कम मेहनत, कम लागत और ज्यादा मुनाफे वाली खेती

02 Sep 2024 | NA
कम मेहनत, कम लागत और ज्यादा मुनाफे वाली खेती

आज जानेंगे हम एक ऐसी कृषि के बारे में जिसमें बिना कुछ मेहनत किए, बिना अतिरिक्त लागत के कमाई की जा सकती है और वह भी कोई छोटी-मोटी नहीं बल्कि 5 से 6 लाख रुपए प्रति एकड़ सालाना तक की। किसान भाई कृषि को कैसे बिजनेस में बदल सकते हैं तथा कैसे मोटा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। आये जानते हैं आगे इस लेख में।

कम मेहनत, कम लागत और ज्यादा मुनाफे वाली खेती_1448


लाल तुर दाल की खेती:

रेड तुर जो अरहर की दाल की तरह होती है। यह खेती उन किसानों के लिए सर्वश्रेष्ठ है, जो एक बार फसल लगाकर बार-बार उसमें कार्य नहीं करना चाहते और अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं। इसकी बुआई करते समय 400 मीटर भूमि के लिए मात्र 300 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। ‌

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इसके प्लांटेशन में पहले दो-दो फीट की दूरी पर पौधे लगाए जाते हैं; परंतु जब वे बड़े हो जाते हैं तो बीच में से एक क्यारी के पौधे निकाल देते हैं। तब पेड़ों के बीच की दूरी बढ़कर 4 फिट हो जाती है। ऐसा इसलिए करते हैं ताकि पेड़ बड़ा होने पर अच्छे से यील्ड कर पाये है, उसको पर्याप्त स्पेस मिल सके है, क्योंकि 4 फीट की दूरी होने पर भी पेड़ इतने बड़े हो जाते हैं कि वह आपस में मिलने लगते हैं और नीचे बिल्कुल भी धूप नहीं पहुंच पाती। बीच में से पौधे निकालने पर किसान को लकड़ी भी मिल जाती है, जिसे बेचकर भी वह मुनाफा कमाता है। इस प्रकार हर साल जैसे-जैसे पेड़ बड़ा होता है, उनकी संख्या कम कर देते हैं। 

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इंटरक्रॉपिंग: 

दो पेड़ों के बीच में जो 4 फुट का स्पेस बचता है, उसमें ऐसी फसल उगा सकते हैं, जिनको धूप की अधिक आवश्यकता नहीं होती। अर्थात् छाय में भी उग सकती है। जैसे हल्दी, अदरक आदि की खेती रेड तुर के साथ कर सकते हैं।


इस खेती का फायदा: 

  • वास्तव में इस खेती के बहुत सारे फायदे हैं, अगर आपने एक बार बुवाई कर दी तो 5 से 6 साल तक यही चलती रहती है। 
  • फसल उगाने में भी ज्यादा खर्च नहीं आता, मात्र 300-400 ग्राम बीज, जो ₹40-50 रुपए में मिल जाता है, से ही खेती शुरू कर सकते हैं। 
  • इसी के साथ यह कमाई भी विभिन्न स्रोतों से देता है। जैसे लकड़ी से, लगने वाली दालों से तथा जो इंटरक्रॉपिंग कर रहे हैं उससे भी फायदा होगा। 
  • कृषि में होने वाली अतिरिक्त बचत को भी कमाई ही माना जाता है। इसमें अलग से किसी प्रकार का न्यूट्रिशन, खाद, मेंटेनेंस आदि की कोई जरूरत नहीं होती। यह ऑर्गेनिक तरीके से ही अच्छे से वृद्धि करता है। 

कम मेहनत, कम लागत और ज्यादा मुनाफे वाली खेती_1448


तुर दाल साल में दो बार फसल देता है, एक बार मार्च-अप्रैल में तथा दूसरा सितंबर-नवंबर में। परंतु किसान अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए इससे साल में एक बार ही यील्ड लेते हैं और वर्ष में एक बार इसकी प्रूनिंग अर्थात् ऊपर से कटाई-छटाई करते रहते हैं, जिससे आगामी फसल अच्छी होती है।

कमाई: 

बाजार में लाल तुर दाल की कीमत ₹10,000 प्रति कुंतल है। यदि किसान एक एकड़ भूमि में इसका प्रोडक्शन वर्ष में दो बार लेता है। तो एक एकड़ के अंदर किसान 10 कुंतल तक पैदावार प्राप्त करता है तथा दो बार प्रोडक्शन लेने पर 20 कुंतल जिनकी कीमत 2 लाख रुपए होगी। वहीं प्रूनींग करने पर लगभग 1 एकड़ से एक लाख रुपए की लकड़ी बेचकर भी कमा सकते हैं। तथा डेढ़ लाख रुपए तक की कमाई इंटरक्रॉपिंग खेती से भी की जाएगी। इस प्रकार एक एकड़ से साल में चार-पांच लाख रुपए कम मेहनत और ज्यादा प्लानिंग की बदौलत कमा सकते हैं। 

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दोस्तों कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट कर अवश्य बताएं तथा ऐसे ही रोचक तथ्यों के लिए जुड़े रहे "Hello Kisaan" के साथ। धन्यवाद॥ जय हिंद,  जय किसान॥



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