ड्रैगन फ्रूट की खेती मतलब पैसा ही पैसा

30 Sep 2024 | NA
ड्रैगन फ्रूट की खेती मतलब पैसा ही पैसा

किसान भाइयों आपको ऐसी खेती करनी चाहिए जो सालों साल चलें, जिसका भविष्य उज्जवल हो। ड्रैगन फ्रूट जिसे हिंदी में कमलम कहा जाता है। यह एक ऐसा अनोखा स्वास्थवर्धक फल है जिसका स्वाद मीठा और क्रंची होता है। यह फल मुख्यतः कैक्टस प्रजाति का है और इसकी खेती भारत में भी अच्छी मात्रा में हो रही है। यह अभी अन्य फलों की तरह व्यवहारिक फल नहीं बना है, परंतु भारतीय किसान भाई अब इसके बारे में जानकारी लेकर अच्छा मुनाफा कमाने लगे हैं। आये जानते हैं निकुंज से वह किस प्रकार इस फल का उत्पादन कर रहे हैं।

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ड्रैगन फ्रूट की विशेषता: 

निकुंज जी बताते हैं कि लगभग 7 साल से वह ड्रैगन की खेती 25 बीघा क्षेत्रफल में सफल रूप से कर रहे हैं। ड्रैगन की मुख्यतः आठ वैरायटी है जिनके अंदर 153 वेरिएंट है। इनके पास सबसे फास्ट ग्रोइंग किस्म श्रीलंकन-एलिस और थाईलैंड पिंक वैरायटी है। ड्रैगन फ्रूट में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शरीर की कोशिकाओं को मुक्त कणों से बचाता हैं तथा विटामिन सी इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। इसका फाइबर पाचन तंत्र को सुधरता है तथा यह वजन घटाने में भी सहायता प्रदान करता है। 

श्रेयस्कर जलवायु:

ड्रैगन फ्रूट के लिए बलुई या रेतीली मिट्टी उपयुक्त होती है। इसको उगाने के लिए वातावरण में 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान तथा 500 से 1000mm वार्षिक वर्षा आदर्श मानी जाती है। इसको उगाने में पानी की आवश्यकता अधिक रहती है, इसलिए मानसून के समय इस फसल को लगा दें तथा अन्य सीजन में सिंचाई का उचित प्रबंध करना आवश्यक होता है। ध्यान रहे बरसात के मौसम में इसमें पानी भरा ना रहे, इसीलिए इसमें रेतीली मिट्टी उपयुक्त होती है जो पानी को जल्दी ही सोख लेती है और पौधा फंगल इंफेक्शन से बचा रहता है।

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फसल उगने का तरीका:

क्योंकि यह एक कैक्टस प्रजाति का पौधा है इसलिए इसका अपना तना नहीं होता, इसको एक पोल के सहारे बांधा जाता है। इस प्रकार 1 एकड़ में 500 पोल तक लग जाते हैं, तीन या चार पौधों को एक पोल पर रस्सी से बांधकर चढ़ाया जाता है। क्योंकि यह पौधे लंबे समय तक जीवित रहते हैं इसलिए पोल या तारों का शुरू से ही मजबूती द्वारा प्रबंध करना चाहिए। इन पौधों की पौधे से दूरी 4 फीट तथा पंक्ति की पंक्ति से दूरी 7 फीट रखी जाती है, जिससे फल को प्राप्त करने में आसानी हो और इनका विकास भी अच्छे से हो पाए। इसी के साथ प्रतिवर्ष इनकी कटिंग कर प्रूनिंग की जाती है, वह भी आसानी से हो सके। इसको सघन करने के लिए एक ट्रीवियस मेथड भी डेवलप किया गया है, जिसमें पौधों को जीगजैक संरचना में लगाते हैं। इस प्रकार एक एकड़ में 700 पोल तक लग जाते हैं।

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उत्पादन: 

