मिट्टी से बनी मूर्ति की कलाकारी


दोस्तों आज जानेंगे हम एक ऐसे हुनर के बादशाह के बारे में, जो बिना किसी मशीनी प्रयोग के बना देता है ऐसी कमाल की मूर्तियां जिन्हें देखकर आप दंग रह जाएंगे। जो देखने में एकदम जीवंत प्रतीत होती है। जिनके चर्चे न सिर्फ देशभर बल्कि विदेश में भी है। आये जानते हैं महाराष्ट्र के संतोष जी से वह किस प्रकार गाय-बैल, घोड़े तथा महापुरुषों की मूर्तियां इतनी बारीकी से बना देते हैं। छोटी से लेकर बड़ी तक बनाई गई यह मूर्तियां ऐसे प्रतीत होती है मानो प्राण डलते ही चलने लगेंगी।
मूर्ति बनाने का प्रोसेस:
कोई भी मूर्ति बनाने के लिए सबसे पहले ये उसकी एक्चुअल छवि अपने मन मस्तिष्क और पेपर पर उतार लेते हैं। उसके बाद सपोर्ट के लिए लोहे का एक स्ट्रक्चर बनाते हैं। उस पर गीली मिट्टी को थोड़ा-थोड़ा लगाकर आवश्यक आकृति की सेप देते हैं। जैसे इन्होंने ढालते-ढालते मिट्टी से एक बैल की आकृति बना दी। अब इस बनी आकृति से फार्मा बनाएंगे ताकि इस प्रकार की अन्य और और मूर्तियां बनाने में आसानी हो।
मूर्ति से फार्मा बनाने की कला:
मिट्टी से मूर्ति बना देने के बाद उसका फार्मा लेने के लिए मूर्ति पर विभिन्न प्रकार की कोटिंग की जाती है। इसमें सबसे पहले फार्मा आपस में ना चिपके इसलिए मूर्ति के बीचों-बीच शीर्ष पर ताश के पत्ते खड़े करके लगा देते हैं। अब मूर्ति पर वैक्स की कोटिंग की जाती है, जिससे फर्मा मूर्ति के ऊपर चिपके ना और आसानी से अलग हो जाए। अब इस पर रेजिन में कॉर्बेट और हार्डनर मिलकर एक प्रकार से पुट्टी का पेस्ट तैयार किया जाता है। हार्डनर मिलने पर ही पुट्टी जल्दी से सख्त होती है। पुट्टी करने से पहले इस पर प्लास्टिक के बारीक तंतुओं की मैट के छोटे-छोटे टुकड़े लगा देते हैं, जो इस ढांचे को मजबूती देने का कार्य करते हैं तथा उन टुकड़ों के ऊपर पुट्टी की एक पतली परत का लेप कर चढ़ा देते हैं। इस प्रकार ढांचे पर दो परत चढाकर पुट्टी का लेप कर देते हैं। मूर्ति पर चारों तरफ लेप कर देने के बाद वह सुख कर एक फ्रेम का रूप ले लेता है।
फ्रेम से मूर्ति बनाना:
दरअसल इस फ्रेम को कई पार्ट में बनाया जाता है जिन्हें बाद में असेंबल कर मूर्ति का रूप देते हैं। सबसे पहले इस फ्रेम के अंदर वैक्स लगाया जाता है, जिससे इसमें डालने वाला पदार्थ फ्रेम से चिपके ना। अब फ्रेम के ऊपर मैट लगाकर वही सेम पुट्टी के मिश्रण से चिपकाया जाता है तथा फिर फ्रेम को बोल्ट से कसकर टाइट बंद कर देते हैं। 30 मिनट बाद जब फ्रेम खोलते हैं तो हमें सुंदर मूर्ति बनकर तैयार मिलती है, जिसे बाद में फिनिशिंग के लिए सेंड पेपर से घिसा जाता है, जिससे उसे पर शाइनिंग आती है और कोई जॉइंट भी नहीं दिखता। अब इस पर कलर करने का कार्य बचता है जो स्प्रे द्वारा किया जाता है तथा एकदम असली लुक देने के लिए इस पर विभिन्न एक्सप्रेशनों का विशेष ध्यान रखा जाता है।
इस प्रकार इन्होंने बहुत बड़े-बड़े बैल, घोड़े, इंसानों की मूर्तियां भी बना रखी है, जो एकदम असली जैसे प्रतीत होते हैं। इस कलाकारी को अंजाम देने में इनको एक मूर्ति बनाने में एक-एक महीना भी लग जाता है। जैसे इन्होंने इस बैल पर नेचुरल कलर करते समय डिटेलिंग एक्सप्रेशन का विशेष ध्यान रखा है। बैल के कानों में हल्का ब्राउन कलर, उसकी लाल आंखें, उस पर पड़ने वाली सलवटें आदि बारीकियां को उभारा हैं। घर ऑफिस तथा शोरूम आदि में रखने हेतु यह शानदार मूर्तियां और विभिन्न मॉडल जो इंटीरियर डिजाइनिंग में चार चांद लगा देते है तथा देखने वाले इन्हें देखते ही रह जाते हैं। यदि कोई भाई इनसे संपर्क करना चाहे तो इनकी यह वर्कशॉप स्लोक आर्ट के नाम से खेड़ा तालुका, जिला पुणे महाराष्ट्र में स्थित है। इनका मोबाइल नंबर 9763170275 है। तो दोस्तों कैसी लगी आपको यह जानकारी ऐसे ही रोचक तथ्यों के लिए जुड़े रहे "द अमेजिंग भारत" के साथ। धन्यवाद ॥जय हिंद॥
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