आज भी मशरूम की खेती कर कमा रहे लाखों रुपए

05 Oct 2024 | NA
आज भी मशरूम की खेती कर कमा रहे लाखों रुपए

मशरूम की खेती करने का विचार लगभग हर किसान के मन में आता है; परंतु वह संबंधित पूर्ण जानकारी ना होने के कारण इसे सफल रूप से नहीं कर पता। यह एक ऐसी फार्मिंग जिसको उगाने की विधि तो टेक्निकल है ही साथ में इसकी मार्केटिंग का तरीका भी महत्वपूर्ण योगदान रखता है; क्योंकि इसकी लाइफ एक से दो दिन ही होती है, इसलिए किसान के लिए मशरूम को समय पर मार्केट में बेचना सबसे बड़ी चुनौती होती है। इन सभी समस्याओं से कैसे निकला जा सकता है, जानेंगे हम आशु और विकास त्यागी जी से जो इस कार्य को सफल रूप से कर रहे हैं, जुड़े रहे अंत तक हमारे साथ।

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मशरूम का परिचय: 

मशरूम की खेती एक लाभदायक और स्थाई व्यवसाय है। वैसे तो इसकी हजारों वैरायटियां होती है, जिसमें 70 प्रजातियां ही खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है और उनमें भी लोकप्रिय वैरायटी; मिल्की मशरूम और आइस्टर मशरूम और बटन मशरूम है। यह एक प्रकार का कवक है, जिसे हेल्दी डाइट की तरह खाने में इस्तेमाल किया जाता है। 1966 से 2020 तक 17 कैंसर अध्ययनों की समीक्षा से पता चलता है कि प्रतिदिन 18 ग्राम मशरूम खाने से कैंसर का खतरा 45% तक कम हो सकता है। अतः इसकी डिमांड बाजार में बनी रहती है। 

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खेती करने का सही तरीका: 

मशरूम की प्रत्येक किस्म को उगाने का तरीका भिन्न हो सकता है। जैसे आयस्टर मशरूम की खेती वर्ष में कभी भी की जा सकती है। इसके लिए आदर्श तापमान 20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड और आद्रता 70 से 90% चाहिए होती है। इसको उगाने के लिए गेहूं में धान के भूसे और दानों का इस्तेमाल किया जाता है। यह मशरूम ढाई से 3 महीने में तैयार हो जाती है इसको उगाने के लिए हैंगिंग मेथड सबसे उपयुक्त माना जाता है, जिसमें भूसे आदि को एक पॉलिथीन में भरकर बांस के माध्यम से लटका दिया जाता है। तब 2 हफ्ते में इनके अंदर से मशरूम निकलना शुरू हो जाती है। आशु जी ने इस छोटे से क्षेत्रफल में आयस्टर के 300 बैग़ लगा रखे हैं, जिनमें लेबर सहित ₹10000 तक का खर्चा आ गया था। एक बार यह फसल लगाने से 2 से 3 बार प्रोडक्शन प्राप्त किया जा सकता है तथा एक बैग से लगभग 1 किलोग्राम तक मशरूम प्राप्त हो जाती है।

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वहीं मिल्की मशरूम को ग्रीष्मकालीन मशरूम के रूप में जाना जाता है। इसका आकार बड़ा व आकर्षण होता है। मार्च अक्टूबर तक दूधिया मशरूम की खेती की जा सकती है। इसे पॉलिथीन बैग में नीचे रखकर भी आसानी से उगाया जा सकता है। 


बटन मशरूम का विस्तृत बाजार: 

विकास त्यागी जी बताते हैं कि वह बटन मशरूम की ही फार्मिंग करते हैं, क्योंकि इसकी बाजार में अधिक डिमांड और यह सही मूल्य पर भी बिक जाता है। इन्होंने मशरूम के लिए एक बड़े से हॉल में अलग-अलग शेड लगा रखे हैं जिनकी ऊपर नीचे स्लैप बनी हुई है। इस एक शेड में लगभग 2000 तक बैग आ जाते हैं। बटन मशरूम के कंपोस्ट को बनाने में 15 दिन का समय लगता है फिर उन्हें बैग मैं भरते हैं और उसमें स्पोन मिलते हैं। इस स्पोन मिलाने के बाद 30 से 32 दिन में मशरूम उगने शुरू हो जाते हैं। इस विधि द्वारा एक बैग से तीन से साढे तीन किलो तक मशरूम की फसल देखने को मिल जाती है। एक बैग में 10 किलो तक कंपोस्ट भरते हैं और स्पोन आदि मिलाकर कुल लागत ₹80 प्रति बैग आती है।