ड्रैगन का पेड़ 20 से 30 साल तक जीवित रहता है और एक से डेढ़ वर्ष में फल देना शुरू कर देता है। इसके फल उत्पादन करने की क्षमता पहले साल कम तथा फिर अगले वर्षों में बढ़ती जाती है। इस तरह एक पोल पर पहले साल 2.5 से 3 किलोग्राम तक फल देता है। अर्थात् पहले साल एक एकड़ में 500 पोल पर लगभग 1500 से 2000 किलोग्राम फल उत्पादित होगा। 

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तथा दूसरे साल एक पेड़ पर 3 से 5 किलोग्राम तक प्रोडक्शन देखने को मिलेगा इस प्रकार हर साल प्रोडक्शन बढ़ता जाएगा तथा विशेष देखभाल के अनुसार 5 से 7 साल बाद एक पेड़ 17 से 20 किलोग्राम तक भी फल उत्पादित कर सकता है। यदि 500 पोल के हिसाब से 5-7 साल बाद कैलकुलेट करें तो 7 से 8 टन तक फल उत्पादित हो पाएगा। 


उगाने में खर्चा:

ड्रैगन की फसल को लगाने में पहले साल अधिक खर्च आता है, क्योंकी सीमेंट के आरसीसी पोल तथा तार आदि लगाने पड़ते हैं। फिर नर्सरी में तैयार ड्रैगन का पौधें भी खरीदते हैं। आमतौर पर पौधे कटिंग से उगाये जाते हैं, जो 20 से 30 सेंटीमीटर लंबे स्वस्थ कंद का चयन कर नर्सरी में विकसित किए जाते हैं। इस प्रकार 1 एकड़ में 1.5 से 2 लाख रुपए तक का खर्चा आ जाता है।

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ड्रैगन फ्रूट का मूल्य: 

सीजन और उत्पादन के अनुसार इसका रेट घटता बढ़ता रहता है; परंतु यह फल 130 से 180 प्रति किलोग्राम तक आसानी से बिक जाता है। जब आने वाले वर्षों में उत्पादन अधिक होता है, तो कम मूल्य पर भी फल बेचने पर अधिक मुनाफा प्राप्त हो जाता है।

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प्रमुख बातें: 

ड्रैगन पौधे का पत्ता जितना अधिक लंबा जाता है और जितना अधिक झुकता है, उससे उतना ही अच्छा फल प्राप्त होता है, इसलिए इसके फल की ऊंचाई 4 से 5 फीट तक रखनी चाहिए, जिससे आसानी से फल तोड सके और उनकी पत्तियां भी लंबे आकार में विकसित हो सकें।इस फसल में खुद की कोई बीमारी नहीं होती अतः अधिक कीटनाशक का प्रयोग करना भी जरूरी नहीं है। इसलिए यदि कोई किसान इसके साथ इंटरक्रॉपिंग करनी चाहे तो बिना कीटनाशक वाली जैविक खेती ही करें। क्योंकि यह कैक्टस वर्गीय पौधा है, इसलिए यह बिना पानी के भी दो-तीन महीने तक सरवाइव कर जाता है। जल्दी-जल्दी पानी देने की आवश्यकता नहीं होती, बारिश से भी पर्याप्त पानी की पूर्ति हो जाती है।


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तो दोस्तों ड्रैगन फ्रूट उगाना एक सरल और लाभकारी प्रक्रिया है। अगर सही तकनीक का पालन किया जाए, तो यह पौधा कम देखभाल की आवश्यकता रखता है। इसकी खेती न केवल लाभकारी बल्कि यह एक स्वस्थ आहार का हिस्सा भी है। इसकी बढ़ती मांग और स्वास्थ्य लाभ किसानों के लिए आकर्षक विकल्प बन रहे हैं। कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट पर अवश्य बताएं तथा ऐसे ही रोचक जानकारी के लिए जुड़े रहे "हेलो किसान" के साथ। धन्यवाद॥ जय हिंद, जय किसान॥



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