प्राचीन पेठा मिठाई के लजीजपन का राज

भारत में इज़ात हुई एक ऐसी मिठाई जो सदियों से बनती आ रही है। यह दुनिया की सबसे शुद्ध और हेल्दी मिठाई मानी जाती है। सबसे खास बात कि ये महीनों तक खराब नहीं होती क्योंकि इसमें दूध, खोया-मावे, वसा आदि का प्रयोग ही नहीं होता। इसलिए इसमें मिलावट का कोई नामो निशान ही नहीं। जी हां दोस्तों! हम बात कर रहे हैं पेठे की मिठाई की। जितनी यह खाने में लजीज है उतना ही इसको बनाना आसान है। आये जानते हैं आज हम प्राचीन पेठा के नाम से प्रचलित एक ब्रांड से वह किस प्रकार इस मिठाई को बनाते हैं।
पेठे की मिठाई बनाने की विधि:
कच्चे माल के रूप में सबसे पहले किसानों से पेठे को मंगाया जाता है। हर सीजन में अलग-अलग क्षेत्र मुंबई-बेंगलुरु तक से पेठा आता है। अब पेठे को धोया जाता है और उसका छिलका उतारकर छोटे-छोटे पीस में काट लेते हैं। इस कटे हुए पेठे को एक विशेष मशीन पर ले जाते हैं, जिसमें बहुत सारी नुकीली सुई लगी होती है। यह मशीन इनमें अंदर तक छोटे-छोटे छिद्र कर देती है, जिसे गुदाई करना कहते हैं। अब ऐसा करने से मिठाई की बनने वाली चासनी इसमें अंदर तक अच्छे से भर जायेगी।
कंचा पेठा:
यह भी पेठा मिठाई की एक अलग वैरायटी है। इसमें छिले हुए पेट में से एक गोल चम्मच द्वारा गोल-गोल कंचे जैसे आकार में पेठे का पल्प निकाल लेते हैं और फिर उसको भी मशीन में डाला जाता है और अच्छे से गुदाई होती है।अब इन कटे हुए पेठों को लाइम वॉटर में रखा जाता है क्योंकि गुदाई करते समय पेठा अपनी स्ट्रैंथ छोड़कर थोड़ा ढीला होता है इसलिए लाइम वॉटर में भीगने पर वह पुनः सख्त हो जाता है। मिठाई के लिए चासनी बनाने हेतु एक बड़े से कढाहे में सल्फर मुक्त चीनी पानी में घोली जाती है और गर्म करते है, इस चीनी का रंग थोड़ा गादला होता है जो बनी मिठाई का रंग भी काला कर देता है।
इसलिए शुद्ध साफ-सुंदर मिठाई प्राप्त करने हेतु इस चासनी की एक प्रकार से सफाई की जाती है। इसके लिए चासनी की कढ़ाई में थोड़ा दूध मिला देते है। इससे चासनी के ऊपर गंदगी झाग के रूप में आ जाती है, जिसे छलनी द्वारा अलग कर देते हैं। दो-तीन बार यह प्रक्रिया दोहराने के बाद एकदम ट्रांसपेरेंट चासनी प्राप्त हो जाती है।अब लाइम वॉटर में डूबे पेठे को अच्छे से कम से कम 5 से 6 बार वॉश करते हैं और उसे उबलने हेतु बड़ी-सी कढ़ाई में भट्टी पर रख देते हैं।
पेठा उबालने के बाद एक बार फिर अच्छे से धोया जाता है और फिर उसे चासनी में उबालते हैं तथा 6 से 7 घंटे चासनी में ही डूबा हुआ छोड़ देते हैं। ठंडा होने पर डब्बों में पैक कर सप्लाई करने हेतु तैयार कर लेते हैं।
पेठे की अन्य वैरायटी:
इसी के साथ इन्होंने पेठे से और अन्य 8-10 तरह की मिठाई भी बनाई हुई है। जिसमें स्टफ पेठा, चॉकलेट पेठा, मावा पेठा आदि है। पेठे की दो परतों के बीच में मावा या चॉकलेट भरकर नया फ्लेवर तैयार हो जाता है। यदि कोई भाई इनसे संपर्क करना चाहे तो उनकी वेबसाइट www.prachinpetha.com विजिट कर सकता है। कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट कर अवश्य बताएं तथा ऐसी ही अन्य रोचक जानकारी के लिए जुड़े रहे द अमेजिंग भारत के साथ। धन्यवाद॥
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