंडल में एक प्लास्टिक का हत्था चढ़ा देते हैं और चूड़ी आगे की तरफ फसा देते हैं ताकि झाड़ू पीछे से पतली और आगे से फूली हुई लगे।

अब यह झाड़ू बनकर तैयार है।दोस्तों यह ऐसे कार्य जिनको बहुत ही कम पूंजी में शुरू किया जा सकता है तथा बाजार में भी इनकी डिमांड हमेशा बनी रहती है। इस प्रकार लघु उद्योग के कारीगरों से हमें सीखना चाहिए, और ऐसे कारोबार को बड़े स्तर तक ले जाना चाहिए। दोस्तों कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट कर अवश्य बताएं तथा ऐसी ही रोचक जानकारी के लिए जुड़े रहे "द अमेजिंग भारत" के साथ। धन्यवाद॥
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