देश में फूलों की खेती का एक अलग ही महत्व है। त्योहारों से लेकर शुभ अवसरों तक इसका महत्व बढ़ जाता है। हालांकि कुछ फूल ऐसे भी होते हैं जिनसे तरह-तरह के उत्पाद भी बनाए जाते हैं। इनकी खेती कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
सूरजमुखी भी इन्हीं फूलों में से एक है। सूरजमुखी के फूलों व बीजों में कई औषधीय गुण छिपे होते हैं। दिल को स्वस्थ रखने से लेकर यह कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से बचाव करता है।
सूरजमुखी एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, बेहतर मुनाफा देने वाली इस फसल को नकदी फसल के नाम से जाना जाता है। सूरजमुखी की खेती देश में पहली बार 1969 में उत्तराखंड के पंतनगर में की गई थी। यह एक ऐसी तिलहनी फसल है, जिस पर प्रकाश का कोई असर नहीं पड़ता।
किसान भाई से इसे खरीफ, रबी और जायद तीनों सीजनों में उगा सकते हैं। इसके बीजों में 45 से 50 फीसदी बीज पाया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में अपनी उत्पादन क्षमता और अधिक मूल्य के कारण सूरजमुखी की खेती किसानों के बीच लोकप्रिय हो रही है।
तीनों मौसम की जाती है खेती:
सूरजमुखी सदाबहार है, जिसकी खेती रबी, खरीफ और जायद तीनों सीजनों में की जाती है। इसके बीज से तेल भी बनाया जाता है। इनका इस्तेमाल सुगंधित प्रोडक्ट्स को बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।
भूमि का चुनाव:
सूरजमुखी की फसल हर प्रकार की मिट्टी में उगाईजा सकती है। जहां पर पानी निकास का अच्छा प्रबंध हो। अम्लीय और क्षारीय जमीनों में इसकी खेती करने से बचना चाहिए।ज्यादा पानी सोखने वाली भारी जमीन इस के लिए ज्यादा अच्छी होती है। खेत में भरपूर नमी न होने पर पलेवा लगाकर जुताई करनी चाहिए। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने के बाद साधारण हल से 2-3 बार जुताई कर के खेत को भुरभुरा बना लेना चाहिए या रोटावेटर का इस्तेमाल करना चाहिए।
90-100 दिनों में फसल तैयार:
यह फसल 90 से 100 दिनों के बीच पककर तैयार हो जाती है। इसके बीजों में 40 से 50 फीसदी तेल पाया जाता है। बलुई और हल्की दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त मानी जाती है। बता दें कि सूरमुखी के पौधे मधुमक्खियों के परागण की वजह से बेहद तेजी से विकास करते हैं। इसके लिए किसानों फसल के आसापास मधुमक्खी पालन की भी सलाह दी जाती है। ऐसा करने से किसान शहद उत्पादन के जरिए अतिरिक्त आमदनी भी हासिल कर सकते हैं।
सूरजमुखी के फायदे:
सूरजमुखी के फूलों व बीजों में कई औषधीय गुण छिपे होते हैं। दिल को स्वस्थ रखने से लेकर यह कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से बचाव करता है। इसके अलावा सूरजमुखी के तेल का सेवन करने से लीवर सही तरीके से काम करता है और ऑस्टियोपरोसिस जैसी हड्डियों की बीमारी भी नहीं होती है, यह त्वचा को निखारने के साथ बालों को भी मजबूत बनाता है।
इसके बीज न केवल स्वादिष्ट होते हैं ,बल्कि इन्हें खाने से पोषण भी मिलता है और यह पेट भी भरते हैं। सूरजमुखी के बीज सभी फूड स्टोर्स में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। सूरजमुखी के बीजों को खाने से हार्ट अटैक का खतरा कम होता है, कोलेस्ट्रॉल घटता है, त्वचा में निखार आता है तथा बालों की भी ग्रोथ होती है।
उन्नत बीजों का चयन:
इसके बाद बुवाई के लिये सूरजमुखी की हाइब्रिड और उन्नत किस्मों का ही चुनाव करें। अच्छी पैदावार के लिये खेत में गोबर की सड़ी खाद या वर्मी कंपोस्ट डालने की सलाह दी जाती है। जानवरों से फसल की सुरक्षा के लिये किसानों के लिए मेड़बंदी बेहद जरूरी है।
कब काटी जाती है फसल:
जाहिर है कि सूरजमुखी की खेती तेल के उद्देश्य से की जाती है। कई कंपनियां इसके ब्यूटी प्रॉडक्ट्स भी बनाती है। खाद्य तेल और औषधीयय तेल के तौर पर भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। बता दें कि सूरजमुखी की फसल तब काटी जाती है जब सभी पत्ते सूख जाते हैं और सूरजमुखी के सिर का पिछला भाग नींबू पीला हो जाता है। देर करने पर दीमक का हमला हो सकता है।
फसल की सुरक्षा:
सूरजमुखी में तोते सर्वाधिक नुकसान पहुंचाते हैं। तोते प्राय: दाने पडऩे की अवस्था से लेकर दाने पकने की अवस्था तक (एक माह) अधिक नुकसान पहुंचाते हैं।
मुनाफा:
एक हेक्टेयर में सूरजमूखी की बुवाई में तकरीबन 25-30 हजार रुपये का खर्च आता है। इस एक हेक्टेयर में करीब 25 कुंतल फूल निकलते हैं। बाजार में इन फूलों की कीमत 4000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास रहती है। इस हिसाब से आप 25-30 हजार रुपये लगाकर एक लाख रुपये से ज्यादा मुनाफा आराम से निकाला जा सकता है।
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