एक लड़की जो सभी बंदिश तोड़कर कमा रही है लाखो


क्या है वर्मीकम्पोस्ट(Vermicompost):-
केंचुआ खाद या वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) पोषण पदार्थों से भरपूर एक उत्तम जैव उर्वरक है। यह केंचुआ आदि कीड़ों के द्वारा वनस्पतियों एवं भोजन के कचरे आदि को विघटित करके बनाई जाती है।
वर्मी कम्पोस्ट में बदबू नहीं होती है और मक्खी एवं मच्छर नहीं बढ़ते है तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होता है। तापमान नियंत्रित रहने से जीवाणु क्रियाशील तथा सक्रिय रहते हैं। वर्मी कम्पोस्ट डेढ़ से दो माह के अंदर तैयार हो जाता है। इसमें 2.5 से 3% नाइट्रोजन, 1.5 से 2% सल्फर तथा 1.5 से 2% पोटाश पाया जाता है।
कठिनाइयों से भरा रहा पायल जी का सफर:-
उनसे हुई बात चित में वो हमे बताती हैं की जब उन्होंने काम शुरू किया था तो काम लागत का सोचके शुरू किया था,हालांकि ये काम कम पैसो में भी शुरू किया जा सकता है। परन्तु उस समय पायल जी के पास ज्यादा पैसे नहीं थे, एक समय ऐसा आगया था की उनके पास खाने पिने के भी लाले पड गए थे।खाने के लिए भी पैसे नहीं थे परन्तु एक बात थी जो उन्हें आज इस मुकाम पर लेके आयी है वो है मेहनत,लगन और ईमानदारी जिसकी वजह से आज वो इस मुकाम तक पहुंची हैं।
कैसे हुई शुरुआत:-
पायल जी ने पहले कंप्यूटर साइंस में बीटेक(b.tech) किया हुआ है, अगर वो चाहती तो एक अच्छी नौकरी करके अपना जीवन व्यापन कर सकती थी। परन्तु उनका लगाव पहले से ही कुछ अलग करने का था,अपने पर्यावरण के लिए कुछ अलग करने का था। उनके पास खुद की जमीन भी नहीं है, सबसे पहले उन्होंने किराये पर जमीन ली उसके बाद उसमे वर्मीकम्पोस्ट(Vermicompost) की शुरुआत की।
केंचुआ खाद की विशेषताएँ:-
इस खाद में बदबू नहीं होती है, तथा मक्खी, मच्छर भी नहीं बढ़ते है जिससे वातावरण स्वस्थ रहता है। इससे सूक्ष्म पोषित तत्वों के साथ-साथ नाइट्रोजन 2 से 3 प्रतिशत, फास्फोरस 1 से 2 प्रतिशत, पोटाश 1 से 2 प्रतिशत मिलता है।
इस खाद को तैयार करने में प्रक्रिया स्थापित हो जाने के बाद एक से डेढ़ माह का समय लगता है।
प्रत्येक माह एक टन खाद प्राप्त करने हेतु 100 वर्गफुट आकार की नर्सरी बेड पर्याप्त होती है।
केचुँआ खाद की केवल 2 टन मात्रा प्रति हैक्टेयर आवश्यक है।
वर्मीकम्पोस्ट खाद का महत्व:-
- यह भूमि की उर्वरकता, वातायनता को तो बढ़ाता ही हैं, साथ ही भूमि की जल सोखने की क्षमता में भी वृद्धि करता हैं।
- वर्मी कम्पोस्ट वाली भूमि में खरपतवार कम उगते हैं तथा पौधों में रोग कम लगते हैं।
- पौधों तथा भूमि के बीच आयनों के आदान प्रदान में वृद्धि होती हैं।
- वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करने वाले खेतों में अलग अलग फसलों के उत्पादन में 25-300% तक की वृद्धि हो सकती हैं।
- केचुओं के शरीर का 85% भाग पानी से बना होता हैं इसलिए सूखे की स्थिति में भी ये अपने शरीर के पानी के कम होने के बावजूद जीवित रह सकते हैं तथा मरने के बाद भूमि को नाइट्रोजन प्रदान करते हैं।
- मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती हैं।
- इसके प्रयोग से सिंचाई की लागत में कमी आती हैं।
- लगातार रासायनिक खादों के प्रयोग से कम होती जा रही मिट्टी की उर्वरकता को इसके उपयोग से बढ़ाया जा सकता हैं।
- इसके प्रयोग से फल, सब्जी, अनाज की गुणवत्ता में सुधार आता हैं, जिससे किसान को उपज का बेहतर मूल्य मिलता हैं।
- केंचुए में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीव मिट्टी का pH संतुलित करते हैं।
- उपभोक्ताओं को पौष्टिक भोजन की प्राप्ति होती हैं।
निष्कर्ष:-
एक महिला चाहे तो की कुछ नहीं कर सकती, इसका सबसे बड़ा उदहारण है पायल जी जिन्होंने विषम परिस्थितीयों में भी अपनी मेहनत से आज लाखो का मुनाफा कमा रहीं है। कैसे शुरू किया उन्होंने अपना काम कैसे कमा रहीं है वो लाखो इस विषय में सभी जानकारी लेने के लिए निचे दी गयी वीडियो को जरूर देखें।
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