तुलसी की खेती – किसानों के लिए हरियाली में सोने जैसा मुनाफा

भारत में तुलसी को पवित्र पौधा माना जाता है। हर घर के आंगन में तुलसी का पौधा देखने को मिल जाता है। धार्मिक और आयुर्वेदिक महत्व के कारण तुलसी की मांग सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी लगातार बढ़ रही है। यही वजह है कि आज तुलसी की खेती किसानों के लिए एक नया अवसर बनकर उभर रही है। खास बात यह है कि तुलसी से सिर्फ पत्ते ही नहीं, बल्कि तुलसी का तेल (Tulsi Oil) भी निकाला जाता है, जो बाजार में काफी महंगा बिकता है। यह तेल दवा, कॉस्मेटिक और एरोमा इंडस्ट्री में खूब इस्तेमाल होता है। अगर किसान सही तरीके से तुलसी की खेती करें और प्रोसेसिंग पर ध्यान दें तो अच्छी खासी आमदनी कमा सकते हैं।

तुलसी की खेती क्यों खास है?
1. कम लागत, ज्यादा फायदा – तुलसी की खेती में बहुत ज्यादा लागत नहीं आती। सामान्य खेत में, थोड़ी देखभाल से यह पौधा आसानी से बढ़ जाता है। 2. तेल से ज्यादा मुनाफा – तुलसी की पत्तियों से निकाला जाने वाला तेल 3,500 से 5,000 रुपये प्रति लीटर तक बिकता है। 3. औषधीय महत्व – तुलसी का इस्तेमाल आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी दवाओं में होता है। इसके अलावा इम्यूनिटी बूस्टर, कफ-सीरप, हर्बल चाय और ब्यूटी प्रोडक्ट्स में भी इसका उपयोग होता है। 4. एक्सपोर्ट की संभावना – तुलसी ऑयल और ड्राई लीव्स की विदेशों में काफी मांग है, खासकर अमेरिका, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और अरब देशों में।
तुलसी की खेती कैसे करें?
1. मिट्टी और जलवायु : तुलसी को गर्म और उपोष्णकटिबंधीय (subtropical) जलवायु पसंद है। यह 20 से 30 डिग्री तापमान में अच्छी तरह बढ़ती है। हल्की दोमट मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है। मिट्टी का पीएच 6 से 7.5 होना चाहिए।
2. बुवाई का समय : तुलसी की बुवाई फरवरी से मई तक और बरसात के बाद भी की जा सकती है। पौध तैयार करने के लिए नर्सरी बनाई जाती है, फिर उन्हें खेत में ट्रांसप्लांट किया जाता है।
3. पौधरोपण : लगभग 40x40 सेंटीमीटर की दूरी पर पौधे लगाए जाते हैं। एक हेक्टेयर में लगभग 1,00,000 पौधे लगाए जा सकते हैं।
4. देखभाल : तुलसी के पौधों को समय-समय पर निराई-गुड़ाई की जरूरत होती है। जैविक खाद का इस्तेमाल करना ज्यादा लाभदायक है।तुलसी को ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती। हल्की सिंचाई पर्याप्त है।
तुलसी से तेल कैसे बनता है?
तुलसी की पत्तियों से तेल निकालने के लिए भाप आसवन (Steam Distillation Process) का उपयोग किया जाता है। इसमें ताजी पत्तियों को भाप से गर्म किया जाता है, जिससे उनका तेल अलग हो जाता है। 100 किलो हरी पत्तियों से लगभग 5 से 6 किलो तक तुलसी का तेल निकल सकता है। यह तेल पारदर्शी या हल्के पीले रंग का होता है और इसकी खुशबू तेज होती है।
बाजार और कीमत
तुलसी के पत्ते – सूखे पत्ते हर्बल चाय और दवाओं के लिए 120 – 200 रुपये प्रति किलो बिकते हैं। तुलसी का तेल – इसका दाम 3,500 से 5,000 रुपये प्रति लीटर तक होता है। विदेशी बाजार – आयुर्वेदिक और नेचुरल प्रोडक्ट्स की बढ़ती डिमांड से तुलसी ऑयल की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत और भी ज्यादा मिल सकती है।

तुलसी से किसानों को मुनाफा कैसे होगा?
मान लीजिए एक किसान 1 हेक्टेयर जमीन पर तुलसी की खेती करता है। लगभग 150 – 200 क्विंटल हरी पत्तियां मिल सकती हैं। इससे करीब 200 – 250 किलो तक तेल निकलेगा। अगर औसतन तेल का दाम 4,000 रुपये प्रति लीटर मान लें, तो किसान को करीब 8 – 10 लाख रुपये की आमदनी हो सकती है। लागत सिर्फ 70,000 से 1 लाख रुपये तक आती है (बीज, मजदूरी, सिंचाई और डिस्टिलेशन खर्च)। यानी किसान को 7–9 लाख रुपये तक का शुद्ध मुनाफा हो सकता है।
तुलसी ऑयल कहाँ उपयोग होता है?
1. दवा उद्योग – सर्दी, खांसी, जुकाम और सांस संबंधी दवाओं में। 2. कॉस्मेटिक उद्योग – साबुन, फेस क्रीम, शैम्पू और इत्र बनाने में। 3. हर्बल चाय और हेल्थ ड्रिंक – इम्यूनिटी बढ़ाने वाले उत्पादों में। 4. पशु चिकित्सा – दवाओं और रोग नियंत्रण में।
सरकार और संस्थानों से मदद
कई कृषि विश्वविद्यालय और आयुर्वेदिक रिसर्च सेंटर तुलसी खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (NMPB) किसानों को बीज, प्रशिक्षण और डिस्टिलेशन यूनिट लगाने के लिए मदद करता है। कुछ जगहों पर किसानों को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का भी विकल्प मिलता है, जिसमें कंपनियां फसल की गारंटी से खरीद करती हैं।
निष्कर्ष
तुलसी की खेती किसानों के लिए कम लागत और ज्यादा मुनाफे वाला विकल्प है। इसके तेल की घरेलू और विदेशी बाजार में बढ़ती मांग आने वाले समय में किसानों की आमदनी को कई गुना बढ़ा सकती है। धार्मिक महत्व और औषधीय उपयोग की वजह से तुलसी की पहचान पहले से ही हर घर में है। अब जरूरत है कि किसान इसे व्यावसायिक रूप से अपनाएं। खेती के साथ-साथ अगर तेल निकालने की प्रोसेसिंग यूनिट भी लगाई जाए तो किसान सीधे बाजार से जुड़ सकते हैं और दलालों पर निर्भर रहने की बजाय खुद अपनी कमाई बढ़ा सकते हैं। साफ है – तुलसी की हरियाली किसानों के लिए सोने से भी ज्यादा कीमती साबित हो सकती है। ऐसी अमेजिंग जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ और आपको ये जानकारी कैसी लगी हमे कमेंट कर के जरूर बताइये ।। जय हिन्द जय भारत ।।
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