केले की खेती


आज हम आपको बताएंगे की केले का बाग लगाने के लिए कितना खर्च आएगा, केले कि उन्नत प्रजातियाँ कौन सी होती है, इसमें निराई- गुड़ाई, कटाई-छँटाई किस प्रकार होगी और आप इसकी मदद से कितना मुनाफा कमा सकते हैं।
ऐसी होनी चाहिए मिट्टी-
सबसे पहले बात करते हैं मिट्टी की , केले की खेती करने के लिए मिट्टी की विभिन्न किस्मों हल्की से उच्च पोषक तत्वों वाली मिट्टी में उगाया जा सकता है जैसे कि गहरी गाद चिकनी, दोमट और उच्च दोमट मिट्टी केले की खेती के लिए उपयुक्त होती है। केले की खेती के लिए मिट्टी की पी एच 6 से 7.5 होनी चाहिए। केला उगाने के लिए, अच्छे निकास वाली, पर्याप्त उपजाऊ और नमी की क्षमता वाली मिट्टी का चयन करें।
केले की प्रजाति-
केले की अच्छी पैदावार देने वाली दो प्रकार की प्रजातियां पाई जाती है। पहला फल के रुप में खाने के लिए इस्तेमाल होने वाली और दूसरा सब्जी बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली।
जो केले की प्रजाति फल के रुप में खाने के लिए उपयोग की जाती है उसकी किस्मों में गूदा मुलायम, मीठा तथा स्टार्च रहित सुगंधित होता है जैसे कि हरी छाल, G-9 , बसराई, रोवस्ट, ड्वार्फ,सालभोग,अल्पान आदि।
वहीं सब्जी बनाने वाली किस्मों में खाने वाले केले के अपेक्षा गुदा थोड़ा कड़ा स्टार्च युक्त तथा फल मोटे होते है जैसे कोठिया, बत्तीसा, मुनथन एवं कैम्पिरगंज, रोवेस्टा, ड्वार्फ कैवेंडिश, मालभोग आदि।
इस प्रकार करें खेती की तैयारी-
अब जानते है कि इसके लिए खेत की तैयारी किस तरह करनी चाहिए। उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्र में आपको इसकी बुआई मई के समय में करनी होती है। बुआई करने से पहले आपको खेत की 5 से 6 बार अच्छे से जुटाई करनी है और खेत की जमीन को फसल लगाने लायक सही तरह से तैयार करना होता है।
1 एकड़ खेती में लागत-
इसमें पेड़ से पेड़ की दूरी कम से कम 6 फिट होती है। 1 एकड़ जमीन में 1250 पेड़ लग जाते हैं। अगर औसतन 1 पेड़ की कीमत 15 रुपये है तो इसमें सारे पेड़ों को मिला कर 1 एकड़ के अन्दर 18,750 रुपये की लागत आएगी। आपका सब खर्च केवल 20,000 के आस पास आता है। इसमें एक चीज का ध्यान रखना है कि केले की पौध की बुआई 15 जून से पहले आपको करनी है।
खाद एवं उर्वरक का प्रयोग-
सबसे पहले आप बुआई के समय पर गोबर का खाद खेत में डाल दीजिए। इसके बाद हर पेड़ पर 300 ग्राम नाइट्रोजन, 100 ग्राम फास्फोरस तथा 300 ग्राम पोटाश डालना होता है। खाद एवं उर्वरक को पौधे के मुख्य तने से 10-15 सें.मी. की दूरी पर चारों तरफ गुड़ाई करके मिट्टी में मिला देना चाहिए और पौधे की तुरन्त सिंचाई कर देनी चाहिए।
सिंचाई-
सिंचाई के लिए आप रेन गन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। परंतु अगर आपके पास रेन गन नहीं है तो आपको इस बात का ध्यान रखना है कि केलों में ज्यादा पानी ना दें, वरना वह नष्ट हो जाएंगे।
केले के अन्दर मुख्य रूप से बनाना बीटल और तना छेदक कीट पाया जाता है। इसकी रोकथाम के लिए डायमिथोएट 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते हैं। अब जानते है रटून फसल के बारे में, केले की फसल में जो पहली फसल के बाद दूसरी फसल आती है उसको रटून फसल कहते हैं। इसमें केले के तने को नीचे से काट दिया जाता है या 3 फिट के ऊपर से काटा जाता है जिससे केले की नई फसल आ जाती है।
मुनाफा एवं उपज-
जब केले की फसल तैयार होने लगती है तो उससे रोकने के लिए बाँस का डंडा लगाया जाता है। केले की कटाई उस समय करनी चाहिए जब केले पर धारी खत्म हो जाए और केला गोल होने लगे। केले की फसल से 1 एकड़ में 160 कुंतल तक उपज प्राप्त की जा सकती है। जिससे आप तकरीबन 2 से 3 लाख रुपये तक कमा सकते हैं।
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