मिट्टी से बना जादुई घर


आज के समय में पर्यावरण को बचाने और प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करने की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है। इसी दिशा में बेंगलुरु के विष्णु जी ने एक अनोखा तरीका खोजा है, जिससे मिट्टी के मजबूत और टिकाऊ घर बनाए जा सकते हैं। खास बात यह है कि इन घरों को बनाने के लिए किसी भी ईंट को भट्टी में पकाने की जरूरत नहीं होती जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता।

मिट्टी से बने खास ब्लॉक्स
इस तकनीक में दो तरह की मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है
1. खेतों से निकाली गई मिट्टी
2. खुदाई (डिगिंग) से निकाली गई मिट्टी

मिट्टी को पहले मशीन में डालकर साफ किया जाता है। इसमें से बेकार कण और बड़े पत्थर अलग कर दिए जाते हैं। फिर बचे हुए बड़े पत्थरों को एक बड़ी मशीन में डालकर बारीक पाउडर बना लिया जाता है। इसके बाद दोनों मिट्टियों को एक निश्चित मात्रा में मिलाया जाता है। इस मिश्रण में 5% सीमेंट और कुछ हर्बल उत्पाद मिलाए जाते हैं जिससे इसकी मजबूती और बढ़ जाती है। लगभग 20 मिनट तक इसे अच्छी तरह मिलाने के बाद मिट्टी की गुणवत्ता चेक की जाती है। अगर मिट्टी सही तरह से तैयार नहीं होती, तो इस प्रक्रिया को दोबारा दोहराया जाता है।
बिना पकाए बनने वाले मजबूत ब्लॉक्स
मिट्टी तैयार होने के बाद इसे एक मशीन में डाला जाता है, जहां हल्का सा ऑइल स्प्रे किया जाता है। इसके बाद मशीन इस मिट्टी को कंप्रेस करती है, जिससे एक फुट लंबा और 7-8 इंच चौड़ा ठोस ब्लॉक बनकर तैयार हो जाता है। ये ब्लॉक पूरी तरह नॉन-बेक्ड होते हैं यानी इन्हें भट्टी में पकाया नहीं जाता। मिट्टी को पकाने से उसके प्राकृतिक गुण खत्म हो जाते हैं इसलिए इस तकनीक में इसे प्राकृतिक रूप में ही इस्तेमाल किया जाता है।
21 दिनों तक पानी से तराई
ब्लॉक्स को तैयार करने के बाद इन्हें 21 दिनों तक पानी से सींचा जाता है ताकि वे पूरी तरह से मजबूत हो जाएं। और 13 दिन बाद ये ब्लॉक्स भेजना के लिए तैयार हो जाते है इसके बाद इन्हीं ब्लॉक्स से दीवार बनाई जाती है। ब्लॉक्स को इंटरलॉकिंग तरीके से जोड़ दिया जाता है जिससे यह घर और भी मजबूत बनता है। ब्लॉक्स में चारों तरफ छोटे स्लॉट होते हैं, जिससे ये आसानी से एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं। बीच में बची थोड़ी-सी जगह को पेस्ट के रूप में सीमेंट से भर दिया जाता है।
ठंडा और प्राकृतिक घर
इस तरह बने घरों की दीवारों का रंग प्राकृतिक मिट्टी की तरह ही होता है, जिसे चाहें तो कलर भी किया जा सकता है। इन घरों की छत पर सीमेंट की शीट लगाई जाती है और फर्श को टाइल्स से बनाया जाता है। और दीवारे इनके इन्ही मिटटी के ब्लॉक्स से बनयी गयी है सबसे खास बात यह है कि इन घरों का तापमान प्राकृतिक रूप से संतुलित रहता है जिससे गर्मी के मौसम में भी घर ठंडा रहता है और सर्दियों में ज्यादा ठंड नहीं लगती।
पर्यावरण के लिए फायदेमंद
विष्णु जी की यह तकनीक पर्यावरण के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि इसमें पारंपरिक ईंटों की तरह भट्टी में मिट्टी को जलाने की जरूरत नहीं पड़ती। इससे न केवल मिट्टी के प्राकृतिक गुण सुरक्षित रहते हैं, बल्कि पर्यावरण में प्रदूषण भी कम होता है। साथ ही, यह एक सस्ता और टिकाऊ विकल्प भी है जो आम लोगों को कम लागत में एक मजबूत और सुंदर घर बनाने में मदद करता है।
निष्कर्ष
मिट्टी से बना यह जादुई घर सिर्फ एक नया आविष्कार नहीं, बल्कि पर्यावरण को बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम भी है। विष्णु जी की यह पहल आने वाले समय में घर बनाने की पारंपरिक तकनीकों में बड़ा बदलाव ला सकती है। ऐसे टिकाऊ और प्राकृतिक घरों को अपनाकर हम भी पर्यावरण की सुरक्षा में अपना योगदान दे सकते हैं।
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