भारत के लोगों में कौशल की कमी नहीं है। उनके हाथों में एक अद्भुत कला है, न सिर्फ अभी से, बल्कि सदियों से, जिससे वर्तमान की पीढ़ी अनभिज्ञ है। ये अपनी कलाकारी और थोड़ी सी मशक्कत के बाद पुराने बर्तनों को कर देते हैं नया। वहीं दूसरी और छोटे-छोटे सुंदर नगीनों और पत्थरों को तरास कर बना देते हैं लाजवाब अंगूठियां। सड़क के किनारे बिना किसी ज्यादा निवेश के अनपढ़ लोग भी कर रहे ऐसा तकनीक और कलाकारी से भरा शानदार कार्य। आये लेते हैं इनसे जानकारी किस प्रकार करते हैं ये कमाल


छोटे-बड़े बर्तनों पर कलाई करना:

दोस्तों पीतल का बर्तन बहुत ही गुणकारी होता है परंतु वायु के संपर्क में आने पर यह काला पड़ जाता है और भद्दा लगने लगता है। इससे बचाव के लिए इस पर कलाई की जाती है, जो इसको एकदम शाही बना देती है। कलाई करने के लिए सबसे पहले बर्तन को धधकते कोयलों या भट्टी पर रखकर गर्म करके साफ किया जाता है। फिर उसे रेत या बजरी द्वारा अच्छे से मांजकर, साफ कर, पुनः भट्टी पर तपया जाता। उसके बाद इस पर एक कपड़े से नौसादर रगड़ देते हैं जिससे कलाई की पकड़ मजबूत हो जायेगी। अब नौसादर लगाने के बाद एक चांदी जैसे मुलायम पदार्थ को बर्तन की तली और सतह पर चारों तरफ अच्छे से रगड़ दिया जाता है। इसे ही कलाई करना बोलते हैं। जैसे-जैसे बर्तन गर्म होता है इसकी पकड़ मजबूत हो जाती है और यह पीतल से चांदी में बदल जाता है। जो देखने में बहुत ही लाजवाब, सुंदर और आकर्षक लगता है। 



पुराने बर्तनों पर दो कोटिंग और नए बर्तनों पर एक वोटिंग से ही यह चमक आ जाती है। यह इनका कुछ पुस्तैनी कार्य है। अगर कोई भाई इनसे संपर्क करना चाहता है तो इनका मोबाइल नंबर 9982001505 है। 


पत्थर और नगीनाओं से बनाते है ऐसे आभूषण जो सोने को भी मात दे :

जयपुर में पत्थरों को तरास कर उनसे नए-नए आभूषण बनाने की कला बहुत ही प्रसिद्ध है। ये कलाकार आपको जगह-जगह सड़कों के किनारे मिल जायेंगे। इसमें ज्यादातर पत्थर दूर-दूर से आयात किया हुए हैं। जिनको घिसकर तराश कर हाथों के ब्रेसलेट, अंगूठियां, माला आदि बनाई जाते हैं। इनमें नीले, पीले, काले तथा तमाम रंग-बिरंगे पत्थर होते हैं, जो अफगानिस्तान, इटली आदि से मंगाये जाते हैं तथा यह 20-30 साल पुराने होते हैं।



ये इनको तांबे तथा चांदी की अंगूठी में बहुत बारीकी और सफाई से जड़ देते हैं तथा अंगूठी पर आकर्षक डिजाइन भी बना देते हैं। यह कार्य पूर्णतया हाथों द्वारा विभिन्न औजारों से किया जाता है। जिसकी कलाकारी की तुलना मशीनों से नहीं की जा सकती। निश्चित रूप से यह कार्य आपके शहरों में भी होता होगा जिससे आज की पीढ़ी कम परिचित है परंतु अब यह लेख पढ़ कर सब जान जायेगे। ऐसे ही और शानदार जानकारी के लिए जुड़े रहे हमारे साथ। धन्यवाद॥