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मशरूम का बाजार: 

मशरूम की मांग शहरी क्षेत्र में बढ़ी है, क्योंकि लोग हेल्दी डाइट की तरफ बढ़ रहे इसलिए इन्हें स्थानीय सब्जी बंजारों की मंडी आदि दुकानों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेचा जा सकता है। किसी के साथ किसान को बड़े-बड़े होटल और रेस्टोरेंट में संपर्क कर अपनी मार्केटिंग बढ़ानी चाहिए तथा उसी अनुसार प्रोडक्शन पर लाभ कमाए। मशरूम की बड़ी मार्केट दिल्ली में देखने को मिलती है, यदि किसान भाई ज्यादा मात्रा में प्रोडक्शन कर पा रहे हैं तो उन्हें पर्सनल ट्रांसपोर्टेशन द्वारा दिल्ली की मंडियों में मशरूम की फसल बेचनी चाहिए वहां उन्हें इसका अच्छा दाम मिलेगा।

लागत तथा मुनाफा:

लागत की बात कर तो आशु जी ने अपने इस 100 मीटर स्क्वायर क्षेत्रफल में ओयस्टर और मिल्की मशरूम के लगभग 700 पॉलिथीन बैग व्यवस्थित किए हुए हैं जिसमें लेबर भूसा तथा दाने समेत 30 हजार का खर्चा आया था। तथा मुनाफे की बात करें तो आयस्टर मशरूम की कीमत 100 से ₹120 प्रति किलोग्राम तथा मिल्की मशरूम की कीमत ₹200 प्रति किलोग्राम तक बिकी। और इन 700 बैग से 7 कुंतल तक मशरूम प्राप्त हुई। 

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सावधानियां:

मशरूम की खेती में सबसे ज्यादा ध्यान आद्रता का रखना होता है, क्योंकि तभी मशरूम अच्छे से विकसित हो पाती है।इसी के साथ तैयार की गई कंपोस्ट खाद में नमी की मात्रा 60 से 65% तथा नाइट्रोजन लगभग 1.75 से 2.25% होना चाहिए।खाद्य पूर्णत: अमोनिया गैस की बदबू रहित तथा कीट एवं रोगाणु रहित होना चाहिए। और खाद का पीएच मान 7.2 से 7.8 के बीच होना चाहिए। मशरूम का बीज 40 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक तापमान पर 48 घंटे में मर जाता है, इसलिए गर्मियों के समय में बीज को रात्रि में लेकर आना चाहिए। यदि संभव हो सके तो थर्माकोल के बने डब्बे में बीज को बर्फ के बीच रखें।

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तो दोस्तों मशरूम की खेती एक लाभकारी व्यवसाय है, लेकिन इसे सफलतापूर्वक करने के लिए उचित ज्ञान और योजना की आवश्यकता है। बटन और आईस्टर मशरूम दोनों की अपनी खासियत और बाजार मांग है, इसलिए किस किस्म को चुना है यह आपकी प्राथमिकता पर निर्भर करता है। अगर आप इस क्षेत्र में कदम रखना चाहते हैं तो सही रिसर्च और मार्केट एनालिसिस बेहद जरूरी है। इसके लिए विभिन्न प्रयोगशाला और अनुसंधान केंद्रों में प्रशिक्षण भी दिया जाता है। आप वह प्राप्त कर इस कृषि को कर सकते हैं। कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट कर अवश्य बताएं तथा ऐसे ही रोचक जानकारी के लिए जुड़े रहे "हेलो किसान" के साथ। जय हिंद, जय किसान॥ धन्यवाद॥





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