केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2018-19 के लिए चना का एमएसपी 4,400 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है जबकि मध्य प्रदेश की इंदौर मंडी में सोमवार को चना का भाव 3,550 रुपये प्रति क्विंटल रहा। इसी तरह से उत्तर प्रदेश की कानपुर मंडी में मसूर का भाव 3,750 रुपये प्रति क्विंटल रहा जबकि केंद्र ने मसूर का एमएसपी 4,250 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। अरहर के भाव कर्नाटक की गुलबर्गा मंडी में 3,900 से 4,011 रुपये प्रति क्विंटल रहे जबकि अरहर का एमएसपी 5,450 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) है। अन्य दालें उड़द और मूंग भी उत्पादक मंडियों में एमएसपी से नीचे बिक रही हैं।



केंद्र की सख्ती का असर

खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा सख्ती करने से दलहन आयात में भारी कमी आई है। फरवरी में दलहन आयात घटकर केवल 1.44 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल फरवरी में इनका आयात 6.67 लाख टन का हुआ था। आयात को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने चना और काबुली चना के आयात पर शुल्क 60 फीसदी, पीली मटर पर 50 फीसदी और मसूर पर 40 फीसदी लगा रखा है। जबकि वित्त वर्ष 2017-18 के लिए अरहर के आयात की सीमा 2 लाख टन और मूंग-उड़द के आयात की सीमा 3 लाख टन तय कर दी थी।



अप्रैल से फरवरी के दौरान आयात घटा

वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान दलहन का आयात घटकर 54.7 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इनका आयात 61 लाख टन का हुआ था। वित्त वर्ष 2016-17 में दालों का रिकार्ड आयात 66.1 लाख टन का हुआ था जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष में इनका आयात 57.9 लाख टन का ही हुआ था।



मसूर का अभी भी हो रहा है आयात

शाक्मभरी खाद्य भंडार के प्रबंधक राधाकिशन गुप्ता ने बताया कि आयात शुल्क में बढ़ोतरी करने के बाद से चना, काबुली चना और मटर का आयात नहीं हो रहा है लेकिन मसूर के भाव विश्व बाजार में कम हैं इसलिए इसका आयात 40 फीसदी आयात शुल्क लगने के बाद भी हो रहा है। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक कंपनियां दलहन की एमएसपी पर खरीद तो कर रही है लेकिन दैनिक आवक के मुकाबले खरीद सीमित मात्रा में ही होने के कारण भाव बढ़ नहीं रहे हैं।



रिकार्ड उत्पादन का अनुमान

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में दालों की रिकार्ड 239.5 लाख टन की पैदावार होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 231.3 लाख टन दालों का उत्पादन हुआ था।